‘गरिमा’ अभियान: महिलाओं को 25 लाख सेनेटरी नैपकिन बांटेगी महिला कांग्रेस

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कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते मुश्किलों का सामना कर रहे गरीब परिवारों की महिलाओं को महिला कांग्रेस सेनेटरी नैपकिन पहुंचाने का काम करेगी। इसके लिए महिला कांग्रेस ने 29 मई से ‘गरिमा’ अभियान की शुरुआत की है. आने वाले दिनों में महिला कांग्रेस उन महिलाओं तक 25 लाख सेनेटरी नैपकिन बांटेगी, जो लॉकडाउन की वजह से इनको खरीद नहीं पा रही हैं.

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने कहा कि ये अभियान इसलिए शुरू किया गया है ताकि हमारी बहनें बिना किसी तकलीफ के, झिझक या शर्म के माहवारी के दौरान अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें. उन्होने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम देश के सभी रेलवे स्टेशन पर श्रमिक ट्रेनों से यात्रा कर रही उन महिलाओं तक 25 लाख हाइजीन किट पहुँचायें, जो बिना मूलभूत सुविधाओं वाली इन ट्रेनों से लंबा सफर कर रही हैं. प्रत्येक हाइजीन किट में सैनिटरी नैपकीन और साबुन एक डिस्पोसेबल बैग में रख कर इन महिलाओं को दिया जायेगा.

सुष्मिता देव कहना है कि प्रवासी मजदूरों के पलायन की हृदयविदारक तसवीरें हमारे समय की सबसे बड़ी त्रासदी है. सड़कों पर अपने परिवार के साथ पैदल चल रहे ये मजदूर सरकारी तंत्र की विफलता और असंवेदनशीलता का सबसे बड़ा प्रमाण है. इस पूरी त्रासदी के बीच है हमारी बहने जिनकी स्वास्थ्य सम्बन्धी मूलभूत जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया जाता.

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सुष्मिता देव कहा कि इस सरकार की महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का स्तर यह है कि इन्होंने देशव्यापी लॉकडाऊन  की घोषणा के समय सैनिटरी नैपकिन को आवश्यक उत्पादों की श्रेणी में रखा ही नहीं। जब लोगों ने इसकी आलोचना की तब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक सर्कुलर के माध्यम से सैनिटरी नैपकिन को आवश्यक उत्पाद में शामिल किया.

उन्होंने कहा कि महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी महिलाओं को बता रही हैं कि सस्ते दरों पर सैनिटरी नैपकिन आप जन औषध केंद्र से ख़रीदें, लेकिन अगर हम सोचें कि जो महिला 12 से 18 घंटा आज क़तार में खड़ी है मेडिकल सर्टिफ़िकेट के लिए, या ट्रेन में जाने के लिए या जो पैदल चल रही है अपने गाँव तक, जो क्वॉरंटीन सेंटर में है, आज जन औषध केंद्र तक कैसे पहुँचेगी?

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस लाकडाउन के पहले चरण से जनसेवा कर रही है. यह हर किसी ने बार बार महसूस किया है कि इस पूरे समय में महिलाओं की जरूरतों पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। लॉकडाउन के पहले दिन से आज तक महिला कांग्रेस ने तक़रीबन 4-5 लाख सैनिटरी नैपकिन का वितरण पूरे देश में किया है. पर संकट अब गहराता जा रहा है. यह सर्वविदित है कि जब भी किसी परिवार पर आर्थिक संकट आता है, तो महिलाओं की जरूरतों पर सबसे पहले रोक लगती है, जिसके कारण माहवारी के उत्पादों तक उनकी पहुँच और कठिन हो जाती है.

यह इस सरकार की सोच से बाहर है कि माहवारी महामारी के वक़्त नहीं रूकती. हम गरिमा के माध्यम से यह सन्देश देना चाहते हैं कि सुरक्षित माहवारी एक मानव अधिकार है- गरिमा, समानता और स्वास्थ्य का अधिकार.


 


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