‘लोकतंत्र सूचकांक’ बनाने वाले EIU ने भारत के सरकारी आँकड़े मानने से इंकार किया, कहा- पैदा होगा संदेह…

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
ख़बर Published On :


इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) ने लोकतंत्र सूचकांक (Democracy Index) के लिए सरकारी डेटा का उपयोग करने के भारत सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। दरअसल, भारत सरकार ने ईआईयू को लोकतंत्र सूचकांक के लिए सरकारी डाटा का उपयोग करने के लिए कहा था। लेकिन ईआईयू ने सरकार के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है।

लोगों के मन में संदेह पैदा होगा: ईआईयू

भारत सरकार के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए संगठन ने कहा कि यह प्रक्रिया लोगों के मन में संदेह पैदा करेगी। इसलिए यह उचित नहीं होगा।  ईआईयू के प्रधान अर्थशास्त्री (एशिया) {chief economist (Asia)} ने भारत सरकार के अधिकारियों को सूचित किया कि सूचकांक के लिए स्कोरिंग देश में विकास के आधार पर किया गया था और सार्वजनिक रूप से किया गया था, और उसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।

2020 में ग्लोबल रैंकिंग में भारत दो पायदान नीचे..

बता दें कि साल 2020 के डेमोक्रेसी इंडेक्स की ग्लोबल रैंकिंग में भारत दो पायदान नीचे 53वें स्थान पर आ गया था। 2019 में भारत को 6.9 अंक मिले जिससे भारत 51वें स्थान पर रहा था।, जो 2020 में घटकर 6.61 अंक हो गया है और देश 53वें स्थान पर आ गया था। वहीं देश की वैश्विक रैंकिंग 2014 में 27वें स्थान पर थी जो अब नई  लिस्ट आने तक गिरकर 53वीं पायदान पर है। भारत को 2014 में 7.92 अंक मिले थे, जो अभी तक मिले सर्वाधिक अंक हैं। ‘द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट’ (ईआईयू) ने कहा था की लोकतांत्रिक मूल्यों से पीछा हटने और नागरिकों की स्वतंत्रता पर कार्रवाई के कारण देश 2019 की तुलना में 2020 में दो स्थान फिसल गया।

2020 की रैेकिंग पर भारत सरकार ने सवाल भी उठाया था। मीडिया रिपोर्टों द्वारा समीक्षा किए गए दस्तावेजों के अनुसार, केंद्र सरकार ने लंदन में भारतीय उच्चायोग को ईआईयू से लोकतंत्र सूचकांक का मूल्यांकन तंत्र, पद्धति, नमूना आकार, लेखकों का विवरण और एजेंसियां जिनका उपयोग इस सूचकांक को बनाने के लिए किया गया था के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कहा था।

इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट क्या है?

यह संस्था 1946 में स्थापित हुई थी। द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट लंदन स्थित इकोनॉमिस्ट ग्रुप का एक हिस्सा है। ईआईयू दुनिया की बदलती स्थिति पर नज़र रखता है और दुनिया की आर्थिक-राजनीतिक स्थिति की के पूर्वानुमान द्वारा किसी देश विशेष की सरकार को खतरों से आगाह करता है।

लोकतंत्र सूचकांक (Democracy Index) ईआईयू द्वारा तैयार और जारी किया जाता है। जो वैश्विक सूचकांक 165 स्वतंत्र देशों और दो क्षेत्रों  (Territories) में लोकतंत्र की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है। इस लोकतंत्र सूचकांक की रिपोर्ट में दुनिया के देशों में लोकतंत्र की स्थिति का आकलन पाँच पैमानों (five scales) पर किया गया है और इस सूचकांक में दुनिया के 165 देशों और 2 क्षेत्रों को उनके शासन के आधार पर चार प्रकार के मानकों के आधार पर स्थान यानी रैंकिंग दिया जाता है।

लोकतंत्र की स्थिति का इन पाँच पैमानों पर आकलन..

  • चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद (Electoral Process and Pluralism)
  • सरकार की कार्यशैली (The Functioning of Government)
  • राजनीतिक भागीदारी (Political Participation)
  • राजनीतिक संस्कृति (Political Culture)
  • नागरिक आज़ादी (Civil liberties)

इन चार तरह के मानकों के आधार पर रैंकिंग..

  • पूर्ण लोकतंत्र (Full Democracies)
  • दोषपूर्ण लोकतंत्र (Flawed Democracies)
  • हाइब्रिड शासन (Hybrid Regimes)
  • सत्तावादी शासन (Authoritarian Regimes)

इससे पहले कानून मंत्रालय ने 15 जुलाई को राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर ‘लोकतंत्र सूचकांक में भारत की स्थिति’ पर एक सांसद द्वारा पूछे गए सवाल को अस्वीकार करने को कहा था, जिसका जवाब 22 जुलाई को देना था। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने तर्क दिया था कि यह सवाल ‘बेहद संवेदनशील प्रकृति’ का है, इसलिए हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।

भारत की रैंकिंग में गिरावट के प्रमुख कारण..

भारत की रैंकिंग में गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के लागू होने के कारण 1.9 मिलियन व्यक्तियों का इससे बाहर होना है। वहीं , अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A के लागू होने के बाद, भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया, विभिन्न सुरक्षा उपायों को लागू किया और भारत समर्थक व्यक्तियों सहित तमाम स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर दिया।