प्रपंचतंत्र : भोलेनाथ-भक्त संवाद वाया इंटरनेट

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
काॅलम Published On :


अनिल यादव

कच्ची उम्र के एक सलोने युवा भक्त ने साढ़े चार साल व्हाटसैप साधना की.

अंगूठे रबड़ हो गए, आंखे कम तेल की ढिबरी हो चलीं और ग्रीवाशूल विकार हो गया. डेटा चूसने के साथ दिमाग का आयतन फैलने की गति बढ़ती जा रही थी. उसे पता था कि त्रेता में लंकाविजयोपरांत श्री रामचंद्र के अयोध्या लौट कर राजगद्दी संभालने के लगभग इतने ही समय बाद पुख्ता तौर पर ‘लता विटप मांगे मधु चुवहीं’ शैली का रामराज्य आ गया था.

एक दिन उसकी नजर भगवान भोलेनाथ की एक फोटो पर पड़ी जिसमें वह गणेश की सर्जरी कर हाथी के सर का प्रत्यारोपण कर रहे थे. प्राचीन भारत के वैज्ञानिक गौरव का रोमांचक दृश्य था जिसके नीचे निर्देश था- इक्कीस लोगों को शेयर करें समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.

वह ठिठक गया. मैने अनगिनत शेयर औऱ लाइक किए लेकिन अब तक एक भी मनोकामना पूरी नहीं हुई. क्या कारण हो सकता है. कहां कमी रह गई? वह गहन दृष्टि से भोलेनाथ की फोटो को एकटक देखने लगा. फोटो की चमक बढ़ती जा रही थी. अचानक स्फुरण हुआ, महादेव की उसकी ओर उन्मुख हुए और मृदुल गर्जना के साथ बोल पड़े, कहो भक्त, अपनी शंका कहो!

उसे लगा धोखे से कोई वीडियो चल गया है. उसने आदतन रबड़ के अंगूठों से तत्परतापूर्वक फोटो के नीचे टाइप किया, सेकुलर-वामी या खांग्रेसी हो क्या!

मोबाइल फोन स्विच आफ हो गया. स्क्रीन से धुआं निकलने लगा. एक मीठी शांत आवाज सुनाई दी- भक्त तो अत्यंत सम्मानित पद है तुम नाराज क्यों होते हो?

वह समझ गया इंटरनेट पर सवार होकर साक्षात महादेव आए हैं. सच बोलना चाहिए.

उसने प्रणाम करके कहा, भक्त संबोधन से खुजली होती है क्योंकि हमने भगवान के बजाय एक आदमी की भक्ति का अपराध किया है. हर हर महादेव के उद्घोष में आपकी जगह मोदी को फिट कर दिया है. हम इस गलती को समझते हैं लेकिन जब कोई दूसरा कहता है तो गुस्सा आता है. वैसे हम सनातनी हिंदू हैं, राष्ट्ररक्षा के काम में लगे हैं.

“यह सनातनी हिंदू क्या होता है वत्स?”

जो विधर्मियों के खून में सना हुआ तन कर चले वह सनातनी होता है. जो आंख बंद कर भाजपा को वोट दे वह हिंदू होता है.

इस सनातन हिंदू का तिरंगे झंडे का क्या संबंध है. तुम लोग हत्यारों, बलात्कारियों और घोटालेबाजों को बचाने के लिए जुलूस निकालते हो उसमें भी वह लहराया जाने लगा है. क्या यह उचित है?

“ओह…आप समझे नहीं. इन दिनों देश में हमारी सरकार है तो देश का झंडा किसका होगा. वह राजसत्ता का प्रतीक है. उसके उपयोग का अधिकार पाने के लिए ही साढ़े चार साल पहले वह प्रातः स्मरणीय प्रचंड जनादेश प्राप्त किया गया था.”

“और भारत माता…क्या उनकी सेवा करने से पहले तुमने उनसे अनुमति ली थी?”

“उनका क्या है. वह तो ममता की प्रतिमूर्ति हैं. बाल्यकाल में पिता, यौवन में पति और वृद्धावस्था में पुत्रों से रक्षित होने की धर्मसम्मत स्थापना के कारण हमारा दायित्व बनता है कि हम उनकी सेवा करें. उनसे इस प्रकार की अनुमति चुनाव में ली जाती है जो 2019 में होने हैं.”

“राजनीति में जय श्रीराम के नारे का क्या काम. ऐसा क्यों करते हो?”

“उससे कान्फिडेन्स आता है. विधर्मियों में भय का संचार होता है. हम उन्हें याद दिलाते हैं कि अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मंदिर बनाने के लिए जिस प्रकार बाबरी मस्जिद का ध्वंस किया था उनका भी करेंगे.”

“अच्छा यह बताओ तुम भारत माता या गौमाता में से किसके पुत्र हो. तुम्हारी वास्तविक माता तो एक ही होंगी?”

“हमारी अनंत माताएं हैं जिनका हम अवसरानुकूल उपयोग करते हैं. आप तो यह बताइए कि वर्षों से हजारों फोटो शेयर और लाइक करने के बाद भी मेरी कोई मनोकामना पूरी क्यों नहीं हुई?”

भोलेनाथ ने मुस्कराते हुए कहा, “अगर मैं सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान हूं तो तुम्हारे लाइक और शेयर पर निर्भर क्यों रहूंगा. यह शंका तो तुम उन्हीं के सामने रखो जो ऐसा दावा करते हैं.”

धुआं निकलना बंद हो गया, मोबाइल फोन स्विच ऑन हो गया और महादेव अंतर्ध्यान हो गए.