मामला तब खुला जब भारत बायोटेक ने सिंगापुर स्थित एक ऑफशोर कंपनी को 45 लाख डॉलर का एडवांस दिलाने की कोशिश की जबकि उसका नाम भी कांट्रैक्ट में नहीं था। वैक्सीन आयात करने की प्रक्रिया से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस भुगतान पर सवाल उठा दिया और इसे लेकर राष्ट्रपति से मुलाकात भी की। यह सीधे-सीधे सरकारी ख़ज़ाने पर डाका डालने की कोशिश थी।