चुनाव चर्चा: जोड़-तोड़ तेज़, कम्युनिस्ट पार्टियाँ भी महागठबंधन में!

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काॅलम Published On :


चंद्र प्रकाश झा 

मोदी सरकार ने नई लोक सभा का चुनाव निर्धारित समय से पहले कराने का  निर्णय अभी नहीं किया है।  लेकिन जैसा कि ‘चुनाव चर्चा’ के पिछले अंकों में हम उल्लेख कर चुके हैं कि आम चुनाव की तैयारियां विभिन्न स्तर पर शुरू हो गई हैं।  निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मतदाता सूची के नवीनीकरण के लिए एक जून से विशेष देशव्यापी अभियान प्रारम्भ हो गया है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की जल्द प्रस्तावित अयोध्या -फैज़ाबाद यात्रा का  आधिकारिक ब्योरा तत्काल नहीं मिला है। लेकिन स्पष्ट संकेत हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक अंग  मानी जाने वाली, भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को चुनावी मुद्दा बनाने की ठान ली है।

भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने बयान दिया है कि 17 वीं लोकसभा के चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।  स्वयं मोदी जी ने भी कर्नाटक विधान सभा चुनाव के लिए मतदान के मौके पर ही नेपाल के जनकपुर पहुँच कर वहाँ से अयोध्या की बस सेवा का  श्रीगणेश कर जता दिया था कि भाजपा के चुनावी तरकश में मंदिर का मुद्दा हावी है।

मोदी सरकार का  यह भी प्रयास लगता है कि अयोध्या मामले में  सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कुछ माह के भीतर हो जाए।  सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा का कार्यकाल अक्टूबर 2018 में ख़त्म होने वाला है। जस्टिस मिश्रा पर मोदी सरकार का ख़ास भरोसा  है।  जस्टिस मिश्रा को राज्यसभा के बजट सत्र में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों द्वारा पेश महा-अभियोग प्रस्ताव की नोटिस से बचाने के लिए मोदी सरकार ने जो किया -करवाया वह जग जाहिर है।

‘एक राष्ट्र -एक चुनाव’

भाजपा के मंदिर मुद्दे पर हम आगे के अंकों में और विस्तार से चर्चा करेंगे।  फिलहाल,  ‘ एक राष्ट्र -एक चुनाव’ के मोदी जी के इस बरस गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कहे नए जुमले की हाल में नीति आयोग की नई दिल्ली में 17 जून को हुई बैठक में उठी गूँज का कारण समझना बेहतर होगा। मोदी जी ने इस बैठक में उपस्थित मुख्य मंत्रियों आदि को सम्बोधित करते हुए फिर कहा कि लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के उनके सुझाव  पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।  उनका कहना था कि खर्च और समय की बचत आदि के लिए  लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराना बेहतर होगा। बैठक के  बाद  नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि  देश लगातार चुनाव मोड में ही रहता है।  इससे विकास कार्य पर बुरा असर पड़ता है।  लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने के सुझाव पर अमल की शुरुआत देश भर में सभी चुनावों के लिये एक ही वोटर लिस्ट बनाने के कार्य से हो सकती है.

गौरतलब है कि नीति आयोग ने भी पहले सुझाव दिया था कि वर्ष  2024 से लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ दो चरण में कराये जाने चाहिए ताकि चुनाव प्रचार से राजकाज बाधित नहीं हो. निर्वाचन आयोग भी कह चुका है कि वह एकसाथ सभी चुनाव कराने के लिए तैयार है।

लेकिन कोई नहीं बता रहा है कि भारत संघ -राज्य के मूलतः संघीयतावादी मौजूदा संविधान के किस प्रावधान के तहत लोकसभा के साथ ही सभी राज्यों की विधान सभाओं के भी चुनाव थोपे जा सकते है। इस बारे में हम  चुनाव चर्चा के पिछले अंकों संवैधानिक पक्षों का विस्तार से जिक्र कर चुके हैं कि संविधान निर्माताओं के सम्मुख यह विकल्प खुला था।  फिर भी  पहली लोकसभा के चुनाव के साथ-साथ सभी राज्यों की विधान सभाओं के भी चुनाव नहीं कराये गए  तो उसके ठोस आधार हैं।

गठबंधन जोड़ -तोड़

इस बीच, केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस और विपक्षी दलों के कांग्रेस के नेतृत्व में प्रस्तावित महागठबंधन में जोड़ -तोड़ का सिलसिला आगे बढ़ रहा है।  गैर-भाजपा, गैर -कांग्रेस दलों के संभावित तीसरा मोर्चा की भी सुगबुगाहट है।  इस तीसरा मोर्चा में दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री एन चंद्राबाबू नायडू के तेलुगु देशम और पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस तक की भागीदारी अटकलें हैं। लेकिन इसकी कोई ठोस पहल अभी तक सामने  नहीं आई है।

खबर है कि बिहार और झारखंड में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी  और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी -लेनिनवादी  लिबरेशन ) से लेकर मार्क्सिस्ट कोऑर्डिनेशन कमेटी तक की संसदीय कम्युनिस्ट पार्टियों ने महागठबंधन के संग लग जाने का निश्चय किया है।  भाकपा -माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने हाल में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन से बातचीत करने के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से भी भेंट की है।  कोई औपचारिक घोषणा तो नहीं की गई है लेकिन संकेत मिले है कि इस महागठबंधन में इन संसदीय कम्युनिस्ट पार्टियों के लिए बिहार और झारखंड में पांच से सात सीटें छोड़ी जा सकती है।  इनमें से एक, बिहार की बेगूसराय लोक सभा सीट पर भाकपा की ओर से जवाहर लाल नेहरू विश्वि विद्यालय के छात्र नेता कन्हैया कुमार को खड़ा करने की खबर जोर पकड़ती जा रही है।

उत्तर प्रदेश में  महागठबंधन की अंतिम तस्वीर अभी नहीं उभरी है।  इसमें कांग्रेस बाधक बताई जाती है।  कांग्रेस ने   हाल के कैराना उपचुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में राष्ट्रीय लोक दल की सफल उम्मीदवार तब्बसुम हसन   का समर्थन किया था।  लेकिन इसके पहले कांग्रेस ने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए थे।  बसपा, समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के लिए उत्सुक नज़र आती है।  लेकिन कांग्रेस के प्रति बसपा और सपा , दोनों का ही रूख कुछ अनुदार बताया जा रहा है।

विधानसभा चुनाव

जैसा कि हम  चुनाव चर्चा के पिछले ही अंक में जिक्र कर चुके हैं कि अगले बरस निर्धारित आम चुनाव से पहले राजस्थान , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और
मिजोरम के  विधानसभा चुनाव होने हैं. मिजोरम की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर को ,  मध्य प्रदेश  अगले बरस सात जनवरी को, छत्तीसगढ़ में अगले बरस 15  जनवरी को और राजस्थान में  भी 20 जनवरी 2019 को समाप्त होगा। निर्वाचन आयोग ने  मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटरों के ‘ पकडे ‘ जाने की कांग्रेस की शिकायतों के बाद उनकी जांच के लिए अपने अफसरों की टीम नियुक्त कर उनसे रिपोर्ट मांगी थी।  लेकिन उस रिपोर्ट के बारे में कोई खबर नहीं नहीं  है।  इन राज्यों में भाजपा -विरोधी महागठबंधन की साफ तस्वीर अभी नहीं उभरी है।  लेकिन संभव है निर्वाचन आयोग द्वारा उन चुनावों की औपचारिक घोषणा होने तक चुनावी तस्वीर साफ हो जाए।  पहले संकेत थे कि  इन चुनावों में बहुजन समाज पार्टी को संग रखने के लिए कांग्रेस की बातचीत प्रगति पर है।  लेकिन हाल में बसपा ने बयान दे दिया है कि वह अपने दम पर ही चुनाव लड़ेगी।  बसपा का यह बयान सीटों के बंटवारे में राजनीतिक सौदेबाजी भी हो सकती है।  इस बीच राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने  11 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी हैं।  इनमें  दांतारामगढ से जुझारू किसान नेता  एवं पूर्व विधायक कामरेड अमराराम  प्रमुख हैं।

 



( मीडियाविजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)