त्यागमूर्ति अंबानी पिछले जन्म में ज़रूर स्वतंत्रता सेनानी रहे होंगे!

विष्णु नागर विष्णु नागर
काॅलम Published On :


हिंदी अखबारों में पहले पेज पर खबर पढ़ी कि अपने सिरमौर उद्योगपति मुकेश अंबानी जी लगातार दो साल से रिलायंस इंडस्ट्रीज से वेतन नहीं ले रहे हैं तो मैं अचानक बहुत भावुक हो गया।रोकते-रोकते भी आंसू आ गए।इसे कहते हैं त्याग! एक मैं था,जब नौकरी करता था तो मैंने एक दिन का वेतन भी नहीं छोड़ा और ये इतने बड़े आदमी होकर भी एक तो बेचारे अपने ही संस्थान में नौकरी कर रहे हैं और ऊपर से एक रुपया भी वेतन नहीं ले रहे हैं! इतना ही नहीं,११ साल से ये , इतना ही वेतन ले रहे थे और अब उसे लेना भी छोड़ दिया है!

आप समझ सकते हैं कि अब मुझे अपने पर कितनी शर्म आ रही होगी! मन तो हुआ था एक बार कि कुएं में कूद जाऊं मगर कुआं आसपास कहीं है नहीं।नदी भी यहां से काफी दूर है।चलते -चलते ही इतना थक जाता कि इतनी ताकत नहीं बचती कि कूद पाता। ऐसे मामलों में परिवारजन और घनिष्ठ मित्र भी आपका साथ नहीं देते!एक रास्ता यह था कि टैक्सी-स्कूटर लेकर नदी तक जाता मगर अभी- अभी कांवड़ियों को मीलों पैदल चलते हुए देखा तो मेरे हिन्दू- मन को पैदल जाना ही उचित लगा।तो खैर, जनता- जनार्दन की इच्छा का सम्मान करते हुए मैंने कूदना स्थगित कर दिया है। इस स्थगन का एक और कारण भी है।अगर मैं नदी में कूद जाता तो आपको यह कौन बताता कि हमारे देश में कैसी- कैसी त्यागमूर्तियां आज भी मौजूद हैं मगर हम उनकी इज्जत करना नहीं जानते! अडाणी जी भी उन्हीं त्यागमूर्तियों में से एक हैं। उन्होंने अभी जून में घोषणा की कि वह ६० हजार करोड़ रुपये दान करेंगे। कितना बड़ा दिल पाया है उन्होंने कि बैंकों का अरबों का कर्ज सिर पे चढ़ा हुआ है मगर उसकी चिंता न करते हुए बंदा इतना बड़ा दान कर रहा है! कितना महान जज्बा है। यह भी एक कारण था कि मैंने कूदना पसंद नहीं किया। उनकी तरफ भी आपका ध्यान दिलाना जरूरी था।खैर।

मुझे अटूट विश्वास है कि मुकेश भाई ने अपना सारा वेतन, भत्ते, कमीशन सब प्रधानमंत्री स्वसहायता कोश में जमा करवा दिया होगा वरना वे ऐसा कठोर निर्णय क्यों करते! पिछले साल कोरोना था तो जनकल्याण में उन्होंने यह धन लगवा दिया होगा,इस साल उनका मिशन प्रधानमंत्री स्वसहायता रहा होगा!अगर अडाणी जी देश के लिए इतना त्याग कर सकते हैं तो अंबानी जी क्यों नहीं कर सकते!हर साल अंबानी जी १५ करोड़ रुपए सालाना वेतन लिया करते थे।दो साल के बने तीस करोड़ रुपए! कम नहीं होती इतनी राशि! जनकल्याण के लिए तो यह जरूरत से अधिक है! इसमें से पांच-दस करोड़ रुपए वापस अपनी जेब के हवाले किए जा सकते हैं!

बस एक ही चिंता मुझे सता रही है कि बिना तनख्वाह के बेचारों का खर्च कैसे चलता होगा? करीब १५ हजार करोड़ का २७ मंजिला इन्होंने महल बनाया है। आजकल तो हर शुभ-अशुभ काम सरकारी बैंक से कर्ज लेकर ही किया जाता है। अंबानी जी इसके अपवाद न होंगे।हर महीने इसकी किस्तें चुकाते होंगे!फिर इस महल में झाड़ू -पोंछे पर ही हर साल एक करोड़ खर्च करने पड़ जाते होंगे!दो- तीन करोड़ इस महल के निवासियों की सेवाटहल में लगे कर्मचारियों का वेतन होता होगा।फिर महल के बिजली-पानी के अलावा कारों आदि का मेंटेनेंस का खर्च भी दो -चार करोड़ से कम क्या होगा! छह- सात लोग इस महल में रहते हैं।उनका और उनके द्वारा दी गई शाही पार्टियों का न्यूनतम खर्च एक करोड़ से कम क्या आता होगा! फिर अंबानी जी की माता जी पर भी खर्च होता होगा।गृहस्थी में तो बहुत से खर्च लगे रहते हैं।बड़े लोग,बड़े खर्च! हमारा बजट बिगड़ जाता है तो उनका तो निश्चित ही बिगड़ता होगा! अकेले नीता अंबानी जी साल में कुल दो करोड़ पांच लाख रुपए कमाती हैं।उससे घर खर्च कैसे चलता होगा!इनके दो बेटे आदि कुछ कमाते हैं कंपनी से,इसका ब्योरा नहीं मिलता।कमाते भी होंगे तो दो -चार लाख महीना कमाते होंगे!उसका विवरण क्या देना!फिर बेटे-बहू की तनख्वाह पर आदर्श हिन्दू परिवार नज़र नहीं रखता!

फिर भी जज्बा देखिए कि वेतन, भत्ते, कमीशन कुछ नहीं ले रहे हैं! त्याग की भी कोई लिमिट होती है!आदमी पेट काटकर, बैंकों से कर्ज लेकर भी त्याग करता है। निश्चित रूप से पिछले जन्म में अंबानी जी स्वतंत्रता सेनानी रहे होंगे वरना ऐसा अतुलनीय त्याग आज कौन करता है ! अंबानी जी -अडाणी जी लगे रहो इसी तरह जनकल्याण में!घर -घर मोदी की तरह एक दिन घर -घर अंबानी भी होगा!समय सबके साथ न्याय करता है!