चुनाव चर्चा: बेलारूस में चुनावी धाँधली के ख़िलाफ़ अवाम सड़क पर

चन्‍द्रप्रकाश झा चन्‍द्रप्रकाश झा
ओप-एड Published On :


बेलारूस में चुनावी धांधली के खिलाफ अवाम सड़कों  पर उतर आई है. रविवार को सरकार-विरोधी प्रदर्शनों में जन सैलाब उमड़ पडा. बेलरूस की राजधानी मिंस्क में लाखों प्रदर्शनकारियों ने 9 अगस्त के चुनाव में राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको के फिर जीत जाने की घोषणा नकार दिया। अवाम ने  चुनावी धांधली के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरु कर चुनाव में पारदर्शिता लाने की  मांग को बुलंद किया. लेकिन 1994 से सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति लुकाशेंको ने इस पद से इस्तीफ़ा देने की मांग मानने से साफ इंकार कर दिया. उन्होने तर्क दिया कि नए चुनाव कराने की प्रदर्शनकारियों की मांग मान लेने से बेलारूस की मौत हो जाएगी।

लोग लुकाशेंको के हालिया चुनाव में 80% वोट हासिल करने के दावा को मानने तैयार नहीं हैं. देश में अशांति है. मुख्य विपक्षी पार्टी की उम्मीदवार स्वेतलाना तिख़ानोव्सना का दावा है कि अगर चुनावी धांधली नहीं होती तो उनकी जीत पक्की थी.  केंद्रीय चुनाव आयोग का कहना है कि लूकाशेंको ने 80.1 प्रतिशत मत और मुख्य विपक्षी उम्मीदवार स्वेतलाना तीखानोवस्काया ने 10.12 प्रतिशत मत हासिल किए. स्वेतलाना का कह्ना  है कि जहाँ भी मतगणना सही हुई है वहां उन को 70% तक मत मिले.


नेटो

 

लुकाशेंको ने यह आरोप लगा कर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मदद मांगी कि लोगो के विरोध के पीछे अमेरिका की अगुवाई वाले सैन्य संगठन, नेटो का हाथ है. पुतिन ने उनकी मदद करने की हामी भर दी है. लुकाशेंको के अनुसार पुतिन ने बेलारूस को बाहरी सैन्य ख़तरे की स्थिति में सुरक्षा देने का आश्वासन दिया है।

स्वेतलाना ने चुनाव के बाद पड़ोसी देश लिथुआनिया में शरण ले ली है। लुकाशेंको ने दो बार पुतिन से बात कर पोलैंड और लीथूआनिया में नेटो सैन्य अभ्यास पर चिंता व्यक्त की. नेटो ने लुकाशेंको के आरोप को खारिज किया है.  जब रूस ने क्राइमिया पर क़ब्ज़ा कर लिया तो नेटो ने ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अमरीकी बलों की चार टुकड़ियां बाल्टिक देशों में भेजी थीं.


जर्मनी, बेलारूस के खिलाफ यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों के विस्तार का समर्थन करने तैयार है. यूरोपीय यूनियन के नेताओं ने बेलारुस पर नए प्रतिबंधों लगाने का तय किया है. यूरोपीय यूनियन की प्रेसेडेंसी अभी जर्मनी के पास है. रूस के टीवी चैनलों पर बेलारूस के मौजूदा हालात की तुल ना यूक्रेन की 2014 की स्थिति से की जा रही है.

तब यूक्रेन में हुई पश्चिमी देशो द्वारा समर्थित ‘क्रांति’ के बाद रूस ने अपने सैन्य बलों को क्राइमिया पर क़ब्ज़ा करने भेजा था. रूस बेलारूस में भी वैसा ही कर  सकता है.

 

स्वेतलाना

 

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि लुकाशेंको ने धोखे से चुनाव जीता है. लुकाशेंको ने स्वेतलाना को ‘छोटी बच्ची’ बताते हुए आरोप लगाया कि वह ‘विदेशों ताक़त’ की कठपुतली बन गई हैं. 37 वर्षीय स्वेतलाना ने जेल में बंद अपने पति सर्गेई तिख़ानोव्सक्या की जगह चुनाव लड़ा जिन्हे सरकार ने चुनाव नहीं लडने दिया. सर्गेई ने बतौर ‘यूट्यूबर’ पूरे बेलारूस का दौरा कर अनेक  वीडियो अपने चैनल ‘अ कंट्री फ़ॉर लाइफ़’ पर पोस्ट किए. इन वीडियो में तानाशाही से नुक़सान का ब्योरा है. तब सरकार ने उन्हे जेल में बंद कर दिया. इस पर स्वेतलाना ने चुनाव में विपक्ष की बागडोर सम्भाल ली. वह अंग्रेजी की शिक्षिका और दो बच्चों की मां हैं. लिथुआनिया के विदेश मंत्री ने ट्वीट किया कि वह उनके देश में अपने बच्चों के साथ हैं. 17 अगस्त को लिथुआनिया से जारी वीडियो में स्वेतलाना ने कहा कि वह बेलारूस का नेतृत्व करने तैयार हैं और नए सिरे से चुनाव कराने की मांग करती हैं.

राष्ट्रपति लुकाशेंको ने स्वेतलाना को एक ‘छोटी बच्ची’ बताते हुए कहा कि वह ‘विदेशों  ताक़त’ की ‘कठपुतली’ बन गई हैं. राष्ट्रपति लुकाशेंको को चुनौती देने वाले एक प्रतिद्वंदी की जेल में ही मौत हो गई. तीसरा देश छोड़ कर भाग गया.



वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा का मंगलवारी साप्ताहिक स्तम्भ ‘चुनाव चर्चा’ लगभग साल भर पहले, लोकसभा चुनाव के बाद स्थगित हो गया था। कुछ हफ़्ते पहले यह फिर शुरू हो गया। मीडिया हल्कों में सी.पी. के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं। सी.पी. आजकल बिहार में अपने गांव में हैं और बिहार में बढ़ती चुनावी आहट और राजनीतिक सरगर्मियों को हम तक पहुँचाने के लिए उनसे बेहतर कौन हो सकता था। वैसे उनकी नज़र हर तरफ़ है। बीच-बीच में ग्लोब के चक्कर लगाते रहते हैं। रूस, अमेरिका, चीन की राजनीति पर नज़र डालने के बाद अब बारी बेलारूस की।