ट्रांसपोर्टरों ने किया 30% भाड़ा वृद्धि का ऐलान, दाल, कपड़ा, सब्ज़ी सहित खाद्य पदार्थ महँगे!

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पहली अक्तूबर से मंगाई कि रफ्तार और तेज़ होने वाली है। क्योंकि माल ढुलाई भाड़ा 30% बढ़ने जा रहा है। जिससे रोज़ मर्रा के इस्तेमाल और खान पान की चीज़ों के दामों में भी बढ़ोतरी होगी। व्यापारियों के अनुसार टायर, दवा, कपड़ा, दाल, चावल, मसाले यूपी के बाहर से आते हैं। अब जब भाड़ा बढ़ेगा तो इन चीजों के दाम भी बढ़ेंगे,साथ-साथ आलू, प्याज, दाल सहित फल और खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे। ज़ाहिर है इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर ही पड़ेगा।

फलों के दाम 5- 10 रुपये प्रति किलो तक बढ़ोत्‍तरी..

व्यापारियों के अनुसार, माल भाड़ा बढ़ने से सब्जी और फल दोनों का ऑर्डर देना महंगा होगा। अभी भाव स्थिर है, लेकिन आने वाले दिनों में सब्जियों और फलों के दाम 5 से 10 रुपये प्रति किलो तक बढ़ सकते हैं। वहीं, कोरोना काल के बाद से पहले ही 15% महंगे हो चुके कपड़ों की कीमतों में माल भाड़े में 30% की बढ़ोतरी से और इजाफा होगा।

दालों के दाम 50 से लेकर 100 रुपये बढ़ सकते हैं..

हिंदुस्तान की एक खबर के अनुसार, लखनऊ दाल-चावल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता ने कहा कि माल भाड़ा बढ़ने से मुंबई से आने वाली दालों के दाम 50 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएंगे। जब दालों और चावल के दाम थोक भाव में बढ़ेंगे तो खुदरा कीमतों में और इजाफा होगा।

खान पान की चीजों का दाम बढ़ने का असर सब से ज्यादा मध्य वर्गी और गरीब परिवारों पर पड़ेगा। क्योंकि इससे उनकी रोज़ की थाली तो महंगी हो जाएगी, लेकिन आमदनी में इज़ाफा उतना नही होगा। माल भाड़ा बढ़ने से थोक बाजार के साथ-साथ खुदरा बाजार पर भी असर पड़ेगा। इसका भरी असर रोज़ मज़दूरी कर रोज़ समान खरीदने वाले मजदूरों पर ही होगा।

यूपी के कई शहर और गांव पहले ही वायरल बुखार और डेंगू से जूझ रहे हैं। हालात बुरे हैं, अस्पतालों का हाल जगज़ाहिर है। खराब स्वास्थ्य व्यवस्था से कितने बच्चों की जान जा चुकी है। गावों के गरीब परिवार पहले ही परेशान है, ऐसे में खाद्य सामग्रियों के साथ दावा का महंगा होना ग्रामीणों की परेशानियां और बढ़ा सकता है, लेकिन यूपी सरकार न ही बिमारियों से ग्रस्त लोगों को संभाल पा रही है न अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को और न ही बढ़ती मंगाई को।

 


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