टीके के लिए कोविन पंजीकरण की अनिवार्यता पर केंद्र को सुप्रीम लताड़-ज़मीनी हक़ीक़त समझिये!



कोविड टीके के लिए कोविन वेबसाइट पर पंजीकरण की अनिवार्यता को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर लताड़ लगायी। सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि सरकार डिजिटल इंडिया-डिजिटल इंडिया कहती रहती है लेकिन वह ज़मीनी हक़ीक़त से वाकिफ़ नहीं है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस इस रविन्द्र भट की पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए इस ऐप पर पंजीकरण शुरू करना वास्तविक रूप से संभव है? आप उनसे ऐसा करने की उम्मीद कैसे करते हैं?

जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार से कहा कि ‘आप डिजिटल इंडिया, डिजिटल इंडिया कहते रहते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं।’

जस्टिस चंद्रचूड ने यह भी कहा, ‘भारत में डिजिटल साक्षरता पूर्णता से बहुत दूर है। मैं ई-समिति का अध्यक्ष हूं। मैंने उनकी समस्याओं को देखा है जो इससे पीड़ित हैं। आपको लचीला होना होगा और आपको जमीनी हकीकत को समझने की जरूरत है।’

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सरकार से कहा कि हम नीति नहीं बदल रहे हैं। हम आपसे कह रहे हैं कि कृपया जागें और कॉफी को सूंघें और देखें कि देश भर में क्या हो रहा है।

कोर्ट ने कहा कि नीति निर्माता जमीनी हालात से अवगत रहें, एक डिजिटल विभाजन नजर आ रहा है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि राज्यों की ओर से टीकों की खरीद के लिए कई ग्लोबल टेंडर जारी किए जा रहे हैं, क्या यह सरकार की नीति है?

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि इस साल के अंत तक देश के 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगा दी जाएगी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जनवरी से लेकर अबतक पांच फीसदी लोगों को कोरोना की दोनों डोज लग चुकी हैं। हालांकि कई जानकारों का कहना है कि इस साल के अंत तक 30-40 फीसदी ही आबादी को टीका लगाया जा सकता है।


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