‘जगदेव-कर्पूरी संदेश यात्रा’: माफ़ीवीर सावरकर के वारिस देशभक्ति के दावे के साथ बेच रहे हैं देश!

विशद कुमार विशद कुमार
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सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) और बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के बैनर तले किसान आंदोलन के साथ एकजुटता में जारी ‘शहीद जगदेव-कर्पूरी संदेश यात्रा’ का आज 23 फरवरी को समापन हो गया। इस मौके पर पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस की बेतहाशा मूल्य वृद्धि के खिलाफ भागलपुर स्टेशन चौक पर प्रतिवाद प्रदर्शन व सभा आयोजित हुई।

प्रदर्शन व सभा की शुरुआत डॉ.अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ बहुजन नायक संत गाडगे और ब्रिटिश राज में किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के अग्रदूत अजित सिंह (शहीद भगत सिंह के चाचा) को उनके जन्म दिवस के मौके पर श्रद्धांजलि देने के साथ हुई।

इस मोके पर बतौर मुख्य वक्ता सभा को संबोधित करते हुए बहुजन बुद्धिजीवी व प्रोफेसर डॉ.विलक्षण रविदास ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार का हरेक कदम 100 में 90 बहुजनों के खिलाफ है। इस सरकार के हरेक फैसले से बहुजन धन, धरती, राजपाठ, शिक्षा-रोजगार और संवैधानिक-लोकतांत्रिक अधिकारों से बेदखल हो रहे हैं। वे गुलामी, भूख व अधिकार हीनता के अंधेरे की तरफ धकेले जा रहे हैं। उनके हिस्से की सारी उपलब्धियां खत्म हो रही हैं।

सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम और रामानंद पासवान ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार पूंजीपतियों को टैक्स में छूट दे रही है और पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढाकर जनता को लूट रही है। अभी सरकार पेट्रोल पर तकरीबन 60 और डीजल पर 54 प्रतिशत टैक्स लेती है। यह टैक्स लगातार बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार जनता पर लगाए गए टैक्स को कम करे और काॅरपोरटों पर टैक्स बढ़ाने का काम करे।

बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के सोनम राव और अनुपम आशीष ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 बहुजनों के लिए स्कूल-कॉलेज-विश्वविद्यालय का दरवाजा बंद करने के लिए है। क्योंकि शिक्षा नीति-2020 सरकारी स्कूल-कॉलेज-विश्वविद्यालय को बड़े पैमाने पर बंद होने का रास्ता खोलेगा। सरकार निजीकरण बेरोजगारी बढ़ाने के साथ एससी, एसटी व ओबीसी का आरक्षण खत्म कर रही है। बहुजनों के लिए खासतौर पर रोजगार के अवसर को खत्म कर रही है।

सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के अर्जुन शर्मा और डॉ.अंजनी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस में लगातार हो रही मूल्य वृद्धि, आम अवाम का जीना मुश्किल कर रही है। महंगाई आसमान छू रही है। तो दूसरी तरफ नरेन्द्र मोदी सरकार सब कुछ पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। अंग्रेजों से माफी मांगने वाले सावरकर के वारिस देशभक्त होने का दावा करते हैं और देश को बेच रहे हैं। पूंजीपतियों का मुनाफा बढ़ाने और मजदूरों को बंधुआ बनाने के लिए चार श्रम संहिता थोप रही है।

मौके पर बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के मिथिलेश विश्वास और निर्भय कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय समाज में धन-संपदा, नौकरी, शिक्षा एवं राजनीतिक प्रतिनिधित्व ये सभी मामले जीवन के हर क्षेत्र में मनुस्मृति आधारित, वर्ण-जाति आधारित, असमानता का श्रेणीक्रम आज भी पूरी तरह कायम है। लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ब्राह्मणवादी-पूंजीवादी गुलामी बढ़ा रही है। सवर्णों को आरक्षण देने के साथ एससी, एसटी व ओबीसी के आरक्षण को खत्म कर रही है। लैटरल इंट्री के जरिए नियुक्ति हो रही है।

सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रंजन कुमार दास और बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के सौरव राणा ने कहा कि तीनों कृषि कानून पहले से तबाह देश के असली किसानों की कमर तोड़ देगा। खेत-खेती पर कॉरपोरेटों का कब्जा होगा। आजादी के इतने वर्षों में भूमि सुधार और बहुजनों को भूमि अधिकार की गारंटी नहीं हो पाई है, अब जमीन पर कॉरपोरेट का कब्जा होगा। बहुजनों द्वारा हासिल थोड़ी बहुत जमीन भी छिन जाएगी। कॉरपोरेट नये जमींदार होंगे।

सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रिंकु यादव ने बताया कि नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा ब्राह्मणवादी-पूंजीवादी गुलामी को बढ़ाने और संविधान व लोकतंत्र का गला घोंटने के परिदृश्य में शहीद जगदेव-कर्पूरी का संदेश कि ‘बहुजन हो एक’, ब्राह्मणवादी-पूंजीवादी हमले के खिलाफ संघर्ष करो तेज हो’ के आह्वान के साथ किसान आंदोलन के साथ एकजुटता में ‘शहीद जगदेव-कर्पूरी संदेश यात्रा’ आयोजित की गई थी। यात्रा के क्रम में भागलपुर जिला के सौ से ज्यादा गांवों में ग्रामीणों से संवाद किया गया।

चौक-चौराहों-नुक्कड़ों पर सभा की गई। यात्रा कॉरपोरेट पक्षधर किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों, पूंजीपति पक्षधर व मजदूरों को बंधुआ बनाने वाले चारों श्रम संहिता, बिजली बिल-2020, नई शिक्षा नीति-2020, निजीकरण, एससी, एसटी व ओबीसी के आरक्षण पर हमले व लोकतांत्रिक आंदोलन के दमन के खिलाफ निजी क्षेत्र, न्यापालिका, मीडिया सहित सभी क्षेत्रों में एससी, एसटी व ओबीसी की आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी तय करने, जाति जनगणना कराने, जेल में बंद लोकतांत्रिक आंदोलन के कार्यकर्ताओं-बुद्धिजीवियों की रिहाई के मुद्दों पर केन्द्रित था।

यात्रा के समापन और आज 23 फरवरी के प्रतिवाद प्रदर्शन में रिंकु यादव, संजीव कुमार दास, राजेश रौशन, अभिषेक आनंद, गोलू,राजीव रंजन, अभिमन्यु, ॠषि राज, बाल्मिकी दास, मृत्युंजय, सिंटू, मो.परवेज, अंकेश कुमार, शहजादी खातून, सुशील यादव, नवल पासवान, निवास पासवान, मुकेश यादव, जियाउद्दीन, सुदामा यादव, अभिनंदन, साजन, इंदल शर्मा, दीपक पासवान, पांडव शर्मा, गुलशेर अंसारी, मनीष कुमार, अमित शर्मा, प्रशांत गौतम, सूरज पटेल, बोढ़न दास, सूरज, लक्ष्मीकांत दास, महेश अंबेडकर, संजय रजक सहित अन्य लोग मौजूद थे।


विशद कुमार, स्वतंत्र पत्रकार हैं।