अख़बारनामा: “भगवान राम को फिर तारीख” से “मंदिर पर कोर्ट को जल्दी नहीं” तक !!

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संजय कुमार सिंह


अखबारों में छपी खबरों के लिहाज से देखें तो आज फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिन है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित भूमि पर सुनवाई जनवरी तक टालने का फैसला दिया है। कुछ साल पहले तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टीका-टिप्पणी नहीं होती थी। पर अब उसपर भी चर्चा होती है, प्रतिक्रिया मांगी जाती है और प्रतिक्रियां छपती भी हैं। इस लिहाज से आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अखबारों ने कैसे प्रकाशित किया – देखना दिलचस्प होगा। वैसे तो इसे सभी अखबारों में लीड ही होना है पर शीर्षक से लेकर साथ की खबरों और प्रतिक्रिया आदि को देखना जानकारी पूर्ण भी होगा। हालांकि, फैसले पर सीधी टिप्पणी/ प्रतिक्रिया करने वाली खबरों की चर्चा मैं नहीं करूंगा।

कोलकाता के अंग्रेजी दैनिक ने इस खबर को मंदिर झल्लाहट शीर्षक से सात कॉलम में लीड बनाया है। उपशीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट ने शीघ्र सुनवाई से मना किया तो अयोध्या कानून के लिए शोर। जेपी यादव की खबर का पहला पैरा हिन्दी में कुछ इस तरह होगा- सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या टाइटिल स्यूट पर दीवाली के तुरंत बाद सुनवाई से मना कर दिया है जिससे उन लोगों को गणना गड़बड़ा गई है जो चुनाव से पहले ध्रुवीकरण के अप्रत्याशित लाभ की उम्मीद कर रहे थे। इससे मंदिर निर्माण संभव करने के लिए ‘राम भक्त’ नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा कानून बनाने की मांग का कोरस संघ परिवार ने शुरू किया है। अखबार ने अपनी इस खबर के साथ एक बॉक्स में छह लोगों के बयान छापे हैं जिसका शीर्षक है, “अच्छी भूमिका में, बुरी भूमिका में”।

दैनिक भास्कर ने, “अयोध्या विवाद – सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर तक 35 दिन छुट्टी, जनवरी में तय होगी नई बेंच” शीर्षक से इस खबर को, “अयोध्या केस दो माह टला भाजपा और संघ ने कहा – सरकार अध्यादेश लाए” शीर्षक से छापा है। उपशीर्षक है, “लेकिन जो तीन पक्ष केस लड़ रहे, उन्होंने कहा – हम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे।” इसके नीचे तीनों पक्ष की तीन प्रतिक्रिया एक-एक कॉलम की छोटी खबरों के रूप में है। और इस तीन कॉलम के नीचे तीन कॉलम छह लाइन की एक छोटी खबर का शीर्षक है, जल्द सुनवाई की मांग पर बोले चीफ जस्टिस – हमारी प्राथमिकताएं अलग हैं। इसके नीचे डेढ़ कॉलम में गिरिराज सिंह का बयान है – “हिन्दुओं का सब्र टूटा तो पता नहीं क्या होगा, सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।” इसके साथ डेढ़ कॉलम में ही “ओवैसी बोले – हिम्मत है तो भाजपा राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाकर दिखाए” – छपा है।

नवोदय टाइम्स ने इस खबर का शीर्षक लगाया है, “सुनवाई टाली, मंदिर पर और इंतजार”, उपशीर्षक है, “अयोध्या मामला : तीन मिनट चली सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई, तीन माह बाद सुनवाई”.. खबर की शुरुआत एक कालम में चार लाइन की इस सूचना के बाद होती है, “विवादित भूमि को तीन भागों में बांटने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर होनी थी सुनवाई।” खबर कहती है, “सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी। सुनवाई टलने से सियासी बयानबाजी तेज हो हो गई है।” अखबार ने इस खबर के साथ एक कॉलम में कांग्रेस नेता पी चिंदबरम का बयान छापा है। शीर्षक है, “सुप्रीम को्र्ट के फैसले का करें इंतजार : चिदंबरम” जबकि तीन कॉलम में छपा है, “राम मंदिर बनने से सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा : संघ”, अंदर के पन्ने पर ऐसे तो नहीं रुकेगा मंदिर का राजनीतिकरण शीर्षक खबर होने की सूचना भी है।

