तेल की कीमतों के खिलाफ तेजस्वी ने निकाला साइकिल मार्च

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पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल ने विरोध प्रदर्शन किया। गुरुवार को आरजडी कार्यकर्ता बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में साइकिल मार्च निकाल कर अपना विरोध दर्ज कराया। तेजस्वी यादव के साथ राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव और पार्टी के कई विधायकों भी साइकिल मार्च में शामिल थे।

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास से शुरू हुआ यह साइकिल मार्च डाकबंगला चौराहे पर खत्म हुआ। विरोध प्रदर्शन के दौरान तेजस्वी और तेजप्रताप यादव ने विरोध के तौर पर एक रस्सी के सहारे एक ट्रैक्टर को खींचते नजर आए।

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इस मौके पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र की मोदी और राज्य की नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा। तेजस्वी यादव ने कहा, डीजल की कीमत बढ़ने से किसान त्रस्त और पूँजीपति मस्त हैं। आम जनता को महंगाई की मार पड़ रही है। बिहार की 15 वर्षीय ड़बल इंजन सरकार को व्यापारी, ग़रीब, युवा, किसान और मज़दूर की कोई फ़िक्र नहीं है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि आज देश का गरीब सरकार की चौतरफा मार से त्रस्त है। लोगों के काम, रोजगार छिन गए हैं। जो श्रमिक वापस लौटे थे, नीतीश जी की शिथिलता और नाकामी के कारण वापस लौटने को मजबूर हैं। एक तो आमदनी नहीं, ऊपर से महँगाई की मार! एक तो नीतीश जी का करेला कड़वा, ऊपर से केंद्र का नीम चढ़ा!

तेजस्वी यादव ने कहा कि पेट्रोल डीज़ल और गैस की बढ़ती कीमतों का सबसे ज्यादा असर हाशिये पर खड़े गरीबों पर पड़ता है, किसानों पर पड़ता है, मजदूरों पर पड़ता है। नीतीश सरकार ने बिहार के गरीबों की आमदनी के रास्ते बंद कर दिए हैं तो केंद्र जो भी सीमित आमदनी है उसे भी चूस लेने की सारी जुगत लगाए है। पेट्रोल डीज़ल और गैस के दाम का सीधा-सीधा असर महँगाई पर पड़ता है और महँगाई से सबसे ज्यादा परेशान सबसे गरीब लोग ही होते हैं।

उन्होंने कहा कि आज बिहार की बेरोजगारी दर 46.6% के पार हो चुकी है। काम के अभाव में लोग दो जून की रोटी को तरस रहे हैं। कोरोना संकट के बीच अपना घर बार छोड़, अपनी जान की चिंता छोड़, अपने परिजनों को बिहार सरकार की क्रूरता से पिसता छोड़ काम की तलाश में दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं।

तेजस्वी ने कहा कि भाजपा और जदयू की केंद्र व राज्य सरकारों ने बिहार के नागरिकों को देशभर में खूब सताया है। इन दोनों दलों की एकमात्र चिंता बिहार के चुनाव हैं, सत्ता है। ये चाहते ही हैं कि बिहार के मज़दूर पुनः पलायन कर जाएँ ताकि आगामी चुनाव में इन्हें इनके क्रोध का सामना नहीं करना पड़े। मरते इंसान इनके लिए बस एक संख्या है, बेरोजगारी बस एक आंकड़ा है, महँगाई इनकी शब्दावली में है ही नहीं।

उन्होंने कहा कि आमदनी बढ़ाने की बजाय यह क्रूर सरकार आम आदमी की जेब पर डाका डाल रही है। अगर 15 साल बाद इन्हें सबक़ नहीं सिखाया तो आगामी वर्षों में यह सरकार जीना मुहाल कर देगी।


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