बिहार: NDA को हराने के लिए विपक्ष के बीच सीटों का सम्मानजनक समझौता हो- माले

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भाकपा-माले ने कहा है कि बिहार में एनडीए की हार की गारंटी के लिए विपक्षी दलों के बीच सम्मानजनक और कारगर समझौता जरूरी है। माले ने आगामी चुनाव की राजनीतिक दिशा तय करने और सीटों को लेकर सहमति बनाने के लिए तत्काल सभी पक्षों की बैठक बुलाए जाने की मांग की है। भाकपा-माले ने चुनावी तालमेल संबंधी वार्ता के  लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया है।

भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी द्वारा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के बीच चुनावी तालमेल के लिए गठित कमिटी की ओर से आज प्रेस बयान जारी करके कहा गया है कि चुनाव में एनडीए गठबंधन की हार सुनिश्चित करने के लिए बिहार की जनता चाहती है कि चुनाव में विपक्षी दलों के बीच सामूहिक बातचीत व सहमति के आधार पर एक कारगर एकता का निर्माण हो. वक्त की यही मांग है.

लेकिन मीडिया में ऐसी खबरें आ रही हैं कि राजद व कांग्रेस ने आपस में सीटों का बंटवारा कर लिया है और अन्य दलों को इसके साथ एडजस्ट किया जाएगा. हालांकि इस संदर्भ में राजद व कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. यदि ऐसा नहीं है, तो इन दोनों पार्टियों को तत्काल इन खबरों का खंडन करना चाहिए. लोकसभा चुनाव 2019 में जिस प्रकार से सीट बंटवारा हुआ था, वह हमें मान्य नहीं होगा.

अलोकतांत्रिक व मनमाने ढंग की प्रक्रिया अंततः विपक्ष की एकता को कमजोर ही करेगी. बिहार में वाम दल अपना स्वतंत्र अस्तित्व व आंदोलन की धारावाहिकता रखते हैं, इसलिए सीटों का तालमेल उचित विधि से सम्मानजनक व लोकतांत्रिक तरीके से ही होना चाहिए.

चुनावी तालमेल के संबंध में भाकपा-माले की राज्य कमिटी ने पांच सदस्यों की एक कमिटी का भी गठन किया है, जो पार्टी प्रतिनिधिमंडल की हैसियत से विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत करेगी. इस टीम में पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा व राजाराम सिंह, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव और विधायक दल के नेता महबूब आलम शामिल हैं.

इस टीम ने कहा है कि राजनीतिक दिशा व परिप्रेक्ष्य तय करने तथा सीटों को लेकर अंडरस्टैंडिंग बनाने को लेकर तत्काल सभी पक्षों की बैठक आहूत की जानी चाहिए!

भाकपा-माले ने अपने बयान में कहा है कि आज जब पूरा बिहार कोरोना महामारी, लॉकडाउन, बाढ़ व भयानक बेरोजगारी-भुखमरी की भीषण चपेट में है, चौतरफा संकट गहरा हो रहा है और राज्य की बड़ी आबादी अपने जीवन को बचाने का संघर्ष कर रही है, ऐसी विकट परिस्थिति में भाजपा-जदयू के दबाव में चुनाव आयोग द्वारा समय पर ही चुनाव कराये जाने की जिद एक बड़ा अपराध है, जिसका दंड राज्य की जनता को भुगतना होगा. इस जिद का मतलब है कि भाजपा-जदयू को जनता के जीवन और सुरक्षा की कोई भी चिंता नहीं है बल्कि वे इस संकट का उपयोग फिर से कुर्सी हथियाने के लिए करना चाहती हैं.

भाजपा-जदयू मुगालते में न रहे. उनकी सरकारों द्वारा किए जा रहे लगातार अपराधों व जनता की जिंदगी को जानबूझकर संकट में डालने के खिलाफ बिहार की जनता में व्यापक आक्रोश है. इसी बीच रेलवे के निजीकरण सहित सरकार की अन्य जनविरोधी व कॉरपोरेटपरस्त कार्रवाइयों ने भी जनता को आंदोलित कर रखा है. और बिहार की जनता पूरी तरह से भाजपा-जदयू को सबक सिखाने का मन बना चुकी है.


 


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