'सत्ता के भूखे लोगों से मजहब बचाइये।'
जन संस्कृति मंच आखिर किसे बचाना चाहता है, ख़ुद को, सत्ता के दरबारी साहित्यकारों को या दैनिक जागरण अखबार को या नीतीश-मोदी की फ़ासिस्ट और जनसंहारक सरकार को?
ओमप्रकाश चौटाला के परिवार की लड़ाई की आग ने जींद की जनता तक को झुलसाकर रख दिया
मादुरो ने कहा है कि वह विपक्षी दलों और खुआन गोइदो के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं
बाबा को संघ और भाजपा का करीबी बताया जाता है। माना जाता है कि बाबा मनमोहन इस बार भाजपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था।
मुसलमानों के खिलाफ़ घृणा का प्रचार किया जा रहा है। हद तो यह है कि मीडिया इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
ये हैं मोदीयुग के 'राष्ट्रभक्त'। बाक़ी 'देशद्रोही' सब जेएनयू में बसते हैं जो हत्यारों से हर मोर्चे पर भिड़ते हैं।
प्रो. मनोज ने अपनी शिकायत में विभाग के ही एक प्रोफेसर पर सजिश करने का आरोप मढ़ा है।
पूर्वोत्तर भारत में भाजपा के चुनावी मंसूबों में नागरिकता विधेयक अड़चन डाल सकता है
26 किताबों के लेखक और डा.आंबेडकर की पौत्री के पति आनंद तेलतुम्बडे को फँसा रही है सरकार।
मुझे खुर्शीद की बात याद आ रही थी- जब घर में कोई मर्द बचा ही नहीं तो हमारी बेटियां हथियार नहीं उठाएंगी तो क्या करेंगी?
पुलिस ने फरार हिम्मत पाटीदार पर दस हजार का इनाम घोषित किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध इतिहासकार और जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिटस प्रो. हरबंस मुखिया ने कहा कि राष्ट्र लगातार बनने की प्रक्रिया में है
विश्व हिंदू परिषद के साधु संत राम मंदिर निर्माण के लिए एक संकल्प लेने वाले हैं कि आगामी राम नवमी से मंदिर निर्माण का काम शुरू कर दिया जाए
जो समाज स्थायी तौर पर विभाजित, निराश और नाराज हो, वह कैसे एक सफल राष्ट्र बन सकता है?
सीबीआई को सिर्फ तोता नहीं रट्टू तोता होना है। मोदीराज में उसे अपनी मर्ज़ी से किसी मामले में एफ़आईआर करने की आज़ादी भी नहीं है।
गणतंत्र दिवस भी सत्ता के उन्हीं सरमायदारों के साये में सिमट गया जिनकी ताकत के आगे लोकतंत्र नतमस्तक हो चुका है।
ई-वेस्ट में बहुत सारी कीमती चीजें हैं। जल्द ही वक्त आने वाला है, जब इसकी अच्छी कीमत मिलेगी।
लेकिन रवीश कुमार को लगता है कि कमज़ोर पर हमला नहीं करना चाहिए। ज़ी का संकट भारतीय अर्थव्यवस्था का संकट है।
वह सांप्रदायिकता के खिलाफ शेरनी की तरह दहाड़ा करती थीं. वह स्त्री-स्वाभिमान की मूर्त प्रतीक थीं. उनका स्त्री-विमर्श ओढ़ा हुआ नहीं था वरन् आत्म के अतल से आता था.
रवीश कुमार ‘शिक्षा, कला, विटेंज वाइन और तेज़ रफ़्तार से भागने वाली कारों का सुख सिर्फ अमीरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए ‘- यह उस शख्स का कहना था जो एक मजदूर नेता…
बीजेपी में हर नेता के सामने ये चुनौती है कि वह कैसे मोदी-शाह को पहले पटकनी दे फिर खड़ा हो सके!
संविधािन में अंतरिम बजट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। बस वोट ऑन अकाउंट होता है।
सीबीआइ ने मुंबई और औरंगाबाद में वीडियोकॉन समूह के मुख्यालय पर छापे भी मारे हैं
प्रियंका गांधी की टी शर्ट छ्पे संदेश को कांग्रेस की कॉर्पोरेट कोटरी और बीजेपी को गौर से पढ़ना चाहिये