वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, पूछा- ‘कौन से उद्योग, वाहन और बिजली संयंत्र रह सकते हैं बंद? 

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
ख़बर Published On :


राजधानी दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण से हवा बेहद ज़हरीली बनी हुई है। इस स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली की केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली के वायु प्रदूषण को संकट की स्थिति बताया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से सवाल किया कि क्या वह उद्योगों को रोकने के अलावा वाहनों पर लगाम लगा सकते हैं? वहीं, कोर्ट ने पंजाब, यूपी, हरियाणा के मुख्य सचिवों को कल आपात बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया है। सुनवाई में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कोर्ट ने आपातकालीन कदम उठाने के लिए ज़ोर दिया।

दिल्ली सरकार किसानों को दोषी ठहराना चाहती है..

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना और अध्यक्षता न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील राहुल मेहरा से कहा, “दिल्ली सरकार राजधानी में वायु प्रदूषण के लिए एक प्रमुख योगदान कारक के रूप में पराली जलाने के लिए किसानों को दोषी ठहराना चाहती है। जबकि यह यहां प्रदूषण का एक नगण्य स्रोत है।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण परिवहन, उद्योग और यातायात व्यवस्था..

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे दाखिल कर बताया कि दिल्ली और पूर्वी राज्यों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर नहीं होता है, बल्कि पीएम 2.5 और पीएम 10 में केवल 11% का योगदान होता है। इसी का हवाला देते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार के तर्क पर नाखुशी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के लिए परिवहन, उद्योग और यातायात व्यवस्था को प्रदूषण का मुख्य कारण बताया। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि क्या वे उद्योगों को रोकने के अलावा वाहनों पर भी लगाम लगा सकते हैं?

जवाब दाखिल करने के लिए कल शाम तक का समय..

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है कि दोनों सरकारें उन उद्योगों, बिजली संयंत्रों की जानकारी दें, जिन्हें वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ समय के लिए बंद किया जा सकता है। कोर्ट ने वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने पर भी सरकारों को विचार करने को कहा। इस मुद्दे पर पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को जवाब दाखिल करने के लिए कल शाम तक का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्माण कार्यों और अनावश्यक परिवहन सेवाओं को रोकने के लिए कल तक आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पंजाब, यूपी, हरियाणा के मुख्य सचिवों को कल आपात बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया है।

प्रदूषण पर हुई आपात बैठक पर कोर्ट  ने कहा – इस तरह की बैठक की उम्मीद नहीं..

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जिस तरह से प्रदूषण पर आपात बैठक हुई, उस तरह किसी बैठक की उम्मीद नहीं की जा सकती। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें गठन समितियों के लिए एजेंडा तय करना पड़ता है। इसके साथ ही केंद्र और राज्य को दिल्ली-एनसीआर में कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम लागू करने पर विचार करने को कहा गया है।

दिल्ली सरकार ने कोर्ट में दाखिल हलफनामा में क्या कहा?

बता दें कि दिल्ली सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था उसमे कहा गया कि वह वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए राजधानी में पूर्ण लॉकडाउन लागू करने के लिए तैयार है। हालांकि, यह कदम तभी प्रभावी होगा, जब पूरे एनसीआर में प्रभावी ढंग से लॉकडाउन लागू कर दिया जाएगा। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि दिल्ली के कॉम्पैक्ट आकार को देखते हुए, लॉकडाउन का वायु गुणवत्ता प्रणाली पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। इसे एनसीआर क्षेत्रों में भी स्थापित करने की आवश्यकता होगी। इसलिए केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर और आसपास के राज्यों में लॉकडाउन लगाने के लिए सोचना चाहिए।