सीपी कमेंट्री: अमेरिका चुनाव, अजब अर्गो का ग़ज़ब किस्सा और बिहार का जादुई यथार्थ!


बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा और अंतिम चरण का प्रचार खत्म होने के वक़्त मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रमुख नीतीश कुमार ने खुले मैदान में कह दिया ये उनका आखरी चुनाव है. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रहमो-करम से पिछले 15 बरस के छोटे अंतराल को छोड़ लगातार मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होने चुनावी सभा में दिलो -दिमाग से कही अपनी पीड़ा के निहितार्थ का सियासी डैमेज कंट्रोल करने के लिए बाद में कुछ लीपापोती की. मगर उनके श्रीमुख से निकली बात का चुनावी असर वही हुआ जो प्रत्यंचा चढे धनुष से निकली तीर का होता है. उन्हे ये खूब पता भी है क्योंकि ‘तीर’ जदयू का चुनाव चिन्ह है. 


चन्‍द्रप्रकाश झा चन्‍द्रप्रकाश झा
काॅलम Published On :


अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव, बिहार चुनाव के पहले हुए, जिसकी मतगणना के रुझान से वहा रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प की हुकूमत चित हो गई. उनकी जगह डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बाइडेन को व्ह्वाइट हाउस की बागडोर अपने हाथ में लेने में 2020 का ये बरस गुजर जायेगा. इतिहास इसे वैश्विक आर्थिक महामंदी ही नहीं कोरोना कोविड-19 की नई महामारी के चौतरफा दीर्घकालिक बुरे परिणामो के कारण डिजास्टर इयर (विनाश वर्ष) दर्शायेगा. हम अमेरिका चुनाव के मायनो की चर्चा और बाद के आलेखो में करेंगे. 

 

अर्गो और सुधीर चौधरी


हम रिपब्लिक टीवी के कर्ताधर्ता के मामले की भी कुछ चर्चा भी करेंगे. क्योंकि मोदी सरकार के इशारे पर हमारी हड़बड़ गड़बड़ गोदी मीडिया ने इसे जनमानस में ब्रम्हाण्ड का सबसे बडा मुद्दा बनाने में कोई कोर कसर नही छोडी. मजेदार वाकया हुक्मरानी से अपनी सोहबत का भय दिखा कर जिंदल उद्योग के मालिकान से गैर कानूनन धन ऐठने के मामले में दिल्ली के तिहाड़ जेल की हवा खा चुके जी टीवी के एंकर सुधीर चौध्ररी का है. तिहाडी चौध्ररी ने अर्गो (अर्णव गोस्वामी) की अतार्किक तरफदारी ही नहीं की बल्कि परम ज्ञान दिया कि ये मामला अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से भी ज्यादा अहम है. 

उन्होने अपना कुतर्क गढ़ने के लिए फ्रांस के महान चिंतक वोल्टेयर की मशहूर उक्ति का बेजा सहारा लिया. एंकर जी का मंतव्य था कि अर्गो की पुलिस गिरफ्तारी भारत के लोकतंत्र पर हमला है और ऐसे हमले में मित्रो ही नहीं दुश्मनो का भी साथ देना चहिये. प्रसंगवस एक बारीक बात. इन एंकर जी ने पता नहीं किस शास्त्र में पढ लिया है कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा ही नहीं सबसे प्राचीन लोकतंत्र भी है. जाहिर है कि हड़बड़ गड़बड़ गोदी मीडिया के एंकर मीडिया विजिल पर हमारा लिखा तो कतई नहीं पढते. बिहार चुनाव पर हालिया आलेख में हमने प्रामाणिक ऐतिहासिक साक्ष्य के हवाले से फिर इंगित किया था कि दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र बिहार में रहा. महान यूनानी दार्शनिक प्लेटो के द रिपब्लिक ग्रंथ के लेख्नन से भी पहले बिहार में वैशाली गणराज्य कायम हो चुका था. सम्भव है रिपब्लिक टीवी के अर्गो को भी ये तथ्य पता न हो. पर सदैव अहम ब्रह्मास्मि भाव में गलत ज्ञान देने वाले इन एंकरो का तथ्यों से क्या लेना देना?

 

रवीश कुमार

 हाँ, एनडीटीवी इंडिया के एंकर रविश कुमार की बात कुछ अलग है. वैसे, रवीश कुमार ने भी अपने ब्लॉग पर अर्गो का कुछ अजीबोगरीब ढंग से समर्थन  किया. उस ब्लॉग लेखन के मीडिया विजिल पर कल प्रकाशित स्वरूप में वे अलहदा एंकर होने के दर्प में गिरफ्तारी के वक़्त दिखे अर्गो के आलीशान घर पर कटाक्ष तो कर गये लेकिन उनके साथ ही कभी एनडीटीवी में काम कर चुके अर्गो का प्रकारांतर से बचकाना बचाव ही किया. रवीश कुमार जी, आप अर्गो की तरह से कब से किसी आपराधिक मामले मे न्यायाधीश की तरह फैसला सुनाने लेगे? कोर्ट कचहरी को अपना काम करने दीजिये ना. काहे अपने चैनल या ब्लॉग पर अदालती इजलास लगाने लगे. नोट कर लीजिये, बिहार के बागो में बहार आ रही है. 

