बीजेपी का आतंकी कनेक्शन!

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• 2019: आठ प्रतिशत कमीशन पर ISI को ख़ुफ़िया जानकारी बेचने के लिए सतना में भाजपा के IT सेल की एक शाखा का अध्यक्ष गिरफ़्तार हुआ था. काम में आतंकवाद के लिए फंडिंग करने वाले रैकेट को मदद पहुंचाना भी शामिल था. राजद्रोह का क़ानून नहीं लगा. बाक़ी धाराओं में गिरफ़्तारी हुई.

• 2022: लश्कर-ए-तैय्यबा से प्रशिक्षण लेकर भारत में आतंकवादी हमला करने वाल शख़्स बीजेपी के IT सेल की एक शाखा का अध्यक्ष निकला. बीजेपी ने कहा अध्यक्ष नहीं था, सिर्फ़ हमारा सदस्य था.

• 2018: नागरिकता संशोधन विधेयक के सिलसिले में 16 सदस्यों वाली संयुक्त संसदीय समिति असम दौरे पर जाने वाली थी. उससे ठीक पहले, बीजेपी के 6-7 लोगों ने जगह-जगह ISIS के पोस्टर चिपकाए. इसमें लोगों से IS ज्वाइन करने की अपील की गई थी. पुलिस ने इन सबको सिर्फ़ हिरासत में लिया, गिरफ़्तारी नहीं हुई.

• 2019: बीजेपी के 6 कार्यकर्ता मुस्लिम टोपी पहनकर ट्रेन पर पत्थर फेंक रहे थे. पकड़े गए. CAA के ख़िलाफ़ उस वक़्त आंदोलन चल रहा था. बीजेपी वाले ‘मुस्लिम बनकर’ तोड़-फोड़ करने पहुंच गए.

• 2020: बीजेपी समर्थक गुंजन कपूर बुर्क़ा पहनकर शाहीन बाग़ पहुंच गई और हंगामा कूटने लगी. चाल-चलन से पकड़ी गई.

• 2015: झाबुआ में बीजेपी नेता राजेंद्र कासवा की फ़ैक्ट्री में विस्फ़ोट हुआ, 100 से ज़्यादा लोग मारे गए. पता चला कि डेटोनेटर्स बना रहा था. 2002 में गुजरात हिंसा के वक़्त भी इसपर डेटोनेटर्स सप्लाई करने का आरोप था. कासवा फ़रार है कि मारा गया, ये कोई नहीं जानता. पुलिस ख़ुद कनफ़्यूज़ है.

• 2012: कर्नाटक में दंगा भड़काने के मक़सद से श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने सरकारी इमारत पर चढ़कर पाकिस्तानी झंडा फहरा दिया. पकड़ाने पर पता चला कि सब उस संगठन से जुड़े थे.

• 2021: कुपवाड़ा में दो भाजपा नेता ने कहा कि उन पर आतंकवादी हमले हुए हैं. जांच हुई तो पता चला कि मामला स्टेज़्ड था. यानी हमले का मंचन हुआ था. तयशुदा तरीक़े से. आतंकवादी हमले का सारा तरीक़ा मालूम था इन्हें.

• 2022: उदयपुर की वीभत्स घटना की चौतरफ़ा निंदा के बाद पता चला कि क़ातिल बीजेपी से जुड़ा हुआ था. सारे भाजपाई अब अमरावती का हल्ला मचाने लगे हैं. उदयपुर पर नई थियरी दी जा रही है कि भाजपा से नज़दीकी बढ़ाकर आतंकवादी ‘रेकी’ करते हैं.

ऐसे दर्जनों और उदाहरण हैं. मध्य प्रदेश में एक संघी नेता के घर से हज़ारों टोपियां और बुर्क़े बरामद हुए थे. मोदी ने 2013 में अपनी रैलियों में ज़्यादा से ज़्यादा टोपी और बुर्क़ा पहनकर आने का निर्देश दिया था.

दादरी में जब सारे लोग अख़लाक़ के घर जा रहे थे, भाजपाई क़ातिलों के घर. झारखंड में अलीमुद्दीन अंसारी के क़ातिल भाजपा नेता को बेल मिली तो केंद्रीय मंत्री ने माला पहनाकर स्वागत किया. शंभूलाल रैगर के लिए भाजपाइयों ने चंदे बटोरे.

गोरक्षा के नाम पर आतंक फैलाने वालों को मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने ईनाम की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री बनें तो आए दिन लिंचिंग होती रही. सुप्रीम कोर्ट ने कहा लिंचिंग पर क़ानून बनाइए. चार राज्यों ने क़ानून बनाकर भेज दिया है. केंद्र सरकार उस पर आसन लगाकर बैठ गई.

पालघर में ‘बच्चा चोरी’ के आरोप में दो साधुओं की लिंचिंग हुई तो इन लोगों ने हफ़्ते भर माइलेज लिया, लेकिन क़ानून नहीं बनने देंगे. 2017 में NCRB ने हेट क्राइम, गोरक्षा, और लिंचिंग पर डेटा जमा किया तो गृह मंत्रालय ने कहा- पब्लिश मत करो. कुंडली लगाकर अमित शाह बैठ गए.

दंगे पर माइलेज लेने के अलावा बीजेपी ने और कुछ नहीं किया. जयपुर में अभी प्रदर्शन हुए तो उदयपुर के क़ातिल को सज़ा दिलवाने के बदले हनुमान चालीसा का उद्घोष हुआ. फिर भी धूर्त लोग कहते हैं कि भाजपा दंगे नहीं भड़काती और देशभक्त पार्टी है!!

 दिलीप ख़ान की फे़सबुक दीवार से साभार।


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