पहला पन्ना: ख़बरों के पक्षपाती चयन में चमकते चारण!  


आज के अखबारों के पहले पन्ने की खबरों (और शीर्षक से भी) खबरों के चयन में पक्षपात साफ-साफ दिखता है। द टेलीग्राफ हमेशा मेरे बाकी अखबारों से अलग होता है। इसलिए इसकी प्रशंसा हर बार चाहे न की जाए पर कभी-कभी इसके शीर्षक से लेकर खबरों का चयन भी दिलचस्प होता है। ये खबरें दूसरे अखबारे में पहले पन्ने पर नहीं होती हैं।


संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


आज के अखबारों के पहले पन्ने की खबरों (और शीर्षक से भी) खबरों के चयन में पक्षपात साफ-साफ दिखता है। द टेलीग्राफ हमेशा मेरे बाकी अखबारों से अलग होता है। इसलिए इसकी प्रशंसा हर बार चाहे न की जाए पर कभी-कभी इसके शीर्षक से लेकर खबरों का चयन भी दिलचस्प होता है। ये खबरें दूसरे अखबारे में पहले पन्ने पर नहीं होती हैं। कारण समझने के लिए रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है। शीर्षक पढ़ लीजिए, आप समझ जाएंगे कि आपके अखबार में ये खबरें क्यों नहीं हैं।  

 

द टेलीग्राफ की खबरें 

  1. स्टैलिन ने वह कोशिश की जो मोदी नहीं करेंगे (लीड)। इसका फ्लैग शीर्षक है, तमिलनाडु आर्थिक परिषद ने प्रतिभा शामिल की। 
  2. इस बीच, आत्म प्रशंसा आसन दिवस पर बाकी सब सामान्य। इसके साथ एक होर्डिंग की तस्वीर है जिसमें, “सबके लिए टीका, सबके लिए मुफ्त” का प्रचार है।  
  3. तुच्छता जो योग से ठीक नहीं हो सकती। (इस खबर में बताया गया है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव पर हमले के तीसरे दौर की शुरुआत की है और उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई शुरू करने का फैसला किया है। 
  4. अयोध्या के प्लॉट की स्थिति पर विवाद – इस खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को कहा कि अयोध्या के मेयर के भतीजे और राम मंदिर ट्रस्ट के बीच हुए भूमि सौदे की जमीन नजूल श्रेणी की है और बगैर अधिसूचना के बैची नहीं जा सकती है। सरकार द्वारा इसे फ्रीहोल्ड करने की सूचना जारी किए जाने के बाद ही बेचा जा सकता है। अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने रिपोर्टर्स से कहा कि किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी और को नजूल भूमि बेच दे। नजूल भूमि सरकारी स्वामित्व वाली होती है और पट्टे पर दी जाती है। 
  5. जन्म दिन की पार्टी भी कोविड के लिहाज से जोखिम है – यह अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं का आकलन है जो उन्होंने अमेरिका के तीन मिलियन घरों में अध्ययन के बाद प्राप्त किया है। 

 

विज्ञप्ति के बिना या बावजूद

इन पांच खबरों में एक, (पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव वाली) हिन्दुस्तान टाइम्स और टीओआई में पहले पन्ने पर है। तमिलनाडु में प्रतिभाओं की नियुक्ति (मोदी नहीं करेंगे) वाली खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में तीन लाइन के शीर्षक के साथ 12 अन्य लाइनों में अंदर होने की सूचना है। बाकी के तीन अखबारों में एक दिन में 85 लाख (टाइम्स ऑफ इंडिया) लोगों को टीका लगा सबसे बड़ी खबर है। द हिन्दू की लीड, एक्स-ग्रेशिया भुगतान पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का निर्णय जानना चाहा। हालांकि, यहां भी एक दिन में 82 लाख (जी हां 82 ही लिखा है) लोगों को टीका लगाने की खबर पहले पन्ने पर चार कॉलम में टॉप पर है। लीड तीन कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर को छह कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ छापा है और संख्या 82.7 लाख है। अब आप सही संख्या का अनुमान लगाइए। मुझे लगता है कि सरकारी प्रचार की इस खबर के लिए विज्ञप्ति जारी की गई होती तो संख्या एक होती और संख्या एक ही होनी चाहिए थी। इससे खबर की विश्वसनीयता बनी रहती है। और मैं इसीलिए बता रहा हूं कि यह अखबारों की ओर से सरकारी प्रचार का आलम क्या है। हालांकि, पेशेवर प्रचारक कर रहे हों तो गलती नहीं कहा जा सकता है। पता नहीं यह क्या है? जो भी हो, रेखांकित करने लायक तो है ही।  

 

कश्मीर में “पुनर्मूषको भवः”? 

