
कृषि सुधार के नाम पर तीन बिल संसद ने अब पास किया है, लेकिन कॉरपोरेट इसकी तैयारी बहुत पहले ही शुरू कर चुका था। दावा है कि बिचौलिये के रूप में कमशीन खाने वाले आढ़ती व्यापारी और किसान के बीच से हट जायेंगे। तो फिर किसानों की उपज ख़रीदेगा कौन? सच यह है कि माल बिकेगा और आढ़तिया ही खरीदेगा पर वह अब बड़ा आढ़तिया होगा। अब वह अडानी जैसा बड़ा कॉरपोरेट होगा। अडानी किसानों से माल खरीदने की तैयारी पिछले 5 साल से कर रहा है।
आडानी ने अनाज भण्डारण की जो व्यवस्था तैयार की है उसे आप देखेंगे तो वाकई चौक जायेंगे। अडानी ने सरकार के साथ मिलकर PPP यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के नाम पर अनाज भंडारण के लिए बड़े बड़े स्टील के टैंक बनाए गए हैं जिसे साइलो स्टोरेज कहते हैं। साइलो स्टोरेज एक विशाल स्टील ढाँचा होता है जिसमें थोक सामग्री भंडारित की जा सकती है। इसमें कई विशाल बेलनाकार टैंक होते हैं। नमी और तापमान से अप्रभावित रहने के कारण इनमें अनाज लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है। साइलो के नवीनतम रूप में रेलवे साइडिंग के जरिये बड़ी मात्रा में अनाज की लोडिंग/अनलोडिंग की जा सकती है। इससे भंडारण और परिवहन के दौरान होने वाले अनाज के नुकसान में काफी कमी आती है।
सरकार ने 2017 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के तहत 100 लाख टन क्षमता के स्टील साइलो के निर्माण का लक्ष्य रखा था, लेकिन 31 मई 2019 तक सरकार PPP के तहत 6.75 लाख टन क्षमता के स्टील साइलों का ही निर्माण कर पाई है, जिसमें मध्य प्रदेश में 4.5 लाख टन और पंजाब-हरियाणा में 2.25 लाख टन स्टील साइलो बन पाए हैं। वो भी अडानी के हैं।
दरअसल स्टील साइलो ही अनाज भंडारण का भविष्य है। सबसे पहले दुनिया में कनाडा में साइलो स्टोरेज बनाए गए थे। कनाडा और भारत सरकारों के बीच हुए समझौते के तहत पंजाब, गुजरात व पश्चिम बंगाल में साइलो स्टोरेज बनाए जा रहे हैं।
इस काम में अडानी ने बाजी मार ली है। अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (AALL) ने भारतीय खाद्य निगम के साथ एक विशेष सेवा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अडानी के सहयोग से पंजाब के मोगा और हरियाणा के कैथल में बनाए साइलो बेस में अनाज भंडारण किया जा रहा है।
पिछले साल खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव रविकांत ने सोलूमाजरा स्थित अदानी एग्रो साइलो का निरीक्षण किया था। कैथल जिले में स्थित इन साइलोज में दो लाख टन गेहूं के भंडारण की क्षमता है। वर्तमान में एक लाख 60 हजार टन गेहूं का भंडारण किया हुआ है। उन्होंने वहाँ अधिकारियों से आह्वान किया कि वे किसानों को प्रेरित करें कि वे अपने गेहूं को इन साइलोज में बिक्री के लिए लेकर आएं। उन्होंने कहा कि यहां किसानों को उनकी फसल की अदायगी आढ़ती के माध्यम से आनलाइन की जाती है।
माना जा रहा है कि अदानी देश भर में ऐसे सात बेस और फील्ड डिपो स्थापित करने जा रहा हैं। अडानी समूह में कृषि से जुड़ी तीन मुख्य कंपनियां खड़ी की हैं। ये है- अदानी विल्मर लिमिटेड (AWL), अदानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (AALL) और अदानी एग्री फ्रेश लिमिटेड (AAFL)। अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स खाद्यान्न के लिए एक एकीकृत थोक हैंडलिंग, भंडारण और रसद प्रणाली है। यह भारतीय खाद्य निगम (FCI) को सहज एंड-टू-एंड थोक आपूर्ति श्रृंखला प्रदान करता है। कंपनी के पास 13 अत्याधुनिक सिलो हैं और इसके अलावा प्रमुख शहरों में इसके अपने रेल रेक और टर्मिनल भी हैं।
यानी साफ दिख रहा है कि अब छोटे गल्ला व्यापारियों की भूमिका समाप्त होने जा रही है और बड़े कॉरपोरेट जैसे अडानी-अंबानी का खेल शुरू हो चुका है।
गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार और आर्थिक मामलों के जानकार हैं। यह लेख उनके फेसबुक पेज से साभार लिया गया है।
- AAL INDIA KISAN PROTEST
- Adani
- Agriculture Bill
- bharat band
- Farm Crisis
- Farmer protest
- MODI GOVERNMENT
- silo storage