पिंजड़े के तोता (सीबीआई) को रिहा करो- मद्रास हाईकोर्ट


मद्रास हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि सीबीआई को सीएजी की तरह केवल संसद के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। कोर्ट ने कहा की एजेंसी की स्वायत्तता तभी सुनिश्चित होगी, जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को सीबीआई को अधिक अधिकार और शक्तियां देने के लिए एक अलग अधिनियम बनाने के लिए विचार करके निर्णय का निर्देश दिया जाता है ताकि सीबीआई केंद्र के प्रशासनिक नियंत्रण के बिना अपना काम कर सके।


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यह माँग पुरानी है कि केंद्रीय जाँच ब्यूरो जैसी शीर्ष एजेंसी को सरकार नहीं, संसद के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। मद्रास हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सीबीआई को संसद को रिपोर्ट करने वाला स्वायत्त निकाय होना चाहिए। व्यवस्था में बदलाव को ज़रूरी क़रार देते हुए अदालत ने कहा कि यह आदेश पिंजड़े में बंद तोता को रिहा कराने का प्रयास है।

ग़ौरतलब है कि सीबीआई के बेज़ा इस्तेमाल का आरोप इन दिनों काफ़ी बीच-बहस है। बीजेपी जब विपक्ष में थी तो यूपीए सरकार पर ऐसा ही आरोप लगाती थी और 2013 में कोयला खदान आवंटन घोटाले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे पिंजड़े का तोता बताया था। यानी जो पेशेवर तरीक़े से नहीं, बल्कि सरकार की इच्छा के मुताबिक़ काम करती है। तब बीजेपी ने इसे लेकर काफ़ी शोर मचाया था, लेकिन मोदी सरकार के दौरान सीबीआई के बेज़ा इस्तेमाल की हर सीमा तोड़ी गयी, ऐसा विपक्ष आरोप लगा रहा है। पिछले दिनों प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे पीएम द्वारा कंट्रोल किया जाने वाले साज़िश ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन बताया था, जिसका काम ही विपक्ष के नेताओं को निशाने पर लेना है।

मद्रास हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि सीबीआई को सीएजी की तरह केवल संसद के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। कोर्ट ने कहा की एजेंसी की स्वायत्तता तभी सुनिश्चित होगी, जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को सीबीआई को अधिक अधिकार और शक्तियां देने के लिए एक अलग अधिनियम बनाने के लिए विचार करके निर्णय का निर्देश दिया जाता है ताकि सीबीआई केंद्र के प्रशासनिक नियंत्रण के बिना अपना काम कर सके।