कोटा: कैद में मारे गए रमज़ान के बेटे ने कहा- नफ़रत की सियासत ने मेरे पिता को मारा है!

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“देश में बढ़ रही नफरत की राजनीति ने मेरे पिता की जान ली है”- राजस्थान के कोटा में पुलिस की ज्‍यादती से हफ्ते भर पहले कैद में अपनी जान गंवाने वाले मोहम्‍मद रमज़ान के बेटे रिज़वान ने यह बात शुक्रवार को दिल्‍ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कही।

मानवाधिकार संगठनों के राष्‍ट्रीय संघ एनसीएचआरओ ने रिज़वान की यह प्रेस कॉन्‍फ्रेंस दिल्‍ली के प्रेस क्‍लब में आयोजित की थी जिसमें कई अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों को संबोधित किया। रिज़वान ने बताया कि कैद में इलाज के दौरान पुलिसवालों ने उसके पिता के साथ बुरी तरह मारपीट की थी, उसे जंजीर से बांधकर उल्टा लटका दिया था और पाइप से मारा था। उस वक्‍त रमज़ान की तबियत खराब थी और वह कोटा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती था।

राजस्थान के बारां जिले के मांगरोल कस्बे के रहने वाले मोहम्मद रमजान पर धारा 307 के तहत निचली अदालत में 1987 से एक मुकदमा चल रहा था। 1991 में अदालत ने उसे चार साल की सज़ा सुनाई थी जिसके खिलाफ राजस्थान हाइकोर्ट में जमानत की अपील की गई थी। हाईकोर्ट से नौ माह पहले उसे दो वर्ष की सज़ा हुई थी। कैद के दौरान जेल मे रमज़ान की तबियत खराब हुई। उसका लगातार इलाज़ चल रहा था।

रमजान की जमानत के लिये पिछले साल दिसम्बर में सुप्रीम कोर्ट में एक स्‍पेशल लीव पिटीशल लगायी गयी थी जिसे अदालत ने खारिज करते हुए हाइकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। आदेश की प्रति नीचे पढ़ी जा सकती है।

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मौत से पहले के समूचे घटनाक्रम पर रोशनी डालते हुए रिज़वान ने बताया कि कोटा मेडिकल कॉलेज में पिता के भर्ती होने के दौरान वह अपनी मां और भाई के साथ मुलाकात के लिए कोटा गया था जहां ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने इनके साथ बदसलूकी की और इन्‍हें रमज़ान से मिलने नहीं दिया। पुलिसवाले मुलाकात कराने के लिए 500 रुपये की रिश्‍वत मांग रहे थे।

रिज़वान ने बताया, ‘’जब हमने पैसे देने से मना कर दिया तो इस बात को लेकर हमारी वहां तैनात पुलिसकर्मियों के साथ कहा सुनी हुई। हमने इसकी शिकायत कोटा के कुछ साथियो और अस्पताल प्रशासन से की जिसके बाद रात मे उन पुलिसवालों ने नशे में मेरे पिता रमजान के साथ मारपीट की।‘’ इससे रमज़ान की तबियत और बिगड़ गयी। उसे जयपुर के सरकारी अस्‍पताल एसएमएस में रेफर कर दिया गया। वहां तबियत मे जब सुधार हुआ तब जाकर पूरी घटना का ब्योरा रमज़ान ने अपने परिवार को दिया, ऐसा रिजवान ने बताया।

रिज़वान बताते हैं कि एसएमएस के डॉक्टरों ने जब उसके पिता को दूसरे विभाग में इलाज़ के लिए रेफर किया तो पुलिस पहले वाले विभाग से मिली डिस्चार्ज की पर्ची के बहाने रमज़ान को एम्बुलेंस से कोटा ले गई। यह पता लगने पर उसी दिन परिवार ने राज्य के मानवाधिकार आयोग के अध्‍यक्ष और डीजीपी से मुलाकात करके शिकायत दर्ज करा दी थी। तब तक हालांकि बहुत देर हो चुकी थी, 26 अप्रैल की रात रमज़ान की मौत हो गई।

सामाजिक कार्यकर्ता नदीम खान ने इस मामले में मौत से पहले रमज़ान के एक विडियो क्लिप का जिक्र किया जिसकी प्रति मीडियाविजिल के भी पास है।

कॉन्‍फ्रेंस में मौजूद सुप्रीम कोर्ट के वकील श्रीजी भावसर ने पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिए जाने तथा मृतक के परिवार के सदस्‍यों को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग उठायी। दोषी पुलिसवालों के खिलाफ् हत्या का मुकदमा दर्ज करने की भी उन्‍होंने मांग की।

गौरतलब है कि राजस्थान पुलिस इस मामले को बीमारी से हुई मौत बता रही है और उसने हिरासत में हुई मौत की एफआइआर दर्ज करने से मना कर दिया है।


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