पुलिस हिरासत में महिला की संदिग्ध मौत, परिजनों का पुलिस पर आरोप, थाने का घेराव!

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पुलिस हिरासत में मौत मानो एक ट्रेंड बन चुका हैं। वर्दी शरीर पर आते ही पुलिसकर्मी ये भूल जाते हैं कि यह वर्दी उन्होंने हिरासत में आरोपियों को पीटने के लिए ही नही बल्कि लोगो की सुरक्षा के लिए भी पहनी है। बिहार के भोजपुर जिले के पीरों थाने में पुलिस हिरासत में एक महिला की संदिग्ध मौत का मामला जोर पकड़ रहा है। मृतक महिला के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए सोमवार को कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के लोगों ने थाने का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों की पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग है जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। न्याय की उम्मीद में लोग थाने का घेराव कर रहे है लेकिन सवाल ये बना है की जब सुरक्षा करने वाले ही मौत की वजह बनने लगे तो सुरक्षा की उम्मीद आखिर किस्से की जाए?

क्या है पूरा मामला..

दरअसल, पीरों थाना क्षेत्र के मोथी गांव में पुलिस को सह ग्रामीण चिकित्सक मंतोष कुमार का शव मिला था। शव मृतक के घर के पास एक बंद घर से बरामत किया गाया था। इस मामले में मृतक के भाई शेखर ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी। जिसके बाद इसी मामले में पुलिस ने 8 सितंबर को शोभा देवी और उनके बेटे प्रकाश कुमार को गिरफ्तार किया था, लेकिन शोभा का शव रविवार सुबह थाने के बाथरूम में मिला। पुलिस हिरासत में शोभा की संदिग्ध मौत पर परिजनों समेत लोग पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।


परिजनों का आरोप- हत्या हुई ..

वहीं मृतक महिला के भाई मुन्ना प्रसाद ने आरोप लगाया है कि उसकी बहन की मौत पुलिस हिरासत में मारपीट से हुई है। प्रदर्शनकारियों का भी यही आरोप है कि पहले महिला के साथ मारपीट की गई है जिसके कारण उसकी मौत हुई है। लेकिन पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है।

तीन महिला सिपाही सस्पेंड..

बता दें की इस मामले के तूल पकड़ने से रविवार को एसपी ने पीरों थाना में तैनात तीन महिला पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया। वहीं इस मामले में एसपी विनय तिवारी ने लापरवाही की बात मानते हुए अफसरों पर कार्रवाई की। उन्होंने पीरो एसएचओ अशोक चौधरी और ओडी अधिकारी दरोगा राजकुमार हेब्रम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

बर्बरता से की गई पिटाई..

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भाजपा नेता और चंद्रवंशी समाज के नेता अमित सिंह मंगल ने कहा कि जिस तरह से एक मासूम महिला और उसके बेटे को पुलिस ने बिना सबूत सिर्फ शक के आधार पर चार दिनों तक थाने में बंद कर, उसकी बर्बरता से पिटाई की है और उसकी हत्या को आत्महत्या करार दे रही है, यह पूरी तरह गलत है।