नागा शांति वार्ता: गतिरोध बरक़रार, मणिपुर-नागालैंड में हाई अलर्ट

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पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड में दो दशकों से भी लंबे समय से चल रही शांति प्रक्रिया पर समझौते की समय सीमा 31 अक्तूबर के करीब आने से इलाके में तनाव की स्थिति है. ‘द सिटीजन’ की खबर के मुताबिक आज अंतिम दिन भी बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया. सशस्त्र विद्रोही नागा नेताओं ने कोई आधिकारिक जानकारी इस बारे में अब तक नहीं दी है कि क्या वार्ता को बढ़ाया जा सकता है, और यदि सभी पक्षों के बीच कोई समझौता हुआ है या नहीं.

पूर्वोत्तर के प्रमुख उग्रवादी समूह एनएससीएन-आईएम नगाओं के लिए अलग झंडा और संविधान की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है.

इससे पहले नगालैंड में सात दशक पुरानी उग्रवाद समस्या के अंतिम समाधान निकालने के लिए बीते मंगलवार को लगातार दूसरे दिन की नगा शांति वार्ता में गतिरोध बरकरार रहा. केंद्र के वार्ताकार और राज्यपाल आरएन रवि ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुइवाह (एनएससीएन-आईएम) और सात संगठनों के शीर्ष संगठन के साथ अलग-अलग बातचीत की.

उधर मणिपुर के कई संगठनों ने प्रस्तावित शांति समझौते के विरोध में 31 अक्तूबर सुबह चार बजे से आधी रात तक यानी 20 घंटे तक विरोध जताने की अपील की है.

ट्वीटर पर शांतनु नामक एक हैंडिल पर सूचना है कि इस वार्ता के बीच केंद्र ने नागालैंड-मणिपुर में सेना का टैंक तैनात कर दिया है.

गौरतलब है कि केंद्र ने एनएससीएन-आईएम की अलग झंडे और संविधान की मांग को मानने से इनकार कर दिया है.सूत्रों के मुताबिक अलग झंडे और संविधान की मांग खारिज होने के बाद से शांति प्रक्रिया की कवायद पर खतरा मंडराने लगा है.

शांति वार्ता में शामिल नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आफ नगालैंड (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुट ने असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के नगाबहुल इलाकों को लेकर ग्रेटर नगालिम के गठन की मांग उठाई.

नगालैंड के राज्यपाल एन. रवि इस शांति प्रक्रिया में केंद्र सरकार के मध्यस्थ हैं. इंस्टाग्राम पर मणिपुर टाइम्स पेज पर खबर के मुताबिक बुधवार को आयोजित विचार-विमर्श के दो दौर अनिर्णीत रहे,लेकिन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड ने ‘ग्रेटर नागालिम’ की मांग पर केंद्र के वार्ताकार आर.एन.रवि द्वारा प्रस्तावित समाधान को स्वीकार कर लिया है. लेकिन इस खबर की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि कई नगा गुट शांति समझौते से सहमत नहीं हो सकते हैं. इसके अलावा एनएससीएन का इसाक-मुइवा के रुख को लेकर अनिश्चितता है. अलग झंडे व संविधान की मांग खारिज होने के बाद वह समझौते के लिए तैयार होगा या नहीं, इसका जवाब किसी के पास नहीं है. यह भी साफ नहीं है कि केंद्र ने नगा-बहुल इलाकों के एकीकरण की मांग पर सहमति जताई है या नहीं.

नगालैंड के पुलिस महानिदेशक टी. जान लांगकुमार ने कहा, पुलिस की सात बटालियन को रिजर्व रखा गया है. दो महीने का राशन और ईंधन जमा कर लिया गया है. मणिपुर के उखरूल जिले में प्रशासन ने संबंधित विभाग को जरूरी सामान जमा करने का निर्देश दिया है. ताकि समझौते के बाद अशांति या प्रतिकूल स्थिति पैदा होने पर खाद्यान्न की दिक्कत न हो. नगालैंड के बाहर सबसे ज्यादा नगा मणिपुर में ही हैं. यहां प्रशासन ने इंफाल पश्चिमी जिले के सभी पुलिसवालों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं. एनएससीएन (आई-एम) की पहली मांग नगा-बहुल क्षेत्रों के एकीकरण की है.

मणिपुर के दो असंतुष्ट नेताओं ने राजा लेशेम्बा सनाजाओबा का प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हुए मंगलवार को ब्रिटेन में ‘निर्वासन में मणिपुर सरकार’ की शुरुआत की घोषणा की है.एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए याम्बेन बीरेन ने ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल का मुख्यमंत्री’ और नरेंगबाम समरजीत ने ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल का रक्षा और विदेश मंत्री’ होने का दावा किया.

निर्वासित सरकार की घोषणा करने वाले मणिपुर के दो नेताओं पर देश  के खिलाफ युद्ध छेड़ने का केस दर्ज किया गया है. इस मामले की शुरुआती जांच स्पेशन क्राइम ब्रांच करेगी. बाद में मामला नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) को सौंप दिया जाएगा क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय मामला है.

इस बीच पूर्व राजा सनाजाओबा ने असंतुष्ट नेताओं की घोषणा की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि इस मामले में उनका नाम घसीटना घिनौनी हरकत है. इस तरह की घोषणा से समाज में नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होगा.

 

 

 

 

 


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