आम्रपाली समूह का पंजीकरण रद्द, NBCC रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करेगी : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर की धोखाधड़ी के मामले में मंगलवार को फैसला सुनाते हुए रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम 2016 के तहत आम्रपाली समूह का पंजीकरण रद्द कर नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे कर ग्राहकों को सौंपने के निर्देश दिए हैं .

जस्टिस अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने पाया कि आम्रपाली समूह ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा के अधिकारियों की मिलीभगत से होमबॉयर्स के पैसे हड़पे थे. कोर्ट ने कहा है कि आम्रपाली ग्रुप ने फॉरेन एक्सजेंच मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) और एफडीआई के नियमों का उल्लंघन किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि समय पर प्रोजेक्ट पूरे नहीं करने वाले बिल्डरों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली के निदेशकों और अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू करने और समय-समय पर जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत को देने का भी निर्देश दिया है.

बता दें कि बीते मार्च महीने में अदालत ने दिल्ली पुलिस को आम्रपाली समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा और दो निदेशकों, शिव प्रिया और अजय कुमार को गिरफ्तार करने की अनुमति दी थी. अनिल शर्मा, शिव प्रिया और अजय कुमार पिछले अक्टूबर से उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नोएडा के एक होटल में उन्हें रखे गए हैं. उन पर कंपनी और उसके निदेशकों द्वारा वित्तीय लेनदेन की जांच करने वाले फोरेंसिक ऑडिटर्स के साथ सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया गया है. इसलिए अदालत ने उन्हें कंपनी के खिलाफ जांच पूरी होने तक एक होटल में पुलिस निगरानी में रखने का निर्देश दिया था.

एनबीसीसी 8 प्रतिशत कमीशन दर रुकी हुई आम्रपाली परियोजनाओं को पूरा करेगी और ग्राहकों को बकाया राशि खाते में जमा करनी होगी.
कोर्ट ने आम्रपाली के सभी प्रोजेक्ट की लीज भी रद्द कर दी है.नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटीज ने लीज जारी की थीं. अदालत ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को बकाया वसूली के लिए आम्रपाली ग्रुप की संपत्तियां बेचने का अधिकार नहीं है. दोनों अथॉरिटीज को यह निर्देश भी दिया कि आम्रपाली ग्रुप के प्रोजेक्ट्स में पहले से रह रहे ग्राहकों को कंप्लीशन सर्फिफिकेट दिए जाएं.

जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने इससे पहले 10 मई को हुई सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटीज ने कहा था कि आम्रपाली के प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए उनके पास संसाधन और निर्माण कार्य की विशेषज्ञता नहीं है. दोनों ने उच्च स्तरीय समिति की निगरानी में किसी प्रतिष्ठित बिल्डर को आम्रपाली के प्रोजेक्ट सौंपने का पक्ष लिया था.

शीर्ष अदालत के इस फैसले से आम्रपाल के तमाम प्रोजेक्ट्स में 42000 से ज्यादा घर खरीदने वालों को बड़ी राहत मिली है.

 


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