अख़बारनामा: पत्रकारिता पर सकारात्मकता कर बैठा नवोदय टाइम्स!


नवोदय टाइम्स का शीर्षक, “भारत अब कमजोर देश नहीं” किसी विदेशी अखबार का लगता है।


मीडिया विजिल मीडिया विजिल
काॅलम Published On :


संजय कुमार सिंह

आज नवोदय टाइम्स की लीड जबरदस्त है। जब मामला तू-तू-मैं-मै पर आ गया है और कर्नाटक का सियासी नाटक विधायकों में मार-पीट तक पहुंच गया है, कोलकाता की शनिवार की विपक्षी एकजुटता वाली रैली का असर आज भी है तथा अखबारों के पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिक्रिया, “नामदारों और नकारात्मकता का गठजोड़ है महागठबंधन” प्रमुखता से छाई हुई है तो नवोदय टाइम्स का शीर्षक, “भारत अब कमजोर देश नहीं” किसी विदेशी अखबार का लगता है। अमर उजाला और हिन्दुस्तान में केंद्र की नौकरियों में सामान्य वर्ग के गरीबों को एक फरवरी से आरक्षण जैसी सरकारी खबर लीड है तो सवाल था कि कौन सी खबर पढ़ी जाए।

वह भी तब जब दैनिक भास्कर ने, “वीकएंड पर दिल्ली-एनसीआर में बदला मौसम का मिजाज, अधिकतम तापमान 28 डिग्री पहुंचा” फ्लैग शीर्षक वाली खबर को सात कॉलम में फैला दिया है। अखबार के मुताबिक जनवरी का तीसरा संडे 10 साल में सबसे गर्म रहा। इस सप्ताहांत बारिश हो सकती है तो पारा गिरेगा और आबोहवा भी सुधरेगी। अखबार में “महागठबंधन भ्रष्टाचार, नकारात्मकता और अस्थिरता का गठबंधन : पीएम मोदी” सेकेंड लीड है। नवभारत टाइम्स ने इसी खबर को, “फिर चली मोदी गन, गठबंधन को बताया भ्रष्टाचार का संगम” शीर्षक से छापा है।

इन सुर्खियों के बीच नवोदय टाइम्स के चार कॉलम के शीर्षक ने खबर पढ़ने को मजबूर कर दिया। खबर कुछ अलग और अपेक्षाकृत नई तो लगती ही है। उपशीर्षक है, “बोले पीएम, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है भारत”। अखबार ने इसके तहत तीन खबरें छापी हैं। शीर्षक की शुरुआत होती है, “पहले घोटालों के लिए ही सारी दुनिया में सुर्खियों में रहता था भारत का नाम”। मुंबई डेटलाइन की इस खबर में बताया गया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश ‘सबसे कमजोर पांच देशों’ से निकलकर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में शुमार हो गया है। इसके साथ एक कॉलम का शीर्षक है, “राहुल ने साधा मोदी पर निशाना” और फिर सदाबहार खबर है, “महागठबंधन भ्रष्टाचार का गठबंधन : मोदी”।

अखबार ने आगे लिखा है, भाजपा के बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए (जी हां मुंबई से) संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘पहले भारत की सरकारें घोटालों की वजह से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहती थी। इन दिनों घोटालों पर नहीं, नई योजनाओं पर चर्चा होती है।’ उन्होंने कहा कि देश पिछले पांच साल में घोटालों को पीछे छोड़कर योजनाओं की तरफ बढ़ गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पांच साल पहले दुनिया भारत को ऐसे देश के तौर पर देखती थी जहां से सिर्फ घोटालों, बिजली की किल्लत और वित्तीय संकट की खबरें आती थीं। लेकिन अब नजरिया बदल चुका है और दुनिया भारत को विश्वास के साथ देखती है।

इसपर मुझे altnews.in का एक शीर्षक याद आया, “भाजपा ने पश्चिमी पेरीफेरल एक्सप्रेसवे में अपना काम दिखाने के लिए किया भ्रामक तस्वीरों का इस्तेमाल”। भाजपा के ट्वीट मैं नहीं देखता इसलिए मुझे यह ट्वीट नहीं दिखा था पर यह फोटो तो बिल्कुल पहचानी हुई है, दिल्ली से गाजियाबाद हम रोज इसी रास्ते आते-जाते हैं और मैं तो कम निकलता हूं जो रोज निकलते हैं वो तो पहचान ही लेंगे पर मामला सिर्फ दावा करने का हो तो कुछ भी किया जा सकता है। यह रहा वो ट्वीट और उसपर एक ट्वीटर उपयोगकर्ता की टिप्पणी। अल्ट न्यूज ने इसकी जांच कर पुष्टि की है कि कपिल सही कह रहे हैं।

ट्विटर यूजर कपिल (@kapsology) ने ट्वीट किया कि ये तस्वीरें पश्चिमी पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की नहीं हैं, जैसा भाजपा ने दावा किया है। उन्होंने लिखा, “बायीं ओर की तस्वीर लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे की है (2015) जिसे अखिलेश यादव ने 22 महीने में पूरा करवाया था। दाहिने तरफ की तस्वीर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के 10 किमी विस्तार की है जिसका मोदी ने 100 टीवी कैमरों के साथ उद्घाटन किया था।” -(अनुवाद)

