नीतीश भी चाहते हैं मज़दूरों को 12 घंटे चूसना, माले विधायकों का कड़ा विरोध

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भाकपा-माले के विधायक महबूब आलम, सत्यदेव राम व सुदामा प्रसाद ने आज बिहार के सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने की घोषणा का कड़ा विरोध किया है. माले विधायकों ने नीतीश कुमार से इस आदेश को अविलंब वापस लेने की मांग की है.

माले विधायकों ने कहा कि आज पूरे देश में प्रवासी मजदूरों की त्रासदी एक विकराल मानवीय संकट में बदल गई है. प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या अपने ही राज्य बिहार की है. अमानवीय परिस्थितियों में अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर मजदूर अपने घर वापस लौट रहे हैं. बिहार सरकार ने खुद कहा है कि कम से कम 29 लाख बिहारी प्रवासी मजदूरों ने घर वापसी के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया. वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है. लॉकडाउन ने ग्रामीण गरीबों की भी कमर तोड़ दी है.

माले विधायकों ने कहा कि मजदूरों को इस अमानवीय परिस्थिति से राहत देने की बजाए यूपी, मध्यप्रदेश व अन्य राज्य सरकारों की तर्ज पर आपकी भी सरकार काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने जा रही है. यह तो मजदूरों के साथ न केवल अन्याय है बल्कि लंबे संघर्ष के बाद हासिल उनके अधिकारों पर हमला है. श्रम कानूनों को खत्म करने के मतलब है मजदूरों के कोई भी अधिकार सुरक्षित नहीं रह जायेंगे और वे मालिकों के गुलाम हो जायेंगे.

विधायकों ने कहा कि हमें तो उम्मीद थी कि बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार कोई बेहतर योजना बनाएगी. उनमें अधिकांश स्किल्ड लेबर हैं और उनका उपयोग बिहार के नवनिर्माण में हो सकता था. यहां उद्योग धंधों के विकास में हो सकता था. लेकिन सरकार ठीक इसके उलट काम कर रही है. इससे न केवल बेरोजगारी बढ़ेगी बल्कि मजदूरों की जिंदगी और कठिन हो जाएगी.

इसलिए हमारी मांग है कि काम के घंटे नहीं बढ़ाए जाने चाहिए और सभी मजदूरों को रोजगार प्रदान करने के एजेंडे पर सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए.


विज्ञप्ति पर आधारित 


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