अमेरिका में ट्रंप समर्थकों की सत्ता हस्तांतरण रोकने की कोशिश, कैपिटल बिल्डिंग पर धावा बोला

मयंक सक्सेना मयंक सक्सेना
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ये अमेरिकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के इतिहास की सबसे ज़्यादा शर्मनाक करने वाली घटना है और कोई आश्चर्य नहीं कि इसके पीछे भी डोनाल्ड ट्रंप ही हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों में अपनी हार मानने से लगातार इनकार कर रहे, वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हज़ारों समर्थकों ने बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस पर धावा बोल दिया। ट्रंप के इन समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग को न केवल हज़ारों की संख्या में घेरा बल्कि उसके दरवाज़ों को ज़बरन खोलकर, उसके अंदर घुस गए। इस इमारत में अमेरिकी कांग्रेस का संयुक्त सत्र चल रहा था, जिसमें सत्ता हस्तांतरण और चुनाव नतीजों को औपचारिक रूप देने की प्रक्रिया चल रही थी।

इसके पहले, डोनाल्ड ट्रंप ने राजधानी वाशिंगटन डीसी में एक रैली की और अपने समर्थकों की भीड़ के सामने-एक बार फिर चुनावों की वैधता पर सवाल उठाए, मीडिया को फेक कहा और समर्थकों को उकसाने वाला भाषण दिया। इसके बाद उनके समर्थक, कैपिटल बिल्डिंग की ओर कूच कर गए। हैरानी की बात ये थी कि पुलिस ने उनको रोकने की ख़ास कोशिश नहीं की और वे इमारत के अंदर – सभागृह तक भी जा पहुंचे। ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग के अंदर तोड़फोड़ भी की।

इसके बाद पहले सीनेटर्स को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया और नेशनल गार्ड्स बुलाए गए। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बयान जारी कर के, डोनाल्ड ट्रंप से वीडियो संदेश के ज़रिए अपने समर्थकों को रोकने की अपील की। इसके बाद ट्रंप ने एक वीडियो संदेश जारी किया, हालांकि वह भी कम उकसावे वाला नहीं था। इसके बाद नेशनल गार्ड्स, वाशिंगटन पुलिस और नेशनल सीक्रेट सर्विस ने मिल कर इन हज़ारों लोगों से कैपिटल बिल्डिंग को खाली कराया।

ट्रंप के ही उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने कांग्रेस के सत्र की अध्यक्षता करते हुए, इस घटना की सिर्फ निंदा ही नहीं की – इसे शर्मसार करने वाला बताया। पेंस ने ये भी कहा कि लोकतंत्र, हिंसा से नहीं चलता और अमेरिकी लोकतंत्र में हार-जीत से कहीं बड़ा, संविधान और उसकी प्रक्रिया है। तमाम और सीनेटर्स और डेमोक्रेट्स के साथ, रिपब्लिकन नेताओं ने भी इस घटना की भर्त्सना की है।