हरियाणा के कृषि मंत्री का बयान अमानवीय, किसान सबक सिखाएंगे- संयुक्त किसान मोर्चा

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मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सभी बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन आज 82वें दिन भी जारी है। वहीं देशभर में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान महापचायतों और धरना-प्रदर्शन का दौर भी चल रहा है। इस बीच किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (SKM) ने आंदोलन के दौरान 200 से ज्यादा किसान की मौत पर दिए गए  हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के बयान को अमानवीय बताते हुए इसकी निंदा की है। किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री को चेतावनी देते हुए कहा है कि किसान इस अहंकार के लिए उन्हें उचित सबक सिखाएंगे।

बता दें कि किसान आंदोलन में अबतक 200 से ज्यादा किसानों की मौत भी हो चुकी है। इस मसले पर हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल से मीडिया ने सवाल किया कि अभी तक प्रधानमंत्री की तरफ से कोई संवेदना व्यक्त नहीं की गई है। इस पर दलाल ने हंसते हुए जवाब दिया कि शोक संवेदना तो मैं व्यक्त कर देता हूं, पर सोचने वाली बात है कि इन्हें तो मरना ही था। धरनों पर नहीं मरते तो घर में मर जाते।

वहीं आज करनाल के इंद्री में हुई किसान महापंचायत में किसानों की भारी भीड़ जुटी। महापंचायत में भारत के शहीद जवानों और वर्तमान आंदोलन में शहीद किसानों के बलिदान को सम्मानपूर्वक याद किया गया। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नेताओं ने कहा कि भाजपा-आरएसएस के छद्म राष्ट्रवाद के विपरीत, इस देश के किसान वास्तव में देश की संप्रभुता, एकता और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए समर्पित हैं।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नेताओं ने मोदी सरकार की इस बात के लिए भी निंदा की जिसमें वो संसद में बिना शर्म के स्वीकार कर रही है कि उनके पास उन किसानों का कोई डेटा नहीं है, जिन्होंने चल रहे आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी थी। किसान नेताओं ने कहा कि  ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ इन शहीद किसानों की जानकारी के बारे में एक ब्लॉग साइट चला रहा है। अगर सरकार को परवाह है तो वहां डेटा आसानी से उपलब्ध है। नेताओं ने कहा, “यह वही कठोरता है जिससे अब तक लोगों की जान चली गई है”।

हरियाणा के करनाल जिले के इंद्री में हुई विशाल महापंचायत में, ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के नेताओं ने चेतावनी दी कि भाजपा के दिन पूरे हो चुके हैं, क्योंकि अधिक से अधिक किसान जागृत हो रहे हैं।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि सरकार के विभाजनकारी प्रयासों के बावजूद अलग अलग राज्यों और धर्मों के किसानों ने एकजुट होकर लड़ने का संकल्प ले रहे हैं। प्रत्येक महापंचायत के साथ यह एकता मजबूत हो रही है। ग्रामीण भारत और कृषि हमारे लिए मुख्य एजेंडा है।

शहीद किसानों और पुलवामा के शहीद जवानों को याद करते हुए आज शाम 7 से 8 बजे के बीच पूरे देश के गांवों और कस्बों में मशाल जूलूस और कैंडल मार्च का आयोजन किया गया।

‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने कहा कि आने वाले दिनों में अधिक से अधिक किसानों के धरना स्थलों में शामिल होने और आंदोलन को औपचारिक रूप से मजबूत बनाने की उम्मीद है। यह केवल समय की बात है कि सरकार को हमारी सभी मांगें माननी ही पड़ेगी।


‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की ओर से डॉ दर्शन पाल द्वारा जारी