असमी चैनल का खुलासा-इंडिया टुडे ने ख़ुद मशाल थमा कर खींची ‘मुस्लिम मीटिंग’ की तस्वीर!



क्या देश की नंबर एक पत्रिका होने का दावा करने वाली इंडिया टुडे, ख़बर को मसालेदार बनाने के लिए झूठ का तड़का लगाती है? वह भी तब, जब ऐसा करने का मतलब किसी क्षेत्र विशेष में आग लगाना हो!या आग में पेट्रोल डालने जैसा हो!

अफ़सोस कि इस सवाल का जवाब है- हाँ।

यह कोई आरोप नहीं है। असमी भाषा के एक बड़े न्यूज़ चैनल ‘प्रतिदिन टाइम्स’ ने इंडिया टुडे के ताज़ा अंक में कौशिक डेका की ख़बर को निशाने पर लेते हुए कई प्रमाण पेश किए हैं जो बताते हैं कि ख़बर के साथ दी गई एक तस्वीर के ज़रिए एक झूठा तथ्य गढ़ा गया जो ‘नागरिकता’ को लेकर बने जारी तनाव भरे माहौल में आग डालने जैसा है।

 

इंडिया टुडे की इस कवर स्टोरी में एक तस्वीर है। इसमें धुबरी ज़िले के टूली गाँव के मुसलमान रात में मशाल थामे नज़र आ रहे हैं। इंडिया टुडे के मुताबिक राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में नाम न दर्ज करा पाने से नाराज़ मुसलमान गाँव-गाँव मीटिंग कर रहे हैं। रात गहराते ही ऐसी बैठकें होने लगती हैं। तस्वीर के नीचे यही सूचना दर्ज है।

 

ज़़ाहिर है, ऐसी ख़बरों से सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। पर प्रतिदिन टाइम्स  का दावा है कि यह तस्वीर ही झूठी है। उसने दिखाया है कि कैसे इस फोटो को ‘बनाने’ के लिए ग्रामीणों को तैयार किया गया। इसके लिए इलियास रहमान नाम के एक व्यक्ति की मदद ली गई। दिलचस्प बात है कि तस्वीर गढ़ने की पूरी प्रक्रिया इलियास ने वीडियो बना लिया था जो प्रतिदिन टाइम्स की रिपोर्ट का हिस्सा है। प्रतिदिन के कैमरे पर इलियास ने पूरा क़िस्सा बयान किया है। यही नहीं, एक और शख्स ने इंडिया टुडे के प्रतिनिधियों द्वारा तस्वीर बनवाने की बात की तस्दीक की है। तस्वीर में दिख रहे मुसलमानों को यह विश्वास दिलाया गया ऐसी तस्वीर खिंचाने से उनकी बात दिल्ली तक पहुँच जाएगी।

यह सिर्फ कौशिक डेका जैसे रिपोर्टर पर सवाल नहीं है। यह इंडिया टुडे जैसी पत्रिका की नीयत पर सवाल है। ऐसे तनाव भरे माहौल में जिस संवेदनशीलता की ज़रूरत है, वह उसमें क्यों नहीं है। जो मशालें उजाले के लिए होती हैं, उनकी तस्वीरें आग लगाने के काम आएँ तो लाभ किसका और नुकसान किसका। क्या कोई रिपोर्टर ख़बर और संपादक पत्रिका बेचने के लिए समाज में आग लगा सकता है!

(तस्वीर में स्थानीय लोगों के साथ इंडिया टुडे का रिपोर्टर और कैमरामैन)

पत्रकारिता कौन कर रहा ह?  क्षेत्रीय चैनल प्रतिदिन टाइम्स या फिर  दिल्ली से निकलन कर ‘राष्ट्रीय’ होने का दर्प लिए इंडिया टुडे?

क्या इंडिया टुडे, प्रतिदिन टाइम्स को जवाब देगा ?

आप प्रतिदिन टाइम्स की यह रिपोर्ट नीचे देख सकते हैं–