
एक पत्रकार क्या कर सकता है? सच्ची ख़बरें लिख सकता है। अगर सच्चाई को सामने न आने दिया जाए तब वह क्या कर सकता है? ज्यादा से ज्यादा अपनी नौकरी को दांव पर लगाकर अकेले सच्चाई को सार्वजनिक कर सकता है। अगर ऐसा करने पर खुद पत्रकार ही उसकी बात को आगे न बढ़ाएं तब क्या किया जाए? सत्येंद्र मुरली ने दूरदर्शन की अपनी नौकरी को दांव पर लगाकर एक ऐसा दावा किया है जो इस सरकार द्वारा नोटबंदी के किए गए ‘औचक’ फैसले का परदाफाश करने में सक्षम है। दिक्कत यह है कि खुद पत्रकारों को इस दावे की गंभीरता समझ में नहीं आ रही।
ऐसा ही एक दृश्य गुरुवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में देखने को मिला। भारतीय जनसंचार संस्थान से प्रशिक्षित और दूरदर्शन में कार्यरत पत्रकार सत्येंद्र मुरली की शाम चार बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। विषय जितना अहम था, सुनने वाले पत्रकारों की संख्या उतनी ही कम। मुरली ने अपनी जमी-जमायी नौकरी को दांव पर लगाते हुए दावा किया कि 8 नवंबर की रात 8 बजे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपना जो संदेश ‘अचानक’ प्रसारित कर के 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फ़रमान सुनाया था, वह ‘अचानक’ नहीं था। वह वीडियो ‘लाइव’ नहीं, पहले से ‘रिकॉर्डेड’ था।
यह बात जितनी गंभीर है, उसे समझाना उतना ही आसान है। दिक्कत यह है कि सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो जानें के बाद भी अगर पत्रकारों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि नोटबंदी क्या बला है, तो घोषणा के लाइव होने या रिकॉर्डेड होने की बात दूर की कौड़ी ही कही जाएगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद बमुश्किल दर्जन भर पत्रकारों में एकाध ने जो सवाल किए, उससे यह समझ में आता है। किसी ने पूछा कि इससे क्या फ़र्क पड़ता है। किसी ने मुरली का दूरदर्शन में पद पूछ लिया। कोई झटक कर चल दिया तो कोई मुस्कराता रहा।
%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%b8-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%9e%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%bfमुरली ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है, ”मैं बतौर दूरदर्शन समाचार में कार्यरत पत्रकार सत्येन्द्र मुरली जिम्मेदारीपूर्वक दावा कर रहा हूं कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लाइव नहीं था, बल्कि पूर्व रिकॉर्डेड और एडिट किया हुआ था। 8 नवंबर 2016 को शाम 6 बजे आरबीआई का प्रस्ताव और शाम 7 बजे कैबिनेट को ब्रीफ किए जाने से कई दिनों पहले ही पीएम का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लिखा जा चुका था और इतना ही नहीं, मोदी ने इस भाषण को पढ़कर पहले ही रिकॉर्ड करवा लिया था। 8 नवंबर 2016 को शाम 6 बजे आरबीआई से प्रस्ताव मंगवा लेने के बाद शाम 7 बजे मात्र दिखावे के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई गई जिसे मोदी ने ब्रीफ किया। किसी मसले को ब्रीफ करना और उस पर गहन चर्चा करना, दोनों में स्पष्ट अंतर होता है। मोदी ने कैबिनेट बैठक में बिना किसी से चर्चा किए ही अपना एकतरफा निर्णय सुना दिया। यह वही निर्णय था जिसे पीएम मोदी पहले ही ले चुके थे और कैमरे में रिकॉर्ड भी करवा चुके थे। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा THE GOVERNMENT OF INDIA (TRANSACTION OF BUSINESS) RULES, 1961 एवं RBI Act 1934 की अनुपालना किस प्रकार की गई होगी? क्या इस मामले में राष्ट्रपति महोदय को सूचना दी गई?”