 

बिहार चुनाव

कल ही बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा और अंतिम चरण का प्रचार खत्म होने के वक़्त मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रमुख नीतीश कुमार ने खुले मैदान में कह दिया ये उनका आखरी चुनाव है. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रहमो-करम से पिछले 15 बरस के छोटे अंतराल को छोड़ लगातार मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होने चुनावी सभा में दिलो -दिमाग से कही अपनी पीड़ा के निहितार्थ का सियासी डैमेज कंट्रोल करने के लिए बाद में कुछ लीपापोती की. मगर उनके श्रीमुख से निकली बात का चुनावी असर वही हुआ जो प्रत्यंचा चढे धनुष से निकली तीर का होता है. उन्हे ये खूब पता भी है क्योंकि ‘तीर’ जदयू का चुनाव चिन्ह है. 

नयी विधान सभा के चुनाव के लिये वोटिंग के पहले चरण में 28 अकटूबर को 16 जिलो में फैली 71 सीटो पर अनुमानित 50 फीसद से अधिक वोटरो ने वोट डाले. दूसरे चरण में 3 नवम्बर को 17 जिलो में 92 सीटो के लिये भी 50 प्रतिशत से ज्यादा वोटर ने वोट डाले. 10 नवम्बर को काउंटिंग है. उसी दिन दोपहर बाद सारे परिणाम मिल जाने की सम्भावना है . 

बिहार विधान सभा की कुल 241 सीटो में से शेष 78 के लिये तीसरे और अंतिम चरण मे शनिवार को वोटिंग होगी. करीब 2.35 करोड वयस्क नागरिक 15 जिलो में पसरे इन निर्वाचन क्षेत्रों के 33 782 पोलिंग बूथो पर कुल 1204 प्रत्याशियो की सियासी किस्मत पर अपना फैसला इलेक्ट्रौनिक वोटिंग मशीनो ( इवीएम ) में लॉक करेंगे. वोटरो में 894 थर्ड जेंडर ( उभयलिंगी ), 6.61 लाख नये मतदाता और 22 हजार से कुछ अधिक सर्विस (फौजी) वोटर हैं. फौजी वोटर परम्परागत रूप से पोस्टल बेलेट से वोट देंगे. कुल 45953 इवीएम बैलेट युनिट , उतनी ही कंट्रोल यूनिट और उतनी ही वीवीपीएटी का इस्तेमाल किया जा रहा है. हर बूथ पर कोरोना से बचाव के लिये मास्क, सेनेटाइजर , थर्मल स्क्रीनिंग आदि की व्यवसथा की गयी है।

प्रत्याशियो में 110 महिला भी हैं. प्रत्याशियो में विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौध्ररी, नीतिश कुमार सरकार के विजेंद्र प्रसाद यादव, विनोद नरायण झा, रमेश रिशिदेव, नरेंद्र नारायण यादव, बीमा भारती, लक्ष्मेश्वर राय ,खुर्शीर्द फिरोज अह्मद समेत सात मंत्री, जदयू और भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस ( एनडीए ) में शामिल विकासशील इंसान पार्टी ( वीआईपी ) के प्रमुख मुकेश साह्नी, कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव और पूर्व सांसद लवली आनंद ( कांग्रेस ) प्रमुख हैं. लवली आनंद, हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा के लिये अभी भागलपुर जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी है. वोटरो की संख्या के हिसाब से सहरसा इस चरण में सबसे बडा निर्वाचन क्षेत्र है. 

ये सीटें मुख्यरूप से मिथिला और सीमांचल की हैं जहा से हर बरस बिदेसिया मजदूर (माइग्रेंट लेबर),  देश के विभिन्न भागों मे कृषि, आवास निर्माण और अन्य आर्थिक क्रियाकलाप में रोजगार पाने के लिये लाखो की संख्या में जाते हैं. इस बार, कोरोना प्रकोप से निपटने के लिये मोदी सरकार ने अचानक पूरे देश में जो लॉकडाउन लागू किया उसका सबसे बुरा असर इन बिदेसिया मजदूर पर ही रहा. उनकी संख्या अनुमानित 50 लाख है. नीतीश कुमार सरकार ने एक तरह से जले पर नमक छिडकने का काम किया. नीतीश कुमार देश के एकमात्र मुख्यमंत्री रहे जिन्होने लॉकडाउन मे जो जहाँ है वही रहे का फरमान जारी कर उनकी घर वापसी के लिये कोई उपाय नही किया . 

जहिर है नीतिश कुमार को चुनाव प्रचार ख्त्म होते-होते अंदेशा हो गया कि इस चुनाव के परिणाम क्या निकल सकते हैं. तभी तो वे इसे अपना अंतिम चुनाव कह बैठे.

 

*सीपी नाम से चर्चित लेखक चंद्रप्रकाश झा ,युनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से रिटायर होने के बाद तीन बरस से अपने गांव में खेतीबाड़ी करने और स्कूल चलाने के साथ ही स्वतंत्र पत्रकारिता और लेखन भी कर रहे हैं. उन्होने भारत की आज़ादी, चुनाव , अर्थनीति, यूएनआई का इतिहास आदि विषय पर कई ई-किताबे लिखी हैं. वह मीडिया विजिल के चुनाव चर्चा के स्तम्भकार हैं. वह क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा मीडिया पुरस्कार की संस्थापक कम्पनी पीपुल्स मिशन के अवैतनिक प्रबंध निदेशक भी हैं, जिसकी कोरोना- कोविड 19 पर अंग्रेजी–हिंदी में पांच किताबो का सेट शीघ्र प्रकाश्य है.