आइए, अब आज के अखबारों के पहले पन्ने की कुछ खबरों से जानें कि दुनिया भारत को विश्वास के साथ देखती है तो दिखता क्या है। आप भी देखिए कि आपका अखबार क्या दिखा रहा है, क्या नहीं। कहने की जरूरत नहीं है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके बेटे की केमैन आईलैंड की कंपनी के पैसे भारत में एफडीआई के जरिए आने की खबर पर कुछ नहीं होगा। जो है उसकी बात करें तो हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर खबर है, “सरकार स्कूली बच्चों को फर्जी खबरों से निपटने के प्रति संवेदनशील बनाएगी”। अखबार ने इस खबर को सबसे नीचे बॉटम बनाया है। टॉप पर सिंगल कॉलम में एक अनजान सी महिला की फोटो है जिनका नाम संध्या सिंह लिखा है। इसके नीचे खबर का शीर्षक है, “मायावती के खिलाफ टिप्पणी के लिए भाजपा विधायक को राष्ट्रीय महिला आयोग ने नोटिस दिया”।

द टेलीग्राफ में पहले पहले पन्ने पर, “मोर्चा डंप्स बीजेपी” शीर्षक से दार्जिलिंग डेटलाइन की एक खबर छापी है। इसके मुताबिक, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ एक दशक पुराने संबंध को खत्म करने के अपने निर्णय की “आधिकारिक” घोषणा की। इससे उत्तरी बंगाल में चार लोक सभा सीटों पर चुनावी गणित प्रभावी हो सकता है। इनमें प्रतिष्ठा वाली दार्जिलिंग सीट शामिल है जो 2009 से भाजपा के पास है और मोर्चा की मदद के बगैर इसे जीतने की उम्मीद कोई भी पार्टी नहीं कर सकती है। मोर्चा के प्रेसिडेंट बिनय तमांग ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र देकर सूचित किया है कि वे महागठबंधन (तीसरी पार्टी) में शामिल होना चाहते हैं।

आपको याद होगा कि शनिवार की रैली को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्हें बचाओ-बचाओ की आवाज सुनाई पड़ रही है। भास्कर डॉट कॉम की खबर के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महागठबंधन को लेकर कसे तंज पर पलटवार किया। राहुल ने मोदी को योर हाईनेस बताते हुए कहा, 100 दिनों में देश को मोदी के अत्याचारों और अक्षमता से मुक्ति मिल जाएगी। दरअसल, मोदी ने शनिवार को कोलकाता में हुई विपक्ष की रैली पर कहा था कि लोकतंत्र का गला घोंटने वाले लोग आज बचाओ-बचाओ कह रहे हैं। इसपर राहुल गांधी ने कहा है, चिल्लाने की आवाज लाखों बेरोजगार युवाओं और किसानों की थी। क्या आपके अखबार ने बताया? महागठबंधन पर नरेन्द्र मोदी ने क्या कहा यह तो आपके अखबार ने बताया। इस संबंध में कल सोशल मीडिया पर एक कार्टून भी था आपने देखा?

ऐसा नहीं है कि घपले घोटाले अब नहीं होते हैं। अब सिर्फ खबरें कम छपती हैं। आज ही टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर छोटी सी खबर है, सीआरजेड (कोस्टल रेगुलेशन जोन) नियमों में ढील देने से सहारा समूह को करोड़ों रुपए का फायदा होगा। अखबार के मुंबई संस्करण में यह खबर चार कॉलम में है। खबर के मुताबिक समुद्र तट पर सीआरजेड में 100 मीटर तक निर्माण की अनुमति नहीं है। इससे समुद्र तट की जमीन का कोई मोल नहीं है। पर इन नियमों में ढील देने की बात चल रही है (हालांकि अभी घोषणा नहीं हुई है) और तट से 100 मीटर तक निर्माण की अनुमति न होने को सीमा को कम करके 50 मीटर कर दिया जाए।

कोलकाता रैली में शरद यादव रफाल को बोफर्स बोलते रहे। बाद में उन्होंने सुधार लिया था। इस बारे में कल ही अखबारों में खबर थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कल इस बारे में बोले। हिन्दुस्तान ने इसे पहले पन्ने पर छापा है, बोफर्स का जिक्र कर बोले सच सामने आ ही जाता है। सोशल मीडिया पर रंजीत कुमार ने याद दिलाया है कि अमित शाह भी ऐसी गलती कर चुके हैं और उन्होंने तो सिद्धरमैया सरकार की जगह येदुरप्पा की सरकार को भ्रष्ट बता दिया था। पर क्या तब किसी ने इतनी चिल्ला पों मचायी थी? यहां यह उल्लेखनीय है कि कल की रैली पर मोदी की प्रतिक्रिया को हिन्दुस्तान ने, “चुनाव से पहले ही डरा विपक्ष : मोदी” शीर्षक से छापा है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )