होली पर भारतवासियों के नाम जेल में बंद सत्याग्रहियों का खुला ख़त

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बैरक न. 14B
फतेहपुर, जिला जेल
दिनांक 8 मार्च 2020
प्रिय भारतवासियों
आप सभी को होली की शुभकामनाएं.

आज जब समूचा देश होली का त्यौहार मना रहा है, ऐसे वक्त में हम 8 सत्याग्रहियों को शांतिभंग अंदेशे में जिला प्रशासन फतेहपुर द्वारा गिरफ्तार करके पिछले तीन दिनों से जिला जेल फतेहपुर में बंद किया गया है.

आप सब को विदित है कि, नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा जो चौरी-चौरा से दिनांक 2 फरवरी को राजघाट (दिल्ली) के लिए चली थी. हम सब पदयात्री अमन और भाईचारे के संदेश के साथ पैदल चलते हुए राजघाट पहुंने वाले थे लेकिन ग़ाजीपुर पहुंचते ही दिनांक 11 फरवरी 2020 को शांतिभंग के अंदेशे में 6 दिन तक गिरफ्तार करके जिला जेल- ग़ाजीपुर में रखा गया. उस वक्त जेल में रहते हुए बिना शर्त जमानत लेने की शर्त रखी गयी थी, क्योंकि सद्भावना, शांति, भाईचारे की बात करना कोई शांतिभंग करना नहीं है. साथ ही यह उतना ही पवित्र है जितना कि मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे जाना. अगर प्रशासन मंदिर , मस्जिद, गुरूद्वारे की दैनिक प्रक्रियाओं को बिना किसी बाधा डाले सुरक्षा देता है तो हम ये उम्मीद करते हैं कि प्रशासन द्वारा हमारी यात्रा को भी सुगमता प्रदान करनी चाहिए. आखिरी में जिला प्रशासन द्वारा हमें बिना किसी शर्त के कुछ दिनों बाद रिहा कर दिया गया.

नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा जिला ग़ाजीपुर जेल से छूटने के बाद पुनः प्रारंभ होकर लगभग 600 किमी. की यात्रा तय करके फतेहपुर शहर की सीमा में 5 मार्च की रात 8 बजे पहुंचते ही पुलिस प्रशासन द्वारा हमें दोबारा से हिरासत में ले लिया गया और पुलिस की निगरानी में रात भर रखा गया. अगली सुबह दिनांक 6 मार्च 2020 को पुलिस का पहरा और बढ़ा दिया गया. उनकी ओर से ये भी कहा गया कि अपने तयशुदा कार्यक्रम (सर्वधर्म प्रार्थना) को फतेहपुर में ना करें साथ ही फतेहपुर शहर को छोड़कर आगे कानपुर की बढ़ जाएं. वहीं हम सभई सत्याग्रहियों ने मिलकर तय किया कि हम अपने तयशुदा कार्यक्रम को करते हुए शहर से गुज़रेंगे और कानपुर की तरफ प्रस्थान करेंगे. सर्वधर्म प्रार्थना से किसी भी तरीके की शांतिभंग नहीं हो सकता ना ही प्रशासन के काम में बाधा हो सकती है. इसी बात को प्रशासन के सामने रखते हुए हम आग बढ़े जहां शहर की सीमा के बाहर नऊवाबाग में भारी पुलिस बल द्वारा गिरफ्तार करके हुसैनगंज थाना ले जाया गया. जहां हमें 8 घंटे रखा गया. इसी बीच प्रशासन द्वारा हमारे सामने शर्त रखी गई कि हम माफीनामे पर हस्ताक्षर करें जिसमें ये लिखा गया था कि हमें शांतिभंग के अंदेशे में गिरफ्तार किया गया है और हम वचन देते हैं कि हम आगे से शांतिभंग नहीं करेंगे और अपनी यात्रा शहर से हटकर कानपुर की ओर ले जाएंगे. हम सबने ये कहते हुए कि प्रशासन के माफीनामे को अस्वीकार कर दिया कर दिया कि गांधी की बात करना, उनके अमन और भाईचारे की बात करना , अहिंसा के रास्ते पर चलना, कोई गुनाह नहीं है और ना ही कहीं से शांतिभंग की स्थिति पैदा करना है. यदि प्रशासन को हमारा कार्य, हमारी पदयात्रा, शांतिभंग लगता है , उनकी नज़र में ये गुनाह है तो हम उनके द्वारा गिरफ्तार करने के डर से अपने उद्देश्य नहीं छोड़ेंगे और इस गुनाह को सहज स्वीकार करेंगे. हम इसके लिए किसी भी प्रकार की कानूनी यातनाओं का भी स्वागत करेंगे. साथ ही किसी भी तरीके की जमानत नहीं लेंगे. क्योंकि इस देश के लिए मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा, गिरजाघर जितना मायने रखता हा इतना ही गांधी की शांति, सौहार्द, भाईचारे और आपस में अमन कायम करना मायने रखता है जो संविधान सम्मत भी है.

आज के इस वक्त में जब देश हिंदू-मुसलमान के दो गुटों में बंट गया है, और किसी भी तरीके का संवाद नहीं हो रहा है. केवल दोनों तरफ से नारे सुनाई दे रहे हैं, जो संवाद नहीं हैं. ऐसे वक्त में हम चंद युवा अपने बढ़ते कदमों के माध्यम से उन दो ध्रुवों के बीच संवाद एक रेखा खींचने का प्रयास कर रहे हैं. हमारी आस्था महात्मा गांधी और इस देश के संविधान में निहित है. ऐसे में हमारी पदयात्रा को बार-बार शांतिभंग के अंदेशों में प्रशासन द्वारा रुकावटें पैदा करना कहीं से न्यायोचित नहीं है. अगर प्रशासन को हमारी यात्रा कहीं से शांतिभंग लगती है तो हम पदयात्रियों ने उनके द्वारा दी गई कानूनी यातनाओं को सहर्ष स्वीकार करना तय किया है. आज के दौर में यही हमारा सविनय अवज्ञा है.

हमारी समस्त देशवासियों से अपील है जो अमनपसंद, सद्भावना और भाईचारे से ओतप्रोत मुल्क की तासीर में विश्वास रखते हैं वे आगे आएं और सांप्रदायिकता के खिलाफ हमारी मुहिम को अपना साथ दें. पुनः आप सभी को भाईचारे से सने रंगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएं.
धन्यवाद!

आर्य भारत, मनीष शर्मा, नीरज राय, राजविंद तिवारी, विवेक मिश्र, प्रात कुमार चंद्रवंशी, जीतेश मिश्रा, प्रियेश पाण्डे.