यूपी के कई ज़िलों में बाढ़ से तबाही, रोटी, पानी, मकान का संकट, बीमारी अलग से!

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
उत्तर प्रदेश Published On :


उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ ने भरी तबाही मचाई है। हालांकि कई जगह जलस्तर घट गया है  लेकिन बाढ़ अपने पीछे जो हाल छोड़ गयी है, उससे लोगों के दिमाग और सेहत दोनो पर असर पड़ रहा है। बुंदेलखंड और सेंट्रल यूपी के कई जिले बाढ़ से प्रभावित थे। वहां अब बाढ़ जैसे हालात नहीं है, पानी भी न के बराबर है। लेकिन उतरा पानी गांवों से चैन- सुकून भी अपने साथ ले गया है।

बाढ़ के कारण गांव के जो लोग पलायन कर गए थे वह अब वापस लौट रहे हैं लेकिन न उनके पास पेट भरने के लिए राशन है और न ही सर छुपाने के लिए घर के हालात सही हैं। जीवन को दोबारा पटरी पर लाने के लिए उनके पास प्रशासनिक और सामाजिक संगठनों की राहत का ही सहारा है।

जालौन जिले में घर गृहस्थी के सामान बर्बाद..

जालौन जिले में यमुना और सिंध नदी का जलस्तर भी घटना शुरू हो गया है। लेकिन पानी ने हजार तरह की समस्याएं पैदा कर दी है। लोगो के घर गृहस्थी के सामान बर्बाद हो चुका है। न खाना बनने का ठिकाना है और न खाने का,ग्रामीणों को तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है।

डिकौली गांव में खाने पीने की समस्या..

डिकौली गांव में भी इसी तरह की समस्याएं हैं। ग्रामीणों को एक वक्त का खाना खाने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है, घरों में जो राशन मौजूद था वो भी बाढ़ के पानी में डूब कर सड़ चुका है।

रामपुरा में प्लास्टिक के तिरपाल में रह रहे लोग..

रामपुरा में जिनके घर बाढ़ से ढह गए हैं वह परिवार प्लास्टिक के तिरपाल डालकर रह रहे हैं। रामपुरा के बिलौड़ गांव में ग्रामीणों में गंदगी और ठंड से बीमारियां फैल रही हैं।  बुखार, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों से ग्रामीण पीड़ित हैं और दूरी अधिक होने के कारण अभी उन्हें इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है। ऐस ही रहा तो हालत और खराब हो सकते हैं। कोरोना के बीच ऐसे लक्षण गांव में संक्रमण फैलने का कारण भी बन सकते हैं।

गावों में गंगादी से बीमारियां फैल रही..

विकास खंड सुमेरपुर व कुरारा के बाढ़ की चपेट में आए पीड़ितों में भी बीमारियों फैल रही हैं। बीमारियों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की 71 टीमें लगाई गई हैं।

अस्ता, नौरी, सिक्रोडी, बिजलपुर, फरिहा में कई लोग बुखार से पीड़ित हैं.  जिला प्रशासन के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम गांवों में महामारी फैलने से पहले ही दवाओं का छिड़काव कर रही है। घरों में जलजमाव के कारण बर्बाद हुए अनाज और भूसे की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं हो पाया है।

इटावा के गांव में लोगों के घर ध्वस्त..

इटावा में भी अब चंबल और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे पहुँच चुका है। अब बाढ़ तो खत्म हो गई है लेकिन गांवों के इलाकों में पानी निकलने के बाद ग्रामीणों को काफी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। बाढ़ के दौरान ग्रामीण पलायन कर गए थे। लेकिन अब जब वह गांव वापस लौट रहे तो बर्बाद हो चुके हैं। गांव में जो घर जर्जर थे वो तो ध्वस्त हो गए हैं और जो पक्के थे उनमें पानी घुसने से काफी नुकसान हुआ है। ग्रामीणों के पास खुद का पेट भरने के लिए तो राशन की कमी है ही ऐसे में जानवरों को चारा कहा से लाया जाए। केवल प्रशासनिक राहत और सामाजिक संगठनों का ही सहारा है।

कानपुर देहात में भी जलस्तर खतरे के निशान से नीचे..

