PRC के मुद्दे पर अरुणाचल बंद में हिंसा, रद्द हुआ अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्टिवल का उद्घाटन


‘पाकिस्तान से युद्ध’ में जुटे मीडिया को जैसे इस घटना की ख़बर ही नहीं है


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ऊपर की तस्वीर के बीच में लगा फ़ेसबुक स्टेटस राज्यसभा टीवी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार सैयद मोहम्मद इरफ़ान का है। चैनल के लोकप्रिय कार्यक्रम गुफ़्तगू के प्रस्तोता इरफ़ान ने यह स्टेटस 23 फ़रवरी के तड़के करीब तीन बजे लिखा। वे अरुणाचल प्रदेश में पहली बार आयोजित हो रहे अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्टिवल के कवरेज के लिए ईटानगर गए थे। जनजातीय समाज पर केंद्रित इस तीन दिवसीय समारोह का उद्घाटन दोर्जे खांडू कन्वेंशन सेंटर में 22 फ़रवरी की शाम होना था। लेकिन नागरिकता विवाद को लेकर बुलाए गए बंद के समर्थकों ने अचानक वहाँ पहुँचकर उत्पात मचा दिया। कन्वेशंन सेंटर पर पथराव किया गया और तमाम गाड़ियाँ फूंक दी गईं। पास के इंदिरा गाँधी पार्क में बने अस्थायी ऑडीटोरियम भी जला डाला गया।

इरफ़ान की इस फ़ेसबुक पोस्ट से पता चलता है कि उद्घाटन समारोह में शामिल होने पहुँचे लगभग सौ कलाकारों ने, जिनमें संगीतकार, गायक और नर्तक थे, रातभर ऑडीटोरियम में छिपे रहकर अपनी जान बचाई। राज्यसभा टीवी की टीम भी उनके साथ ही थी। ख़बर है, ज्यूरी में शामिल विदेशी मेहमानों को तो सुरक्षाबलों ने समय रहते होटल पहुँचा दिया, लेकिन बाकी लोगों को वहीं रहने को कहा गया।

हैरानी की बात ये है कि ‘पाकिस्तान से युद्ध’ में जुटे मीडिया को जैसे इस घटना की ख़बर ही नहीं है। शायद ही किसी अख़बार या चैनल में ये ख़बर दिखी क्या हिंदी पट्टी के लोगों को यह जानने का हक़ नहीं है कि पूर्वोत्तर क्यों जल रहा है? ख़ासतौर पर जब अरुणाचल प्रदेश का जनजीवन बीते 60 घंटों से अस्तव्यस्त है। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश के कई नागरिक और छात्र संगठनों ने गैर अरुणाचली समुदायों को पर्मानेंट रेजीडेंट सर्टिफिकेट (PRC) देने की बीजेपी सरकारी की कोशिशों के खिलाफ 21 और 22 फरवरी को बंद का आह्वान किया था। सरकार द्वारा 1 मई 2018 को बनाई गई  हाई पावर कमेटी ने नमसई और चांगलांग जिलों में अरसे से रहने वाले छह समुदायों को स्थायी निवासी होने का प्रमाणपत्र देने की सिफारिश की है जो अरुणाचल प्रदेश की मूल निवासी नहीं हैं।

सरकार की इस कोशिश को अरुणाचल की संस्कृति पर खतरा बताते हुए विरोध हो रहा है। आरोप है कि बीजेपी सरकार PRC देकर वोटबैंक बनाने की साजिश रच रही है। कमेटी की इन सिफारिशों को शनिवार को विधानसभा में रखने का प्रस्ताव था जिसके खिलाफ यह गुस्सा फूटा। 48 घंटे का बंद दूसरे दिन खासतौर पर हिंसक हो गया। 22 फरवरी को आल अरुणाचल प्रेदश स्टूडेंट यूनियन (AAPSU) और ऑल न्यिशी स्टूडेंट यूनियन (ANSU) के दफ्तर जला दिए गए। प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह पत्थरबाज़ी की। इस पथराव की चपेट में पूर्व मुख्यमंत्री नाबाम टुकी की गाड़ी भी आ गई। बंद समर्थकों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-415 को जगह-जगह बाधित कर दिया। टायर जलाकर रास्ता बंद करने की तमाम घटनाएँ हुईं जिनसे पुलिस जूझती रही।

प्रदर्शनकारियों ने ईटानगर में सचिवाल भी घेर लिया जिसकी सुरक्षा में बड़ी तादाद में सुरक्षा बलों के जवान लगाए गए हैं। बंद की वजह से बाज़ारों के साथ-साथ वित्तीय और शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहे। दफ्तरों में भी कर्मचारियों की उपस्थिति कम रही। पुलिस ने तोड़फोड़ और बलवा करने के आरोप में 27 प्रदर्शनकारियो को हिरासत में लिया है।

इस विरोध को देखते हुए सरकार ने फिलहाल कदम पीछे खींच लिए हैं। अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने ट्वीट किया है कि मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए विधानसभा के वर्तमान सत्र में PRC के मुद्दे पर चर्चा नहीं की जाएगी।

बहरहाल, इस विरोध को सबसे ज्यादा भुगतना उन कलाकारों को पड़ा है जो जनजातियों पर केंद्रित प्रदेश के इस फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने पहुँचे थे। अरुणाचल प्रदेश में पहली बार फेस्टिवल हो ने वाला था। प्रदेश सरकार ने इंटरटेनमेंट सोसायटी आफ गोवा के साथ एमओयू साइन किया है जो गोवा में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल कराती है। अरुणाचल प्रदेश का फिल्म फेस्टिवल कराने की जिम्मेदारी भी उसी को दी गई है। मीडिया विजिल ने इस मसले पर फेस्टिवल के सीईओ अमिय अभ्यंकर से बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने पलट कर फोन करने को कहते हुए कॉल काट दी। बहरहाल, फेस्टिवल का उद्घाटन न हो पाना तो एक तथ्य है। सवाल है कि समारोह कैंसल होगा या स्थगित। आशंका है कि बंद की मियाद बढ़ सकती है जिसे देखते हुए फिल्म समारोह के कैंसल होने की आशंका ही प्रबल है।

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