सेकुलर और समाजवाद शब्द जोड़ने की 44वीं सालगिरह पर शाहनवाज़ आलम बोलें- RSS के दबाव में सपा-बसपा!

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संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद (socialism) और धर्मनिरपेक्ष (secular) शब्द शामिल होने की 44वीं सालगिरह पर सोमवार को अल्पसंख्यक कांग्रेस ने मदरसों में संविधान की चर्चा कराई। इस योगदान के लिए लोगों ने इंदिरा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया और संविधान की प्रस्तावना का सस्वर पाठ किया। साथ ही संविधान की रक्षा का संकल्प लिया। वहीं, अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने एक बयान जारी कर, बीजेपी पर संविधान से इन दोनों शब्दों को हटाने का प्रयास करने का आरोप लगाया।

इंदिरा गांधी ने संविधान में दो शब्द जोड़कर देश की एकता और अखंडता को मजबूत किया..

जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने संविधान में धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द जोड़कर देश की एकता और अखंडता को मजबूत किया। जिसके लिए देश इंदिरा गांधी जी का सदैव ऋणी रहेगा। शाहनवाज़ आलम ने आगे बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार संविधान से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द हटाने के लिए माहौल बना रही है।

शाहनवाज़ ने 3 मौके बताएं जब इन दोनो शब्दों को संविधान से हटाने की बात कही गई..

  1. उन्होंने अपने बयान में 3 ऐसे मौके बताये जब इन दोनो शब्दों को संविधान से हटाने की बात कही है। शाहनवाज़ आलम बताया कि 20 जून 2020 को राज्यसभा में बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने प्राइवेट मेंबर बिल लाकर प्रस्तावना से समाजवाद शब्द को हटाने की मांग की।
  2.  3 दिसंबर 2021 को एक बार फिर राज्यसभा में बीजेपी सांसद के.जे अल्फोंस प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए, जिसमें संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटाने की मांग की गई थी।
  3. 8 दिसंबर 2021 को जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल ने भी एक बयान दिया कि संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटा दिया जाना चाहिए
    लेकिन राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर के संविधान विरोधी आचरण पर न तो संज्ञान लिया गया और न ही सुप्रीम कोर्ट ने पंकज मित्तल के संविधान विरोधी बयान पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की।

कांग्रेस संविधान की रक्षा के लिए हर स्तर पर लड़ने को तैयार..

शाहनवाज़ आलम ने सपा और बसपा को घेरते हुए कहा कि संविधान बदलने की इस साज़िश के खिलाफ सिर्फ कांग्रेस ही मुखर होकर बोल रही है। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने 24 दिसंबर को हर जिले से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा था। दूसरी ओर सपा और बसपा इस मुद्दे पर आपराधिक चुप्पी साधे हुए हैं, जो साबित करता है कि वे आरएसएस के दबाव में हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान की रक्षा के लिए हर स्तर पर लड़ने को तैयार है।