सरकारी समिति की सिफ़ारिश से, वैक्सीन की कमी को छिपाएगी मोदी सरकार!

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हालांकि पीएम मोदी ने अपने प. बंगाल के चुनाव अभियान से अहसान की तरह समय निकाल कर, दावों के साथ घोषणा की थी कि 1 मई से 18 साल या उससे से अधिक उम्र के हर भारतीय को कोविड19 की वैक्सीन लगेगी। लेकिन 1 महीने के अंदर ही, इस दावे की हवा निकल गई है। देश भर में नागरिकों को न तो वैक्सीन ही मिल पा रही है, न ही उनका वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन ही हो पा रहा है। अब वैक्सीन के लिए कोविड प्रबंधन पर बनी सरकारी समिति, NTAGI को इस पर पर्दा डालने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। सरकारी समिति के सुझाव, दरअसल वैक्सीन की कमी पर पर्दा डालने का काम करने में सरकार के काम आने वाले हैं।

अगर आपको कोविड19 संक्रमण हो चुका है

इन सुझावों के मुताबिक, अगर आप कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और अब ठीक हो चुके हैं तो आपको तुरंत टीका नहीं लग पाएगा। सूत्रों के अनुसार, सरकारी समिति का सुझाव है कि कोविड से ठीक हो जाने वालों को-छह महीने बाद ही कोरोना वैक्सीन की डोज़ दी जाए। इसके अलावा अगर आपको कोविड91 के वैक्सीनेशन की पहली डोज़ के बाद कोरोना हुआ है, तो आपको ठीक होने के कम से कम 4-8 हफ्ते बाद वैक्सीन मिलेगी।

पहली और दूसरी डोज़ के बीच का अंतर बढ़ा

राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के मुताबिक कि कोविशील्ड की पहली और दूसरी डोज के बीच का अंतर बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते किया जा सकता है। दिलचस्प ये है कि ये फॉर्मूला कोवैक्सीन पर लागू नहीं किया जाएगा।

गर्भवती महिलाओं के लिए क्या है सलाह?

एनटीएजीआई ने सरकार को सलाह दी है कि वो गर्भवती महिलाओं को उनकी पसंद से कोई भी कोरोना वैक्सीन चुनने की आजादी दे सकती है। इस सलाह के अनुसार, गर्भवती महिलाएं प्रसव के बाद कभी भी टीका ले सकती हैं। समिति के विशेषज्ञों के अनुसार, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए वैक्सीन से कोई हानि नहीं है। इसलिए वो चाहें तो प्रसव के बाद कभी भी वैक्सीन ले सकती हैं।

असल बात क्या वैक्सीन की कमी है?

तो क्या सच ये है कि वैक्सीनेशन के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष करने के बाद, सरकारी दावे फेल हो गए हैं और अब सरकार किसी तरह वैक्सीनेशन ड्राइव को धीमा करने के तरीकों पर विचार कर रही है? दुनिया भर को वैक्सीन देने का दावा करने वाली सरकार, अब अपने ही देश के लिए वैक्सीन की आपूर्ति नहीं कर पा रही है। और अब कोरोना से अपेक्षाकृत रूप से अधिक सुरक्षित समूहों को वैक्सीन देने में देर की जा रही है। जिससे कि वैक्सीन की कमी को जनता से छिपाया जा सके। दरअसल अंदरूनी सूत्रों की मानें तो


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