कोरोना के शिकार वकीलों की मुआवज़े की याचिका पर नाराज़ SC- काले कोट वालों की जान दूसरों से क़ीमती नहीं!

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वकीलों के लिए एक विशेष अधिकार मांगने वाली याचिका को खारिज करते हुए सख्त रुख अपनाया है। दरअसल, एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि कोरोना वायरस या किसी अन्य कारण से जान गंवाने वाले 60 साल से कम उम्र के वकीलों के परिवारों को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने इस मांग को नामंजूर कर दिया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले वकील पर जुर्माना भी लगाया है।

आपने काला कोर्ट पहना है तो आपकी जान ज्यादा कीमती नही…

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि आप काले कोट में हैं तो इससे आपकी जान ज्यादा कीमती नहीं हो जाती। वकीलों का जीवन अन्य लोगों से अधिक मूल्यवान नही है। यह याचिका प्रचार पाने का तरीका है। वकीलों द्वारा इस “फर्जी” जनहित याचिका दायर करने के कृत्य को कोर्ट प्रोत्साहित नहीं कर सकता है। आगे कोर्ट ने कहा कि देश में कोविड-19 की वजह से कई लोगों की जान चली गई। कोरोना से मरने वालों के परिवारों को मुआवजा वितरण के संबंध में दिशा-निर्देश बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहले ही फैसला दे चुका है। वकीलों का जीवन दूसरे मरने वाले लोगो से ज्यादा कीमती नहीं होता।

याचिका में दिया गया यह तर्क..

यह याचिका अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव ने दायर की थी जिसमे सुप्रीम कोर्ट से वकीलों के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की थी। याची वकील ने इस मामले में यह तर्क दिया था कि सरकार महामारी के बीच समाज के अन्य समुदायों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।

वकील है तो कुछ भी नही कर सकते दाखिल..

पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव से कहा, क्या समाज के अन्य लोगों का महत्व नहीं है। समाज के अन्य सदस्यों को समान समस्या का सामना करना पड़ा तो अधिवक्ता को अपवाद बनाने का कोई कारण नहीं है। कोर्ट ने याची को फटकार लगाते हुए कहा की आप वकील हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि कुछ भी दाखिल कर देंगे।

यह पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है..

पीठ ने कहा की यह कोई पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन नहीं, ‘पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन’ है। इस तरह की पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन को रोकना होगा। ऐसा नहीं हो सकता है कि वकील इस तरह की जनहित याचिका दायर करें और जजों से मुआवजे की मांग करें और वे अनुमति देंगे। अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव ने पीठ से कहा कि वह याचिका वापस ले लेंगे और बेहतर आधार पर इसे दाखिल करेंगे।

कोर्ट ने लगाया याचिकाकर्ता पर जुर्माना..

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अधिवक्ता की याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता यादव पर दस हजार रूपये का जुर्माना लगाया और यह राशि एक हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में जमा कराने का निर्देश दिया है।