कानपुर देहात में भी अब यमुना नदी में जलस्तर खतरे के निशान से काफी नीचे आ गया। मूसानगर क्षेत्र के नयापुरवा, हलिया, चपरघटा, मुसरिया आदि गांवों के रास्ते जो बाढ़ के पानी की वजह से बंद कर दिए गए थे वो भी खुल गए हैं। लेकिन खाने पीने की समस्या को देखते हुए प्रशासन की ओर से गांवों मेें राहत सामग्री पहुंचाने और समाज सेवियों द्वारा लोगों को लंच पैकेट आदि बाटने से थोड़ी राहत हैं।

गांवों में जलस्तर घटने के बाद अब चारों तरफ फैली गंदगी से बीमारी के हालात बन रहे हैं। ऐसे में इसका जल्द से जल्द प्रशासन को इंतजाम करने की जरूरत है और जिन गांवों में बीमारी फैल रही है उन्हे कोरोना से बचाने के लिए लोगो को टीकाकरण करवाने के लिए जागरूक करने की जरूरत है। उन्हें जल्दी टीका लगाया जाए, जिससे बीमारी अधिक फेल न सके।

मिर्जापुर के घाट पर बाढ़ में तैरा पक्का मकान..

मिर्जापुर जिले की बात करे तो यह भी गंगा की रफ्तार में गुरुवार को कमी दर्ज की गई। लेकिन जो क्षेत्र बाढ़ की चपेट में रहे वहा पर भरी नुकसान हुआ है। बाढ़ से जहां सैकड़ों गांव पानी से घिरे रहे, वहीं सड़कों पर पानी भरने से आवागमन पूरी तरह ठप रहा। इस दौरान बरियाघाट पर बढ़ में तैरते एक मकान की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसमे ईंट पत्थर से निर्मित घर तैरता नजर आ रहा है। वीडियो के इस मंजर को देख लोग आश्चर्यचकित है।

इससे सोचा जा सकता है की बाढ़  का कितना आतंक होगा जिसने पक्के मकान को भी उखड़ दिया। यह नजारा खौफनाक है और किस तरह की तबाही हुई है इससे समझा जा सकता है।

पानी तो घट गया लेकिन बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों की समस्या कम नहीं हुई। छानबे, कोन, सिटी, मझवां, पहाड़ी, सीखड़, नरायनपुर विकास खंड समेत विंध्याचल व चुनार के तटवर्ती इलाकों में अधिकांश गांव बाढ़ के पानी से घिरे रहे। बाढ़ के चलते हजारों एकड़ खेत जलमग्न हो गए हैं। खरीफ फसल के साथ सब्जियों की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो गयी।

प्रयागराज में आधे आधे घर बाढ़ की चपेट में, नुकसान ही नुकसान..

प्रयागराज में अभी गंगा, यमुना का जलस्तर स्थिर नहीं है। कभी पानी बढ़ रहा है तो कभी घट रहा है ऐसे में नैनी, फाफामऊ , करेलाबाग और कुछ इलाकों में अभी भी आधे घर पानी में डूबे हैं। जिनके घर एक मंज़िल के है वो तो घर छोड़ कर कही और चले गए हैं और जिनके घर में दो मंज़िल के है वह ऊपर रह रहे हैं। लेकिन समस्या वही है कि घर का सामान पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। कुछ समाजसेवी ऐसे इलाकों में नाव के जरिए जा कर खाने पीने का सामान दे रहे है। जिससे लोगो को कुछ हद तक राहत मिल रही है। लेकिन पूरी तरह पानी निकलने के बाद बाढ़ बर्बादी छोड़ जायेगी इससे इंकार नहीं किया जा सकता।


Related