देश के दर्जनों विश्वविद्यालयों में फूँका गया यूजीसी का आरक्षण विरोधी रोस्टर

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“यूजीसी द्वारा जारी आरक्षण विरोधी रोस्टर का सर्कुलर वापस न लिए जाने पर आक्रोशित दर्जनों विश्वविद्यालयों के छात्रों ने उसकी प्रतियाँ जलाईं, आन्दोलन तेज़ करने की चेतावनी भी दी’’

 7 मई 2018, सोमवार नई दिल्ली: ‘इंडिया फ़ॉर सोशल जस्टिस’ के आह्वान पर आज देश के दर्जनों केन्द्रीय विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में छात्रों ने 5 मार्च 2018 को यूजीसी द्वारा जारी आरक्षण विरोधी रोस्टर लागू किए जाने सम्बन्धी सर्कुलर की प्रतियों को जलाया और सरकार को खुली चेतावनी दी कि यदि यह सर्कुलर तत्काल प्रभाव से वापस नहीं लिया गया, तो एक अखिल भारतीय छात्र आन्दोलन के लिए देश भर के छात्र मजबूर होंगे.
(दिल्ली विश्वविद्यालय)
सर्कुलर के माध्यम से यूजीसी ने उच्च शिक्षा में विभागवार रोस्टर प्रणाली लागू लिए जाने का समयबद्ध निर्देश जारी किया है. विभागवार रोस्टर प्रणाली के लागू होने से उच्च शिक्षा में आरक्षण ख़त्म हो जाएगा, क्योंकि विभागों में सीटों की संख्या कम होने से आरक्षित वर्ग के लिए अवसर ही समाप्त हो जाएँगे. जबकि पूर्व की प्रणाली में विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज को एक इकाई मानकर रोस्टर निर्धारित होता था, जिससे सीटों की पर्याप्त संख्या होने के कारण संवैधानिक आरक्षण प्रक्रिया के तहत सभी के लिए अवसर उपलब्ध होते रहे. सीधे अर्थों में यह कहा जा सकता है कि विभागवार रोस्टर लागू किये जाने का यह फ़रमान दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों व वंचित-शोषित विरोधी है व उच्च शिक्षा को बर्बाद करने की साज़िश का एक हिस्सा है.
(गढ़वाल विश्वविद्यालय)
‘इंडिया फ़ॉर सोशल जस्टिस’ संगठन के संयोजक व दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी जगदीश सौरभ ने बताया कि ‘आज उच्च शिक्षा पर चौतरफ़ा हमले करके इसे बर्बाद करने की लगातार कोशिश जारी है. ऑटोनामी, निजीकरण, फंड कट, सीट कट व स्थाई नियुक्ति बंद किये जाने के साथ साथ 5 मार्च को यूजीसी द्वारा जारी तुगलकी फ़रमान से देश के बहुसंख्यक वंचित समाज के लिए उच्च शिक्षा के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो जाएँगे. क्योंकि विभागवार रोस्टर से आरक्षण पूरी तरह ख़त्म हो गया है. उदाहरण के लिए विभागवार रोस्टर के आधार पर तमिलनाडु केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल, इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक, हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय जैसे तमाम विज्ञापनों को देखा जा सकता है, जिनमें हर विभाग में एक या दो सीटें आई हैं और लगभग सभी सीटें अनारक्षित हैं. दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, पसमांदा व महिलाओं की पहली पीढ़ी ही अभी उच्च शिक्षा तक पहुँच पाई है, ऐसे में आरक्षण विरोधी रोस्टर के साथ साथ ऑटोनामी, निजीकरण जैसे प्रावधानों के बहाने उच्च शिक्षा का बर्बाद किया जाना मूलतः सामाजिक न्याय विरोधी व राष्ट्र विरोधी काम है.
(इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ शिक्षक व सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मण यादव ने बताया कि यूजीसी सर्कुलर के विरोध में देश भर में लगातार शिक्षकों, छात्रों के आन्दोलन चल रहे हैं. ‘इंडिया फ़ॉर सोशल जस्टिस’ संगठन इस मुद्दे को लेकर देशभर के विश्वविद्यालयों के छात्रों को एकजुट करके लगातार आन्दोलन कर रहा है. विगत 20 अप्रैल को दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘सामाजिक न्याय युवा सम्मलेन’ आयोजित करके इसमें शामिल दर्जनों विश्वविद्यालयों के छात्र प्रतिधियों की सहमति का 6 सूत्रीय माँगपत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री और यूजीसी को भेजा, जिसकी पहली माँग थी कि 15 दिन के भीतर 5 मार्च का सर्कुलर वापस लिया जाए.
6 मई को 15 दिन पूरे होने और सर्कुलर वापस नहीं लिए जाने से आक्रोशित देश भर के छात्रों ने आज सर्कुलर की प्रतियों को जलाकर अपना गुस्सा दिखाया. अब आगे आन्दोलन को और तेज़ करने की बात करते हुए जगदीश ने बताया कि सरकार अगर सर्कुलर वापस नहीं लेती है, तो देश भर के युवाओं का आक्रोश संगठित होकर सड़क पर आएगा.

(छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय)
‘इंडिया फ़ॉर सोशल जस्टिस’ के मीडिया प्रभारी अहमर खान ने बताया कि आज देश के 15 से अधिक विश्वविद्यालयों में यूजीसी का सर्कुलर जलाकर छात्रों ने आक्रोश प्रकट किया, जिनमें दिल्ली विवि, राजस्थान विवि, गढ़वाल विवि, पटना विवि, बिलासपुर विवि, साँची विवि, बीएचयू, इलाहाबाद विवि, शिबली नेशनल कॉलेज, आजमगढ़, लखनऊ विवि, मेरठ विवि, कानपुर विवि, पूर्वांचल विवि जैसे दर्जनों नाम शामिल हैं, जहाँ भारी संख्या में छात्रों ने सर्कुलर दहन किया.
(जौनपुर विश्विविद्यालय)

दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस में सर्कुलर दहन कार्यक्रम में दर्जनों सैकड़ों छात्रों के साथ शिक्षक भी शामिल हुए. सर्कुलर की प्रतियों को जलाकर उच्च शिक्षा को बचाने के लिए देश के कई विश्वविद्यालयों के छात्र इस मुहिम से जुड़ रहे हैं. जल्दी ही एक देश्व्यापी आन्दोलन की रूपरेखा बनाकर उच्च शिक्षा को बचाने के इस आन्दोलन को तेज़ किया जाएगा. रामएकबाल कुशवाहा, सुचित कुमार, आशीष मिश्र, रघुनन्दन, डॉ. हंसराज सुमन, डॉ. बबिता कुमारी, डॉ. सुमन, डॉ. रमाशंकर कुशवाहा, डॉ. कैलाश, ठंडीलाल मीणा, डॉ. सज्जन कुमार, शुभम यादव, शैलेष, दिनेश कबीर, अशोक बंजारा, दीपंकर राव, सुशील और तमाम छात्र व शिक्षक आज दिल्ली विश्वविद्यालय में हुए दहन में शामिल हुए.
जगदीश सौरभ (9971141868) संयोजक, इंडिया फ़ॉर सोशल जस्टिस (ISJ) द्वारा जारी विज्ञप्ति





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