प्रियंका गाँधी की भावुक पोस्ट- त्राहि-त्राहि के बीच नेतृत्व ने पल्ला झाड़ा, पर हम होंगे क़ामयाब!

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कोरोना की वजह से देश में जिस तरह त्राहि-त्राहि मची है,  उसने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी को काफ़ी विचलित किया है। उन्होंने आज इस संबंध में फ़ेसबुक पर एक भावुक पोस्ट लिखी। उन्होंने लिखा कि सरकार ने हमें  निराश किया है। हमने कभी नहीं सोचना था कि सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों से इस तरह पल्ला झाड़ लेगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि आख़िरकार हम क़ामयाब होंगे।

‘हम होंगे क़ामयाब’ शीर्षक से जारी इस पोस्ट को ट्विटर पर भी ट्वीट किया गया है। कांग्रेस महासिचव ने लिखा-‘‘यह पोस्ट लिखते हुए मेरा दिल भर जा रहा है. मैं जानती हूं कि कई लोगों ने पिछले कुछ हफ्तों में अपने प्रियजन को खोया है तथा कई लोग जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’’ प्रियंका ने कहा कि पूरे देश में लोग ऑक्सीजन, चिकित्सा सेवा और जीवनरक्षक दवाओं की एक-एक खुराक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

उन्होंने दावा किया, ‘‘सरकार ने हमें निराश किया है. सरकार का विरोध करने वाले हममें से कई लोगों ने इसकी कल्पना नहीं थी कि नेतृत्व और शासन इस मुश्किल घड़ी में अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेगा। हम अब भी यह उम्मीद कर रहे हैं कि वे जागेंगे और लोगों का जीवन बचाने के लिए कदम उठाएंगे।’’ प्रियंका ने लोगों का आह्वान किया कि इस मुश्किल घडी में लोग एक दूसरे का साथ दें, साथ खड़े रहें और पूरा सहयोग करें।

प्रियंका गाँधी ने लिखा कि हमारी जाति, धर्म या वर्ग जो हो, हमें मिलकर यह लड़ाई लड़नी है। कोरोना कोई फ़र्क़ नहीं देखता। उन्होंने लिखा कि पूरी दुनिया को हमें वह करुणामय व्यवहार दिखाना है जो हमें भारतीय बनाता है। हम जीवन के इस मोड़ पर एक दूसरे की ताक़त बनेंगे और तमाम आपदाओं के बावजूद उजाला लाने में क़ामयाब होंगे।

 

 

प्रियंका गाँधी, उत्तर प्रदेश की महासचिव बतौर प्रदेश के हालात पर भी कड़ी नज़र बनाये हुए हैं। इससे पहले उन्होंने योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण की धीमी गति पर चिंता जतायी थी और कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिये थे।

महासचिव ने पत्र में लिखा है कि इस महाविपदा का सच सामने ला रहे लोगों को जेल में बंद करने और उनकी संपत्ति ज़ब्त करने के आदेश के पीछे आपकी जो भी मंशा हो कृपया सबसे पहले इस जानलेवा वायरस को काबू करने की कोशिश पर अपना ध्यान केंद्रित करें और ये तभी संभव होगा जब यूपी सरकार यह मानने को तैयार होगी कि यह स्वास्थ्य आपातकाल का समय है।

 

 


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