दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों में आग भरता ‘विकल्प’ सचल पुस्तकालय!

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राजधानी दिल्ली की अलग अलग सीमा पर मुख्य रूप से पंजाब के किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं जिन्हें तमाम किसान समूहों का समर्थन मिल रहा है। तक़रीबन महिना भर होने को है, ये किसान टस से मस नहीं हुए हैं। यह जनांदोलन एक व्यापक रूप लेता जा रहा है जहाँ तमाम तरह के समूह भी सक्रिय हैं जो गायन, नाटक, भाषण, पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से किसान आन्दोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं। इसी आन्दोलन में ‘विकल्प मंच’ नाम से एक सचल पुस्तकालय भी अपनी प्रखर भूमिका निभाता नजर आ रहा है हालांकि ‘विकल्प मंच’ के इस सचल पुस्तकालय से प्रभावित होकर दूसरे पुस्तकालय भी सक्रिय हो गए हैं।

सिन्धु बोर्डर, टिकरी बोर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर आन्दोलन के शुरूआती दिनों से ही पुस्तकालय रोजाना किसानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। दिन भर यहाँ किसानों का ताँता लगा रहता है। ‘विकल्प मंच’ के इस पुस्तकालय की खास बात यह है कि यहाँ 5-50 रूपये तक की न्यूनतम राशि की किताबें उपलब्ध हैं। जिसमें ‘जन विरोधी-किसान विरोधी तीन नए कृषि कानून’ नामक पुस्तिका सबसे ज्यादा चर्चित रही है। किसान जिसे हाथों हाथ ले रहे हैं। यहाँ तक कि किसान अपने किसान भाई-बंधुओं के लिए भी ले जा रहे हैं। कुछ किसानों ने अपनी तरफ से सहयोग राशि देकर किसानों में पुस्तिका को बाँटने का जिम्मा ले लिया। इस पुस्तिका के माध्यम से तीन नए कृषि कानूनों पर विस्तार से बताया गया है। इस किताब की पंजाबी भाषा में होने की मांग है। बावन वर्षीय किसान कुलविंदर सिंह ने पूछने पर बताया ‘मैं इस किताब से क़ानून के बारे में जानूंगा और लोगों को भी बताऊंगा क्योंकि अख़बार और टीवी सब अच्छा अच्छा ही बताया जा रहा है। अगर क़ानून इतने ही अच्छे होते तो इतनी ठंड में हम सड़कों पर नहीं अपने खेतों पर होते।’

पुस्तकालय का संचालन कर रहे नौजवान अमित ने बताया कि किसान पढ़ रहे हैं, नए कानून को समझ रहे हैं और अपनी चेतना को विकसित कर रहे हैं। यहाँ तक कि कई बार भाषण में भी पुस्तिका को पढ़ने और समझने का आह्वान किया गया। इस सचल पुस्तकालय से किसान अपना नाम और मोबाइल नंबर लिखाकर किताब ले जाते हैं और आन्दोलन में शामिल होने के साथ ही किताब भी पढ़ कर वापस कर जाते हैं। नजदीक ही खड़े एक नौजवान ने बताया कि आज किसानों का आंदोलित होने के साथ-साथ शिक्षित और वैचारिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है तभी कोई आन्दोलन सफल हो सकता है।

‘तीन नए कृषि कानून’ पुस्तिका के बैक कवर पर किसान नेता चौधरी छोटूराम का उद्धरण है जिसमें लिखा है, “ऐ किसान! चौकस हो के रह, चौकन्ना बन। होशियारी से काम ले। यह दुनिया ठगों की बस्ती है और तू बड़ी आसानी से ठगों के जाल में फंस जाता है। जिनको तू पालता है वे भी तेरे विरुद्ध हैं। और तुझे खबर तक नहीं। कोई तुझे पीर बनकर लूटता है, कोई पुरोहित बनकर लूटता है। कोई तुझे शाह बनकर लूटता है। कोई तुझे ब्याज से लूटता है। कोई रिश्वत से लूटता है। कोई ग्राहक बनकर ऊन-सी तेरी उतारता है। कोई आढ़त से तुझे ठगता है, कोई कमीशन से तेरी दौलत को चट कर जाता है। कोई पिनाई में हाथ फेरी करता है, कोई तुलाई में तेरी आँखों में धूल डालता है। कभी भाव में तुझसे धोखा किया जाता है। यदि तू कुछ खुशहाल है तो तुझे काँरू और हातिमताई बनाकर लूटनेवाले भाट मौजूद हैं। यदि तू कंगाल है तो साहूकार जोंक की तरह तुझसे चिपट जाता है। जरा सोच कर देख। इतने भूतों से कैसे बचेगा। ख़ामोशी और बेजुबानी से नहीं, बल्कि अभियान चलाने और आवाज उठाने से। सुकून नहीं, बल्कि शक्ति से। बेबसी से नहीं, बल्कि आन्दोलन से। संघर्ष कर। गफलत के सपनों से जाग। करवट बदल। उठ मुंह धो, सक्रिय हो। कर्मयुद्ध में कूद पड़ और अपने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दे।”

पुस्तिका पर छपा ये उद्धरण आज किसानों का सूत्र बनता जा रहा है।

 

 


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