किसान-मजदूरों ने मनाया ‘कॉरपोरेट विरोधी दिवस’, देशभर में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन!

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मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहा आंदोलन आज 110वें दिन भी जारी रहा। इस बीच आज देशभर में ‘कॉरपोरेट विरोधी’ व ‘निजीकरण विरोधी’ दिवस मनाया गया। पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की बढ़ रही कीमतों के खिलाफ आज अनेक ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, किसान संगठनों व अन्य जन अधिकार संगठनों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किए, रेलवे स्टेशनों पर हड़ताल की और अपने मांग पत्र सौपें। इस संबंध में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन पत्र दिए गए।

आज संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 46 वें सत्र के संबोधन में, ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के डॉ दर्शन पाल ने ज़ोर देकर कहा कि किसान जिन 3 केंद्रीय कानूनों का विरोध कर रहे हैं, ये कानून संयुक्त राष्ट्र के “किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य कामगारों के अधिकारों की घोषणा” का उल्लंघन करते है। भारत इस अंतर्राष्ट्रीय घोषणा पत्र का एक हस्ताक्षरकर्ता है।

आज मेवात के सूनेहड़ा-जुरेहड़ा बॉर्डर पर शहीद हसन खान मेवाती के शहादत दिवस पर किसान महापंचायत आयोजित की गई। मेवात के लोगों का शुरू से ही इस आन्दोलन में सहयोग रहा है। आज आयोजित महापंचायत में आये लोगों ने आगे भी सहयोग जारी रखने का वादा किया। मेवात के राजा हसन खान मेवाती बाबर की सेना से लड़ते हुए 15 मार्च 1527 के दिन शहीद हुए थे। यह लड़ाई इस क्षेत्र की कुर्बानी बयान करती है। राजा के साथ मेवात के हज़ारों लोग भी इस लड़ाई में शहीद हुए थे। मेवाती महिलाओं की भारी भागीदारी निश्चित तौर पर यह बताती है कि किसान आन्दोलन अब जनांदोलन बन चुका है।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि 19 मार्च 2021 को, पंजाब में बटाईदार किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष को याद करते हुए मुजारा लहर शहादत दिवस के मौके पर, FCI द्वारा खरीद व गुणवत्ता मानकों के परिवर्तित मानदंडों को लेकर प्रतिरोध व्यक्त किया जाएगा। यह बदलाव खरीफ विपणन सीजन 2021 के लिए FCI द्वारा निर्धारित किये जा रहे हैं। SKM समझता है कि ये सुनियोजित खरीद तंत्र को खत्म करने और पंजाब के किसानों को दंडित करने के लिए भारत सरकार की नई रणनीति है।

उत्तराखंड से चली किसान मजदूर जागृति यात्रा पलिया होते हुए संघाई पहुंची। यात्रा को भारी जनसहयोग मिल रहा है। कर्नाटक के बसवाकल्याण से बेलारी तक किसानों द्वारा पैदल मार्च किया जा रहा है। छोटी बैठकों व गांव की कमेटियों के माध्यम से आन्दोलन पूरे राज्य में फैल रहा है। हरियाणा के जाखल में एक महापंचायत में पुरुष और महिला किसानों की बड़ी भागीदारी देखी गयी।

‘निजीकरण विरोधी-कॉरपोरेट विरोधी’ दिवस पर प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन  

 

सेवा में,

भारत के प्रधान मंत्री

विषय – बढ़ती डीजल/पेट्रोल/एलपीजी की कीमतों के खिलाफ, एवं किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने बाबत

महोदय,

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के आह्वान पर, हम भारत के लोग, डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ, 3 किसान विरोधी केंद्रीय कानूनों को रद्द करने व सभी किसानों के लिए पारिश्रमिक एमएसपी की गारंटी के लिए एक कानून बनाने की मांग को लेकर अपने जिला और उप-मंडल मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

हम मांग करते हैं कि जो नीतियां, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण करेगी और भारतीय कृषि को कॉरपोरेट हाथो में देगी, उन नीतियों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। साथ ही डीजल/पेट्रोल/रसोई गैस की कीमतों को तुरंत कम किया जाना चाहिए।

साभार,

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ और अन्य संगठन