चुनाव चर्चा: पंजाब में राम भरोसे भी नहीं लगती मोदी जी की पार्टी!

चन्‍द्रप्रकाश झा चन्‍द्रप्रकाश झा
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किसान आंदोलन को हल्के में लेने के कारण पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रावी, सतलुज जैसी बड़ी नदियों वाले इस सीमांत सूबे में 2022 के विधानसभा चुनाव में कोई पानी देनेवाला भी शायद ही मिले। कुल 117 सीट की पंजाब विधान सभा मौजूदा कार्यकाल 27 मार्च 2022 को समाप्त हो रहा है। उसके पहले ही नयी विधान सभा के चुनाव कराने होंगे। गोवा की 40 सीट की मौजूदा विधान सभा 16 मार्च 2017 को गठित हुई थी। उसका कार्यकाल 15 मार्च को खतम होगा। अन्य विधानसभाओ में से 60 सीटों की मणिपुर विधानसभा का 19 मार्च को 70 सीट के उत्तराखंड का 23 मार्च को और 403 सीटों वाली उत्तर प्रदेश विधान सभा का  कार्यकाल 14 मई तक है।

 

स्थानीय निकाय चुनाव 

पंजाब के हालिया स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त जीत के बाद मुख्यमंत्री  कैप्टन अमरिंदर ने मोदी सरकार को आगाह किया था कि वह किसान आंदोलन को हल्के से न ले। उन्होंने निकाय चुनाव के परिणाम घोषित होने के उपरांत इसी बरस 17 फरवरी 2021को ट्वीट किया: “किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ देशभर के सभी आयु-वर्ग के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। फिर से केन्द्र से अपील करता हूं, वो इस आंदोलन को हल्के में ना लें और अपने बनाए नए कृषि कानूनों को वापस ले।”

कांग्रेस ने छह नगर निगमों : बठिंडा , बटाला अबोहर , ,होशियारपुर , कपूरथला और पठानकोट में भारी जीत हासिल की। वह मोगा नगर निगम चुनाव में भी सबसे बड़ी पार्टी साबित हुई।  कांग्रेस को मोगा में बहुमत से सिर्फ छह सीट की कमी पड़ी। शहरी निकाय चुनावों में विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ हो गया।

ये चुनाव मोदी सरकार द्वारा संसद में और खास कर राज्यसभा में तिकड़म से पारित काराये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 25 सितंबर 2020 से दिल्ली के बॉर्डर पर जारी जबरदस्त किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में हुए थे। राज्य में नगर निगमों के साथ ही 109 नगर परिषदों के भी चुनाव हुए थे। इनमें कांग्रेस का ही बोलबाला रहा। किसान आंदोलन में शामिल अधिकतर पंजाब एवं हरियाणा से हैं।

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि ये चुनाव परिणाम सभी पंजाबियों की जीत हैं जो विकास चाहते हैं और घृणा की राजनीति से बेवकूफ नहीं बनेंगे। यही कारण है पंजाबियों ने कांग्रेस पर फिर से विश्वास जताया। दिवंगत पूर्व लोकसभा स्पीकर बलराम जाखड़ के पुत्र एवं पंजाब प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष सुनील जाखड़ का कहना है पंजाबियों ने मोदी जी भाजपा और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की ‘ शिरोमणि अकाली दल ‘ (शिअद) की ही नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की ‘आम आदमी पार्टी ‘(आप) की भी सियासत को खारिज कर दिया।

पंजाब नगर निगमों और नगर परिषदों के चुनाव में कुल 9,222 उम्मीदवार थे। इनमें सबसे ज्यादा 2,037 उम्मीदवार कांग्रेस के ही थे। शिअद ने 1,569 , भाजपा ने 1,003, आआपा ने 1,606 और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 160 उम्मीदवार चुनावी मुकाबले में उतारे थे।  कुल 2,832 निर्दलीय उम्मीदवार भी थे।  मोगा में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस इस निगम के 50 वार्डों में से 20 में जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी। शिअद चार वार्डों में ही जीत सकी। भाजपा की फटी झोली में सिर्फ एक सीट आई।  वहाँ दस निर्दलीय उम्मीदवार जीते। स्थानीय निकाय चुनाव के लिए परंपरागत बैलेट से 14 फरवरी को कराये गए मतदान में पंजीकृत वोटरों में से 70 प्रतिशत से कुछ अधिक ने वोट दिए थे. 


पंजाब दा कैप्टन

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ही आगामी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे। हालांकि कांग्रेस ने भाजपा से अपने पाले में आए और भारत की क्रिकेट टीम में सलामी बलेवाज नवजोत सिंह सिद्धू को उनके सियासी कैप्टन पर अंकुश लगाने कुछ आगे बढ़ा दिया है । क्रिकेटर अभी कांग्रेस विधायक हैं। वह कैप्टन अमरिंदर सिंह से भिड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। अंतर्कलह दूर करने के लिए पार्टी हाईकमान ने तीन सदस्यीय कमेटी तैयार बनाई है। बताया जाता है पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विधायकों और सांसदों की राय ले रहे हैं।

कैप्टन ने पिछले चुनाव में घर-घर जाकर रोज़गार देने का वादा किया था। उनका दावा है कांग्रेस सरकार ने राज्य में 17.60 लाख युवाओं को रोज़गार दिया और एक लाख अन्य नौजवानों को नौकरी देने की योजना  पर काम चल रहा है।

 