सत्येंद्र मुरली ने इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय में सूचना के अध्रिकार के तहत एक आवेदन किया था। उस आवेदन को दूसरे विभागों के पास भेज दिया गया है। प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक:
”इस बारे में RTI के जरिए पूछे जाने पर (PMOIN/R/2016/53416), प्रधानमंत्री कार्यालय ने जवाब देने की जगह टालमटोल कर दिया और आवेदन को आर्थिक मामलों के विभाग और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को भेज दिया. RTI ट्रांसफर का नंबर है – DOEAF/R/2016/80904 तथा MOIAB/R/2016/80180. यह रिकॉर्डिंग पीएमओ में हुई थी, लिहाजा इस बारे में जवाब देने का दायित्व पीएमओ का है।”
rti-to-pmoमुरली के दावे को यदि सही माना जाए तो केंद्र सरकार के इस फैसले पर एक गंभीर सवाल खड़ा हो जाता है। इसे तकनीकी तरीके से समझने के बजाय ऐसे समझें कि सभी विपक्षी दल विमुद्रीकरण या नोटबंदी के फैसले से सैद्धांतिक तौर पर सहमत हैं, लेकिन उसे लागू करने के तरीके से उनका विरोध है कि यह काम ‘अचानक’ क्यों किया गया। सरकार का तर्क है कि काले धन के खिलाफ कार्रवाई ‘अचानक’ ही की जा सकती थी वरना इसके मालिकों को काला धन सफेद बनाने का वक्त मिल जाता और योजना की मूल मंशा ही चौपट हो जाती।
मुरली का दावा फैसले की घोषणा में ‘अचानक’ वाले तत्व को चुनौती देता है। अगर रिकॉर्डिंग पहले की गई, तो ज़ाहिर है कोई कैमरामैन होगा जिसने संदेश रिकॉर्ड किया होगा। फिर कोई एडिटर होगा जिसने उसे संपादित किया होगा। उसके बाद उसे प्रसारित करने वाली टीम रही होगी- कोई रनडाउन पर होगा, कोई प्रोड्यूसर होगा, कोई पैनल पर होगा। कुल मिलाकर दस से पंद्रह लोगों को दूरदर्शन के भीतर यह ख़बर पहले से रही होगी। ज़ाहिर है, दूरदर्शन के आला अधिकारी भी इससे अछूते नहीं रहे होंगे। जब इतने लोगों को इतने बड़े फैसले की ख़बर थी, तो गोपनीयता का सवाल कहां रह जाता है?
दूसरी और अहम बात वह है जो मुरली कह रहे हैं। देश की जनता को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बताया गया है कि शाम 6 बजे आरबीआइ का नोटिफिकेशन आया, सात बजे कैबिनेट की बैठक हुई और आठ बजे प्रधानमंत्री का संदेश प्रसारित हुआ। मुरली की बात सही है तो जेटली की बात गलत होगी। दोनों एक साथ सही नहीं हो सकते। यह देश की चुनी हुई सरकार के झूठ बोलकर अपने फैसले को मान्यता दिलवाने का एक अभूतपूर्व किस्सा होगा जैसा आज़ाद भारत में कभी नहीं देखा गया।
बात यहीं नहीं थमती क्योंकि एक और झूठ है जो देश से बोला गया है। वो है नरेंद्र मोदी के ऐप से किए गए सर्वे का नतीजा, जो कहता है कि 90 फीसदी से ज्यादा जनता इस फैसले को सही मानती है। यह तो सफ़ेद झूठ है क्योंकि हम जानते हैं कि केवल 22 फीसदी लोगों के पास स्मार्टफोन हैं। यह कोई चुनावी सर्वे नहीं था जिसमें सैंपल के आधार पर सरलीकरण कर दिया जाए। कुल मिलाकर जिन पांच लाख लोगों ने इस फैसले को सही ठहराया है, वे कुल आबादी का 0.007 फीसदी हैं।
दिलचस्प यह है कि ट्विटर और फेसबुक पर ठीकठाक सर्कुलेट होने के बावजूद इस खबर को केवल आजतक की वेबसाइट ने मुख्यधारा के मीडिया संस्थानों में अपने यहां जगह दी है, जबकि प्रेस कॉन्फ्रेंस के मंच पर दिलीप मंडल जैसे वरिष्ठ संपादक मुरली के समर्थन में बैठे थे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कुछ और पत्रकारों ने अपने स्तर पर इस सूचना की पुष्टि करने की कोशिश की। मीडियादरबार चलाने वाले पत्रकार सुरेंद्र ग्रोवर ने दूरदर्शन के उच्च सूत्रों से इसकी पुष्टि की है।
- Arun Jaitley
- Demonetization
- dilip mandal
- Doordarshan
- iimc
- Live address to nation
- Narendra Modi
- PM
- Pre-recorded
- PRESS CLUB OF INDIA
- RBI
- Satyendra Murli
- Sudden