मोदी-शाह के सामने समर्पण की ‘हार्दिक’ इच्छा कैसे पूरी करती कांग्रेस!

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तो हार्दिक पटेल भी छोड़ गए हाथ का साथ। अब राहुल गांधी को निशाना बनाएंगे, मीडिया के जरिए पार्टी की छीछालेदर करवाएंगे और बीजेपी में अपनी जगह को मजबूत बनाएंगे। मामला काफी हद तक हिमंता बिस्वा सर्मा जैसा ही लग रहा है। उन्होंने कुत्ते की बात की थी, ये मोबाइल की बात कर रहे हैं। मगर मसला यह है कि जैसी अहमियत चाहते थे, वैसी नहीं मिली।

हार्दिक काबिल हैं, युवा हैं, महत्वाकांक्षी हैं। जाहिर है राज्य में अपनी पार्टी के जरिए जीतने की व्यावहारिक रणनीति पर काम करेंगे। ऐसा वे कर भी रहे थे। एक विशेषता उनकी यह भी है कि विचारधारा का कोई बंधन उन पर नहीं है। सो मुक्त भाव से जीतने की कारगर रणनीति बना सकते थे। वही उन्होंने किया भी। उनका कहना था कि गुजराती वोटरों के मन में मोदी और शाह का जो स्थान है उसका ध्यान रखते हुए लोगों तक अपनी बात पहुंचानी होगी। इस क्रम में उनका सुझाव था कि लोगों से कहा जाए आपने मोदी जी और शाह जी का तो भला कर दिया। अब टाइम आ गया है जब राज्य के दूसरे बच्चों के बारे में भी कुछ सोचें। उन्हें भी मौका दें।

निजी तौर पर हार्दिक के लिए जरूर वोटरों से इस तरह का संवाद फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन कांग्रेस के नजरिए से ऐसा करना आत्मघाती कदम होता। मोदी के प्रति किसी भी तरह की सहानुभूति या उनके किए-धरे को मान्यता देने का कोई भी भाव कांग्रेस नहीं प्रदर्शित कर सकती।

स्वाभाविक ही ऐसी स्थिति में हार्दिक जैसे नेता घुटन महसूस करेंगे। जैसा कि हिमंता बिस्व सर्मा भी करते थे। बहाना कोई भी मुद्दा बन सकता है, असल बात यही है कि बीजेपी में जाकर उन्हें खुलकर खेलने का मौका मिलेगा, जैसा कि बिस्व सर्मा को मिला। वे माहौल बिगाड़ने वाली जहरीली राजनीति को आगे बढ़ाने का नित नया नुस्खा निकालकर उसमें अपनी महारत साबित भी कर रहे हैं। आश्चर्य नहीं कि कुछ ही समय में हार्दिक उसी राह पर उनसे भी तेजी से बढ़ते नजर आएं।


प्रणव प्रियदर्शी

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनके फेसबुक से साभार।