हिरासत में प्रियंका: प्रशासन ने वकीलों को मिलने से रोका, लखीमपुर जाने पर अड़ीं!


प्रियंका गाँधी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे लखीमपुर जाकर शहीद किसानों के परिजनों से मिले बिना नहीं लौटेंगी। प्रशासन ने मुआवज़े की माँग तो मान ली है लेकिन पूरे घटनाक्रम के मूल में मौजूद केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र को अब तक बरखास्त नहीं किया गया है जो किसानों की सबसे बड़ी माँग है। प्रियंका गाँधी ने दोहराया है कि कांग्रेस पार्टी पूरी ताकत से किसानों के साथ खड़ी है और यूपी के तानाशाही निज़ाम को खत्म करके ही दम लेगी।


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कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गाँधी के वकीलों को क़रीब 17 घंटे बाद भी उनसे मिलने नहीं दिया गया। यही नहीं प्रशासन ने उन्हें हिरासत में लेने की कोई क़ानूनी वजह भी अब तक नहीं बतायी है।

सीतापुर के पीएसी द्वितीय वाहिनी परिसर में हिरासत में रखी गयीं प्रियंका गाँधी को हरगाँव में सोमवार सुबह साढ़े चार बजे हिरासत में लिया गया था। क़ानूनी रूप से किसी को 24 घंटे से ज़्यादा हिरासत में नहीं रखा जा सकता, लेकिन प्रशासन आगे की योजना को लेकर मुँह नहीं खोल रहा है।

प्रियंका गाँधी ने साफ़ कहा है कि वे हिरासत से छूटते ही लखीमपुर खीरी जाकर शहीद किसानों के परिजनों से मिलेंगी। उन्होंने ये भी कहा कि अगर प्रशासन को किसी तरह की आशंका है तो अपनी निगरानी में उनके समेत चार लोगों के कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को परिजनों से मिलाने ले जाये, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बार-बार ‘ऊपर का आदेश’ या ‘ऊपर से पूछकर बताते हैं’ जैसी बात कहकर टरका रहे हैं।

इस बीच प्रियंका गाँधी से योगी प्रशासन लगातार अशालीन व्यवहार कर रहा है। प्रियंका गाँधी ने कुछ मीडिया संस्थानों से बात की जिसे लेकर भी वह भड़का हुआ है। प्रशासन ने प्रियंका गाँधी को एक धूल भरे कमरे में रखा था जिसे उन्होंने खुद झाड़ू लगाकर साफ़ किया। इसका वीडियो वायरल हुआ तो प्रशासन ने ऐसा रुख अपनाया जैसे कि वी़डियो बनाने से कोई अपराध हुआ हो। प्रशासन की ओर से कहा गया कि अब प्रियंका गाँधी के कमरे में दो पुलिस वाले बैठकर निगरानी करेंगे। ऐसी आपत्तिजनक बात की तीखी प्रतिक्रिया हुई तो वह बैकफुट पर आया।

प्रियंका गाँधी के साथ प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर, यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.वी.श्रीनिवास, एमएलसी दीपक सिंह भी हिरासत में हैं। बाहर हज़ारों कांग्रेस कार्यकर्ता और पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता डटे हुए हैं। शाम को शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए मौन सभा भी हुई।

प्रियंका गाँधी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे लखीमपुर जाकर शहीद किसानों के परिजनों से मिले बिना नहीं लौटेंगी। प्रशासन ने मुआवज़े की माँग तो मान ली है लेकिन पूरे घटनाक्रम के मूल में मौजूद केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र को अब तक बरखास्त नहीं किया गया है जो किसानों की सबसे बड़ी माँग है। प्रियंका गाँधी ने दोहराया है कि कांग्रेस पार्टी पूरी ताकत से किसानों के साथ खड़ी है और यूपी के तानाशाही निज़ाम को खत्म करके ही दम लेगी।

इसके पहले बीती रात लखनऊ से निकलने के दौरान प्रियंका गाँधी को जगह-जगह रोकने की कोशिश हुई। प्रियंका गाँधी की गाड़ी लखनऊ में रोक ली गयी तो वे पैदल ही चल पड़ीं। बाद में दूसरी गाड़ी में बैठ कर आगे बढ़ीं।

प्रियंका गाँधी को लखनऊ से निकलने से रोकने के लिए तमाम सड़कों और टोल नाकों पर भारी पुलिसिया इंतज़ाम किया गया था। भारी बारिश भी हो रही थी, लेकिन प्रियंका गाँधी का काफिला लगातार पुलिस बैरीकेडिंग से टकराते आगे बढ़ा और आगे चलकर उसने मुख्य रास्ता छोड़ दिया।

प्रियंका गाँधी को रोकने के लिए लखनऊ से लखीमपुर के रास्ते को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया, लेकिन उनका काफिला हरगाँव तक पहुँच ही गया। वहाँ पुलिस वालों ने प्रियंका गाँधी और कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ काफी अभद्रता की। प्रियंका गाँधी ने बार-बार हिरासत में लिये जाने का आधार पूछा, लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था। सुबह करीब साढ़े चार बजे प्रियंका गाँधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को जबरदस्ती हिरासत में ले लिया गया।