नवभारत टाइम्स में इस खबर का शीर्षक है, “मंदिर पर कोर्ट को जल्दी नहीं” जबकि उपशीर्षक है, “कानून लाने का दबाव बढ़ सकता है केंद्र पर।” मुख्य खबर के साथ दो कॉलम का एक बॉक्स है जिसका शीर्षक है, “तुरंत सुनवाई की मांग हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन मिनट में कहा – हमारी अपनी प्राथमिकताएं।” इसके नीचे सुप्रीम कोर्ट के स्केच के साथ मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का कोट है, इस मामले को जनवरी के पहले हफ्ते के लिए टाला जाता है। तब उचित बेंच इस मामले को सुनेगी। वही फैसला करेगी कि सुनवाई जनवरी में हो, मार्च में या अप्रैल में। इसके नीचे दो बॉक्स हैं। एक का शीर्षक है, क्या अध्यादेश लाना मुमकिन है? दूसरे का शीर्षक है, सरकार के अंदर भी सियासत तल्ख। इसके तहत कहा गया है कि सुनवाई टलने पर सरकार ने एक तरह से चुप्पी साध ली है।

दैनिक हिन्दुस्तान में शीर्षक है, “अयोध्या पर सुनवाई टली, सियासत तेज”, इसके साथ फ्लैग शीर्षक है, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जनवरी में उचित पीठ तारीख तय करेगी।” संघ की प्रतिक्रिया को अखबार ने सिंगल कॉलम में लिया है। शीर्षक है, “कोर्ट जल्द फैसला करे वर्ना कानून बने : संघ”, अखबार ने हाईकोर्ट का फैसला शीर्षक से एक छोटी खबर भी छापी है। इसमें बताया गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में दिए फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ विवादित भूमिक तीनों पक्षकारों – सुन्नी वक्फ बोर्ड,निर्मोही अखाड़ा व राम लल्ला विराजमान में बराबर-बराबर बांट दी जाए। इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गई है।

दैनिक जागरण का शीर्षक है, “भगवान राम को फिर तारीख”, उपशीर्षक है, “अगले साल जनवरी के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट तय करेगा सुनवाई की तिथि।” माला दीक्षित की खबर के पहले पैरे का एक वाक्य है, ‘अपनी जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे की सुनवाई की बाट जोह रहे भगवान राम को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर तारीख मिल गई है।’ मुख्य खबर के साथ एक बॉक्स में सिंगल कॉलम का शीर्षक है- बढ़ा इंतजार। इसके नीचे दो बिन्दु हैं, नवंबर में सुनवाई करने की रामलला के वकील की मांग ठुकराई और दूसरा किसी भी पक्ष की दलील सुनने से पहले पीठ ने सीधे आदेश लिखा। इसके साथ एक-एक कॉलम में तीन प्रतिक्रियाएं क्रम से रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय कानून मंत्री, पी चिदंबरम, कांग्रेस नेता औऱ असदुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम अध्यक्ष की हैं। अखबार ने इसके साथ अयोध्या विवाद पर विशेष पेज की भी सूचना दी है।

अमर उजाला में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम सुनवाई टली शीर्षक से यह खबर लीड नहीं है। पहले पेज पर लीड के साथ चार कॉलम में बॉक्स है। उपशीर्षक है, अब जनवरी, 2019 में तय किया जाएगा सुनवाई कब और कौन सी पीठ करेगी। अखबार ने कई छोटी-छोटी प्रतिक्रिया छापी है जिनका जिक्र पहले हो चुका है। एक प्रतिक्रिया केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की है। उन्होंने कहा है, अब हिन्दुओं का सब्र टूट रहा है। मुझे भय है कि अगर हिन्दुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा? अमर उजाला ने आज लीड और सुप्रीम कोर्ट की इस खबर के ऊपर प्रदूषण पर चार कॉलम के दो शीर्षक के साथ दो खबरें छापी हैं। अमर उजाला ने पाकिस्तानी सेना पर जवाबी हमला, कई चौकियां तबाह शीर्षक खबर को लीड बनाया है। इसके साथ उपशीर्षक है, पाक ब्रिगेड के प्रशासनिक ब्लॉक को बनाया निशाना, कई आतंकी शिविरों पर भी गोलीाबारी। इस पर बदला, 23 अक्तूबर को पुंछ ब्रिगेड मुख्यालय पर पाक सेना ने दागे थे गोले – का ठप्पा लगा है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।