जैसी कोई तैयारी चल रही लगती है। इधर कुछ दिनों से वहां की छिटपुट खबरें छप रही हैं। कोई दो साल कश्मीर को संगीनों के साए में रखने, कई नेताओं को महीनों जेल में बंद रखने और आम लोगों का जीवन लगभग नरक बना देने के दो साल बाद अब केंद्र सरकार ने कश्मीर के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। दरअसल वहां चुनाव करवाने की मजबूरी है पर खबरें प्रचार के लिहाज से छप रही हैं। इंडियन एक्सप्रेस में खबर है, गुपकर कोलिशन की बैठक आज, नेशनल कांफ्रेंस के सज्जाद लोन ने  दिल्ली के अच्छे बदलावका स्वागत किया। द हिन्दू में कल खबर छपी थी कि महबूबा मुफ्ती (पीडीपी) की राजनीतिक मामलों की समिति ने तय किया है कि मोदी से मिलने के बारे में मुफ्ती का निर्णय आज की बैठक के बाद लिया जाएगा। आज हिन्दू में पहले पन्ने पर बैठक के बारे में कोई खबर नहीं है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की खबर का फ्लैग शीर्षक है, मीटिंग विद पीएम। केंद्रीय गृहसचिव ने 14 कश्मीरी नेताओं (जम्मू समेत) को प्रधानमंत्री से मिलने के लिए आमंत्रित किया है और हिन्दू की कल की खबर के अनुसार, महबूबा मुफ्ती नेशनल कांफ्रेंस के नेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला को गुपकर अलायंस का नेता नामांकित करने के पक्ष में है। एक्सप्रेस में गुलाम नबी आजाद की फोटो के साथ एक और खबर है, प्रधानमंत्री से मुलाकात में जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा सर्वोच्च एजंडा है। दिलचस्प यह है कि दिल्ली के दूसरे अखबारों (जो मैं देखता हूं) में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। 

 

ट्वीटर के खिलाफ मामला 

ट्वीटर के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस का मामला आप जानते हैं। एमडी को थाने में आकर बयान देना है। मनीष महेश्वरी ने पुलिस के नोटिस के जवाब में वीडियो कॉल पर जांच से जुड़ने की पेशकश की थी। लेकिन पुलिस ने उसे स्वीकार नहीं किया और 24 जून को पेश होने का आदेश दिया है और यह भी कहा है कि अगर वे उपस्थित होने में नाकाम रहे तो माना जाएगा कि वे जारी जांच को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं। आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण खबरों में एक, यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर है। कोविड के इस दौर में जब संसद तक ठीक से नहीं चल पा रही है तब किसी विदेशी कंपनी के मुखिया को गुड़गांव या बैंगलोर से गाजियाबाद आने के लिए मजबूर करने के कई कारण हो सकते हैं। यह भी संभव है कि पुलिस के पास वीडियो कॉल लेने की सुविधा न हो। पत्रकारों का काम था कि इसपर जानकारी देते और बताते कि डिजिटल भारत में डिजिटल संचार की एक नई कंपनी के मुखिया के लिए, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के नारे के बीच सशरीर थाने में उपस्थित होना क्यों जरूरी है। वैसे भी, यह एक दिलचस्प विषय हो सकता है कि डिजिटल इंडिया में कितने थाने वीडियो कॉल पर जांच कर सकते हैं।  

 

पश्चिम बंगाल चुनाव में हिंसा 

हिन्दुस्तान टाइम्स में आज पहले पन्ने पर, हाईकोर्ट ने बंगाल में चुनाव के बाद की हिन्सा पर टीएमसी की अपील खारिज की, एनएचआरसी जांच करेगा शीर्षक खबर है। यह खबर दूसरे अखबारों में नहीं दिखी। आप जानते हैं और मानेंगे कि पश्चिम बंगाल चुनाव में हिंसा का मामला पूरी तरह राजनीतिक है और इसलिए इससे संबंधित खबरों में भी राजनीति होती है। आज की खबर के बाद साफ है कि इस मामले की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग करेगा। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, आयोग ने कल ही जांच टीम का गठन कर दिया और बयान जारी कर मीडिया को सूचना भी दे दी। आपको याद होगा कि एनएचआरसी के मुखिया के पद पर हाल ही में  सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा की नियुक्ति नियम बदल कर की गई है और अरुण मिश्रा अपने फैसलों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा के लिए भी चर्चा में रहे हैं। ऐसे में यह मामला हाईकोर्ट होते हुए एनएचआरसी में पहुंच जाना अपने आप में दिलचस्प है। पहले पन्ने पर क्यों नहीं है, मैं नही कह सकता।

पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था, जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने के लिए कहा गया था। इससे पहले की खबरें थी, अमित शाह से मिलने के बाद ममता सरकार पर बरसे राज्यपाल धनखड़। तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने राज्यपाल पर अपने रिश्तेदारों को राजभवन में नौकरी पर रखने का आरोप लगाया था। पर धनखड़ ने सिर्फ मना किया और कहा कि वे उनके रिश्तेदार नहीं हैं जबकि एक का उपनाम भी धनखड़ है। राज्यपाल ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया महुआ मोइत्रा ने राजभवन की टेलीफोन डायरेक्ट्री के पन्ने के चार नामों के बारे में पूछा कि ये राजभवन में कैसे आए। इसका भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला लेकिन चुनाव बाद हिंसा की जांच हो रही है और हाईकोर्ट ने कहा है कि जांच होनी चाहिए। मेरे ख्याल से चुनाव के बाद की हिंसा की जांच हो ही रही है तो चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान हिंसा की भी जांच होनी चाहिए। पर उसके बारे में कोई सवाल या जवाब मुझे नहीं दिखा। 

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।