बाराबंकी में महिला पत्रकार से गैंग रेप, FIR दर्ज होने में लग गए पांच दिन, मीडिया बेख़बर

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अभिषेक श्रीवास्‍तव

तमिलनाडु के गवर्नर ने पिछले दिनों ‘द वीक’ की महिला पत्रकार के साथ अपने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में अभद्रता कर दी थी तो मामला राष्‍ट्रीय सुर्खियों में आ गया था और गवर्नर को लिखित में माफी मांगनी पड़ी थी। उत्तर प्रदेश में महिला पत्रकार के साथ गैंग रेप हुआ है। इस घटना को आज आठ दिन हो गए जबकि एफआइआर दर्ज हुए भी दो दिन हो रहे हैं, लेकिन दिल्‍ली तो क्‍या यह मामला स्‍थानीय व क्षेत्रीय मीडिया से भी नदारद है।

उत्‍तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक महिला पत्रकार के साथ सामूहिक बलात्‍कार के मामले में एफआइआर दर्ज की गई है। घटना 12 अप्रैल की है जिसके बाद पीडि़ता महिला पत्रकार प्रार्थना पत्र लेकर पुलिस थाने और कोतवाली का चक्कर लगाती रही लेकिन पांच दिन तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। पीडि़ता का पति भी पत्रकार है और एक समाचार चैनल, साप्ताहिक अखबार व पत्रिका का संपादक है। जब पत्रकार दम्पत्ति की पुलिस ने नहीं सुनी, तो जिले के सामाजिक कार्यकर्ता रणधीर सिंह सुमन के प्रयासों से तहसील दिवस पर एसपी बाराबंकी ने आखिरकार प्रार्थना-पत्र को संज्ञान में लेकर बलात्कार का मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए।

एफआइआर 17 अप्रैल को आइपीसी की धारा 376-डी और 392 के तहत दर्ज की गई है जिसमें दो पुरुषों सुनील गुप्‍ता, रामसागर गुप्‍ता और एक महिला शिमला देवी को आरोपी बनाया गया है। एफआइआर में दर्ज विवरण के मुताबिक पीडि़ता अपने गांव से बाराबंकी शहर किसी निजी काम से 12 अप्रैल्‍ को आई थी। लौटते वक्‍त सफेदाबाद में शाम हो गई। एफआइआर के मुताबिक रात लगभग आठ बजे केवाड़ी गांव के देवी मंदिर के पीछे वाले जंगल में सुनील गुप्‍ता, निवासी सफेदाबाद मजरे खसपरिया, राम सागर गुप्‍ता निवासी निवासी सफेदाबाद मजरे खसपरिया और एक अज्ञात व्‍यक्ति ने उसे अकेला पाकर पकड़ लिया।

सुनील गुप्‍ता ने कट्टा दिखाकर कहा कि शोर करोगी तो जान से मार देंगे। इसके बाद तीनों व्‍यक्तियों ने मिलकर पीडि़ता को जंगल में गिरा दिया और शिमला देवी, पत्‍नी सुनील गुप्‍ता, पीडि़ता को पकड़े रही। तीनों ने फिर बारी-बारी से महिला के साथ बलात्‍कार किया।

एफआइआर में दर्ज विवरण के मुताबिक बलात्‍कार के बाद ये लोग पीडि़ता के गले में पड़ी सोने की चेन सहित 1350 रुपये लूट कर फ़रार हो गए। पीडि़ता ने 14 अप्रैल को बिलकुल इन्‍हीं विवरणों के साथ एक प्रार्थना पत्र बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक के नाम लिखा था और उसकी प्रति उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री, राज्‍य के पुलिस महानिदेशक, फैजाबाद रेंज के डीआइजी और प्रमुख सचिव, उत्‍तर प्रदेश को अग्रसारित की थी लेकिन यह प्रार्थना पत्र तीन दिनों तक स्‍वीकार नहीं किया गया। बाद में तहसील दिवस पर इसी प्रार्थना पत्र के आधार पर एफआइआर दर्ज करने का आदेश बाराबंकी के एसपी ने दिया।

बाराबंकी के सामाजिक कार्यकर्ता और लोक संघर्ष पत्रिका के संपादक रणधीर सिंह सुमन ने मीडियाविजिल को यह जानकारी 17 अप्रैल को दी थी लेकिन तब घटना में एफआइआर नहीं हुई थी। महिला पत्रकार इंसाफ-ए- जजमेंट अखबार और वैशाली एक्‍सप्रेस चैनल में काम करती है। उसका पति भी पत्रकार है। इस घटना की पृष्‍ठभूमि के बारे में वेबदुनिया पर अरविंद शुक्‍ला ने लिखा है कि मामला पीडि़ता के पति के अतीत में किए किसी स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा है जिस मामले में उसे जेल हो चुकी है।

अरविंद शुक्‍ला की रिपोर्ट कहती है, ”बाराबंकी के पूर्व पुलिस अधीक्षक के खिलाफ एक पुलिस कांस्टेबल ने 7-8 लाख रुपए लेकर बाराबंकी के थानों में पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग कराने का आरोप लगाया था। पीड़िता के पति ने इस स्टिंग को अपने चैनल में 3-4 बार क्या चलाया मानो उस पर विपत्ति का पहाड टूट पड़ा। पत्रकार पति और उसके भाई को जेल की हवा खानी पड़ी। उस पर लूट और अन्य मामलों के आरोप लगे। पति तो इस समय जमानत पर जेल से बाहर है किंतु उसका भाई अभी जेल की हवा खा रहा है। पत्रकार द्वारा एसपी के स्टिंग ऑपरेशन का असर यह हुआ कि एसपी अनिल कुमार सिंह का स्थानांतरण एसपी बाराबंकी के पद से लखनऊ में कम महत्व के पद पर हो गया किंतु पत्रकार दम्पत्ति को अभी भी यह लग रहा है कि उनके साथ हुए हादसों की डोर पुलिस के हाथों में है।”

 

शुक्‍ला लिखते हैं, ”इस संवाददाता को पुलिस सूत्रों ने बताया कि महिला पत्रकार ने जिस सुनील गुप्ता पर बलात्कार का आरोप लगाया है, वह और कोई नही उनका पड़ोसी है। पड़ोसी से उनका विवाद पुराना है। पड़ोसी ने पत्रकार के खिलाफ पुलिस में मारपीट, लूट का मुकदमा दर्ज कराया था जिस पर पत्रकार को जेल की हवा खानी पड़ी थी। पत्रकार दम्पत्ति का कहना है कि शिकायतकर्ता को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है।”

उत्‍तर प्रदेश की महिला पत्रकार के साथ हुए इस जघन्‍य अपराध के मामले में उत्‍तर प्रदेश जर्नलिस्‍ट असोसिएशन (उपजा) के प्रांतीय महामंत्री रमेश चंद्र जैन ने आक्रोश व्‍यक्‍त करते हुए कहा है कि अगर इस महिला के आरोपियों की तत्‍काल गिरफ्तारी नहीं की जाती तो प्रदेश भर के पत्रकार जनांदोलन के लिए बाध्‍य होंगे।


(बाराबंकी से रणधीर कुमार सुमन के साथ)


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