अरविन्द केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इस चुनाव में अपनी आम आदमी पार्टी ( आआपा) की तैयारी तेज करने कल यानि मंगलवार को पंजाब का दौरा कर कहा आआपा की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री सिख समुदाय का ही बनेगा और लोगों को दिल्ली के मॉडल पर  300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी।

उनका कहना था राज्य में अतिरिक्त बिजली उत्पादन के बावजूद लंबे समय तक बिजली कटौती की जाती है और लोगों को खेती के लिए बिजली नहीं मिलती है। बिजली उत्पादक राज्य होने के बावजूद पंजाब में बिजली देश में सबसे महंगी है। हम दिल्ली में बिजली का उत्पादन नहीं करते हैं। हम इसे दूसरे राज्यों से खरीदते हैं और इसके बावजूद दिल्ली में सबसे सस्ती दर पर बिजली आपूर्ति की जा रही है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की दूसरी बार सरकार बनने के बाद केजरीवाल पंजाब चुनाव को लेकर बहुत उम्मीद से हैं, लेकिन केजरीवाल के इस ऐलान को अमरिंदर सिंह सरकार के मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने नाटक बताया है.

 

शिरोमणि अकाली दल ( बादल ) 

पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की पार्टी शिअद ने पिछले बरस शिअद ने कृषि कानूनों के ही विरोध में भाजपा के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) से रिश्ता तोड़ने के साथ ही मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री  हरसिमरत कौर बादल को हटा लिया था। वह बादल सीनियर के सुपुत्र सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हैं। दोनों सियासी दल निकाय चुनाव में अलग-अलग लड़े थे। अकाली दल ने आगामी विधान सभा चुनाव में बसपा से गठबंधन करने की घोषणा की है।

 

चुनाव कैलेंडर

हमने मीडीया विजिल के मंगलवारी चुनाव चर्चा कॉलम में 13 अप्रैल 2021 को खबर दी थी कि भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस ) के 1980 बैच के अफसर रहे सुशील चंद्रा ने उसी दिन सुबह नई दिल्ली में भारत निर्वाचन आयोग का कार्यालय खुलते ही चीफ इलेक्शन कमिश्नर (सीईसी) की कुर्सी सम्भाल नये चुनाव कैलेंडर को हरी झंडी दिखा दी है। ये कैलेंडर इस कुर्सी पर उनसे पहले विराजे एयर इंडिया पूर्व चेयरमैन और रिटायर आईएएस अफसर सुनील अरोडा ने असम, बंगाल, केरल ,तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुडीचेरी की विधान सभाओं के जारी चुनाव के दौरान ही तैयार कर दिया था। अरोड़ा जी ने ये कैलेंडर , सीईसी पद से रिटायर होने से पहले देश भर में पसरी कोरोना कोविड महामारी के बावजूद पाँच राज्यों में विधान सभा चुनाव कराने के लिए मोदी सरकार से मिले इशारे पर तैयार किया था। इनमें देश में आबादी के हिसाब से सबसे बडे राज्य, उत्तर प्रदेश और किसान आंदोलन में सबसे आगे पंजाब के यूपी से 1990 के दशक में विभाजित कर बनाए पृथक राज्य उत्तराखंड , पश्चिम भारत में अरब सागर तटवर्ती गोवा और पूर्वोत्तर में हिमालय पर्वतमाला की गोद में बसा मणिपुर भी है।

चंद्रा जी 14 मई 2022 तक ‘इंडिया दैट इज भारत‘ के सभी संसदीय और राज्य विधानमंडल के चुनावो का ‘खेला ‘ खिलवायेंगे। वह फुटबाल मैच के सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी की तरह बड़ी तेजी में लगते हैं. मूलतः यूपी के निवासी चंद्रा जी ने सीईसी पद पर उनकी नियुक्ति के लिये केंद्र सरकार के कैबिनट बैठक की मंजूरी मिलने के 24 घंटे के भीतर नया पदभार सम्भाल लिया था. इस पद पर उनका कार्यकाल 14 मई 2022 तक होगा, जिस दिन वह रिटायर होने वाले हैं. 

मोदी सरकार ने सांविधिक तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग के आयुक्त में से अरोड़ा जी के रिटायर हो जाने से रिक्त कुर्सी पर हाल में नई नियुक्ति कर दी है। एक अन्य आयुक्त आइएएस 1984 बैच के बिहार– झारखंड काडर के अफसर रहे राजीव कुमार हैं जिन्हे मोदी सरकार ने इस पद पर 1 सितम्बर 2020 को नियुक्त किया था। केंद्र सरकार के वित्त सचिव रह चुके राजीव कुमार के ही अगला सीईसी बनने की प्रबल संभावना है।

पीवी नरसिह राव सरकार ने 1990 के दशक में तत्कालीन निर्वाचन आयुक्त टी एन शेषन के ‘पर कतरने ‘ एक कानून बनाकर निर्वाचन आयोग को एक से बढा कर तीन सदस्यीय बना दिया था 

पंजाब की नई विधान सभा चुनाव के लिए मतदान वोटर वेरिफाइड पेपर औडित ट्रोल (वीवीपीएटी) की अलग मशीन से जुडी इलेक्ट्रौनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से ही कराये जाएंगे. 

बहरहाल , देखना है चंद्रा जी बतौर सीईसी पंजाब चुनाव में क्या गुल खिलाते है और कैप्टन मुख्यमन्त्री की अपनी कुर्सी बचाने के और क्या चाल चलते हैं. 


*मीडिया हल्कों में सीपी के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं।