देश के 363 MP/MLA पर हत्या जैसे गंभीर आरोप, सबसे ज्यादा दाग़ी बीजेपी में!

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चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाला संगठन, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिर्पोट में बताया है कि देश में कुल 363 सांसद और विधायक (MP/MLA) आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। दोष सिद्ध होने पर, इन सभी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अयोग्य (ineligible) घोषित कर दिया जाएगा। इसमें केंद्र के 33 और राज्यों के 6 मंत्री भी हैं। यानी केंद्र और राज्यों के कुल 39 मंत्रियों है जिनपर आपराधिक मामले हैं।


15%
सांसदों/ विधायकों पर गंभीर मामले…

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाला एक संगठन है। एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने 2019 से 2021 तक 542 लोकसभा सदस्यों और 1,953 विधायकों के हलफनामों का विश्लेषण किया है। जिसमे पाया गया की इस सभी सांसदों/ विधायकों में से 363 लगभग 15% ने हलफनामे में यह घोषणा की है कि अधिनियम में सूचीबद्ध अपराधों में उनके खिलाफ अदालतों ने आरोप तय किए हैं। इनमें 296 विधायक और 67 सांसद हैं। एडीआर ने विश्लेषण के बाद निष्कर्ष निकाला है की अपराधिक मामलों में दागी जनप्रतिनिधियों की संख्या सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी (BJP) में है। उसके बाद दूसरे नंबर कांग्रेस और तीसरे नंबर पर टीएमसी के जनप्रतिनिधि है।

एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक दलों में…

  • भाजपा – 83 जनप्रतिनिधि दागी हैं। सबसे ज्यादा बीजेपी में ही दागी MP/MLA शामिल हैं।
  • कांग्रेस – 47 ऐसे सांसद, विधायक हैं।
  • तृणमूल कांग्रेस (TMC)- 25 दागी MP/MLA शामिल हैं।
  • 24 मौजूदा लोकसभा सदस्यों के खिलाफ कुल 43 आपराधिक मामले लंबित हैं।
  • 111 मौजूदा विधायकों पर कुल 315 आपराधिक मामले 10 साल या उससे ज्यादा समय से लंबित हैं।
  • बिहार में 54 विधायक ऐसे हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
  • केरल में 42 विधायकों पर अपराध गंभीर, जघन्य प्रकृति के हैं।


अपराध सिद्ध होने पर छह साल तक अपात्र..

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा आठ की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान (Provision) है कि इनमें से किसी भी उप-धारा में निर्दिष्ट किसी अपराध के लिए जनप्रतिनिधि को दोषी ठहराया जाता है तो उसकी सदस्यता दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित की जाएगी। वह अपनी रिहाई की तारीख से छह साल की और अवधि के लिए अपात्र रहेगा और साल चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

जानकारी के लिए बता दे की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराधों को गंभीर और जघन्य प्रकृति का माना जाता है। इसमें हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती आदि सहित गंभीर आपराधिक मामले शामिल हैं।


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