(यह लेख, 5 साल पहले लिखे गए लेख का वर्तमान समय में विस्तार है। इसे 2016 में सबरंग के लिए लिखा गया था, लेखक का मानना है कि इसकी प्रासंगिकता अब और बढ़…
[एक्टिविस्ट-सुधारक स्वामी अग्निवेश नहीं रहे। स्वामी अग्निवेश के सामाजिक परिवर्तन, बंधुआ मुक्ति – ख़ासकर हरियाणा जैसे राज्य में सुधारक और न्याय के लिए लड़ने वाले एक्टिविस्ट के तौर पर काम के साथ, इतिहास…
अमर सिंह भी मर ही गए ! इसे किसी संवेदनहीन और रूखी टिप्पणी की तरह मत देखिए। धरती पर ‘अमर‘ कोई नहीं है, नाम भले ही अमर हो। अब सौ टके का सवाल…
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के संवैधानिक आचरण को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। जिस तरह उन्होंने मंत्रिपरिषद की विधानसभा सत्र बुलाने की दोबारा मिली अनुशंसा की फाइल भी लौटा दी है,…
चितरंजन भाई अपने गांव लौट गए थे. कुछ महीने पहले. ग्राम सुल्तानपुर, तहसील बांसडीह, जिला बलिया, घाघरा का कछार और दियारे के एक कोने में ऊंचाई पर टिका गांव. चितरंजन भाई अपने जीवन…
आदरणीय चितरंजन भाई से अभी 10 अक्टूबर को टाउनहाल बलिया में बहुत दिनों बाद मुलाकात हुई थी । PUCL के साथियों द्वारा जय प्रकाश जी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम का अवसर…
उसको एस्ट्रोफ़िज़िक्स (खगोल भौतिकी) से प्यार था। वह चांद को अनंतकाल तक निहार सकता था। उसकी दिलचस्पियां, फिल्मों से कहीं आगे और इतर थी। ऐसा सुशांत सिंह के दोस्त उसके बारे में बताते…
अंग्रेज़ी के मशहूर लेखक, चार्ल्स डिकंस का उपन्यास है “अ टेल ऑफ़ टू सिटीज़”(दो शहरों की गाथा), उसी किताब के शीर्षक से इस लेख का शीर्षक उधार लिया गया है। इसकी तीन वजह…
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी 21 मई 1991 को आतंकवादी हमले में शहीद हो गये थे। आज उनकी पुण्यतिथि है। समय बीतने के साथ यह मानने वालों की तादाद बढ़ रही है कि राजीव…
विज्ञान के इतिहास में मार्क्स ने जिन महत्त्वपूर्ण बातों का पता लगाकर अपना नाम अमर किया है, उनमें से हम यहाँ दो का ही उल्लेख कर सकते हैं; फ्रेडरिक एंगेल्स पहली तो विश्व…
1 मई को आज जब हम अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाते हैं, तो इसके इतिहास में जाने की ज़हमत नहीं उठाते हैं, लेकिन ये इतिहास की लंबी लड़ाई से उपजे अधिकारों का सिलसिला है।…
प्रदीप कुमार बनर्जी नहीं रहे। वे सर्वकालिक मशहूर फुटबॉलर थे, जिन्होंने कैंसर जैसे रोग पर अपनी जिजीविषा से विजय पायी थी। पीढ़ियों तक वे फुटबॉलरों के पितामह रहे। शुक्रवार को दिल का दौरा…
रूपेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार के बतौर झारखंड में 2014 से काम कर रहे थे। इनके लेख व रिपोर्टिंग कई पत्रिकाओं जैसे समयांतर, तीसरी दुनिया, दस्तक, फिलहाल, तलाश, बिरसा भूमि, अभियान, देश-विदेश आदि…
ट्रेड यूनियन नेता, ए. के. रॉय, जिनका अभी हाल ही में निधन हुआ, भारतीय राजनीति के एक ऐसे युग के प्रतिनिधि थे जो निश्चित तौर पर और व्यापक रूप में जो अब अतीत…
‘‘क्या कोई ऐसा गाना भी फिल्म में है जिसमें मुक्का, थप्पड़ चलाने की बात है?’’ मनीष ने पूछा, तो मैंने बताया-‘‘हां ‘जिगरी दोस्त’ फिल्म का गाना है जिसमें जितेन्द्र और महमूद गाते हैं…
आरएसएस और मेरा रिश्ता बहुत पुराना है. दूसरी कक्षा में थी जब मेरा एडमिशन सरस्वती शिशु मन्दिर विद्यालय, छतरपुर में हुआ. उस वक़्त शहर में दो ही बड़े स्कूल हुआ करते थे- एक…
मार्क्सवादी चिंतक तथा धनबाद से तीन बार सांसद रहे एके रॉय का निधन भारत में क्रांतिकारी आंदोलन के एक युग के अंत का द्योतक है। 1989 में संसद में सांसदों के वेतन-भत्ते में…