कोरोना को मज़ाक़ समझने वाले डॉक्टर की मौत, पापड़ वाले मंत्री पॉज़टिव

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कोरोना के मामले में भारत दुनिया में अव्वल होने के क़रीब है। 24 घंटों में सबसे ज़्यादा केस के मामले में तो हो ही  चुका है।

शनिवार यानी 8 अगस्त को कोविड-19 के एक दिन में 64,399 नए मामले आने के साथ ही भारत में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 21,53,011 पर पहुंच गई है जबकि 861 और लोगों के दम तोड़ने से मृतकों की संख्या 43,379 हो गई है। कुल मामलों में अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे नंबर पर है। अमेरिका में 51,49,663 और ब्राजील में 30,13,369 लोग कोरोना संक्रमित हैं।

ज़ाहिर है, स्थिति गंभीर है। इसके बावजूद ऐसे लोगों की कमी नहीं जो कोरोना को सिर्फ चीनी साज़िश या अफ़वाह बता रहे हैं या फिर हवन-यज्ञ के ज़रिये इसे भगाने की बात कर रहे थे। हद तो ये है कि ऐसा करने वालों में केंद्रीय मंत्रियों से लेकर डाक्टर तक हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल भी कोरोना के शिकार हो चुके हैं जो कुछ दिन पहले भाभी जी नाम के ब्रांड के पापड़ का प्रचार यह कहते हुए कर रहे थे कि इससे कोरोना भाग जायेगा। वहीं मुंबई में एक डाक्टर की मौत हो गयी जो कोरोना को साज़िश बता रहे थे।

राजनीतिक-सामाजिक विचारक मुकेश असीम अपनी फ़ेसबुक पोस्ट पर लिखते हैं–

डॉ अनिल पाटिल वेदीक्युअर नाम की आयुर्वेद कंपनी के संस्थापक थे। इनके बहुत से मराठी विडियो हैं – कोरोना चीनी स्कैम/फैड़ है, वैक्सीन बेचने की साजिश है, स्टैम्प पेपर पर गारंटी दे रहे थे कि किसी भारतीय नागरिक का इससे कुछ नहीं बिगड़ेगा, मरने वालों का मज़ाक उड़ा रहे थे कि डर से मर गए।

कल रात कोविड़ से गुजर गये!

साजिशी अफवाहों से दूर रहें। भयभीत न हों, पर तार्किक चिकित्सीय सलाहों पर अमल करें – हाथ धोना, मास्क लगाना, आदि। तालाबंदी के नाम पर सरकारी दमन/जुल्म का विरोध करें पर वाइरस/बीमारी को काल्पनिक न मानें।

मुनाफाआधारित निजी अस्पतालों व दवा उद्योग बंद उन्हें सामाजिक नियंत्रण में लाकर सबके लिए समान सार्वजनिक चिकित्सा व्यवस्था, मुफ्त सार्वजनिक खाद्यान्न एवं आवश्यक सामग्री वितरण, रोजगार गारंटी/बेरोजगारी भत्ता, वैक्सीन आने पर उसे बनाने वाले सभी उद्योगों को सरकारी नियंत्रण में ले उसके भारी उत्पादन और सभी के लिए – पहले शहरों-गांवों की घनी बस्तियों में रहने वाले गरीब मेहनतकश लोगों के लिए – मुफ्त लगाने की व्यवस्था, जैसी जनवादी माँग पर सभी शक्तियों को जुटाएँ। इसके बजाय इसे काल्पनिक बीमारी कहकर उपेक्षा करने की बात करने वालों को फासिस्ट व्यवस्था का भोला, मूर्ख या धूर्त मददगार समझें। कोरोना ज्यादा खतरनाक है या टीबी, जैसी मूर्खतापूर्ण बहस में न पड़ें। जिसे जो बीमारी हो जाए वही खतरनाक है। सबके लिए सभी बीमारियों के इलाज/रोकथाम की व्यवस्था बनाने की माँग उठाएँ।

 

वहीं वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार  सिंह ने लिखा है-

भाभी जी पापड़ वाले मंत्री जी कोरोना पॉजिटिव

पंद्रह दिन पहले भाभीजी पापड़ के प्रचार से प्रचारित हुए बीकानेर के सांसद और केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल कोरोना पॉजिटिव हैं। एम्स में एडमिट कराए गए हैं। उनका एक वीडियो चर्चा में था जिसमें वे पापड़ का प्रचार करते हुए कह रहे थे कि पापड़ संक्रमण से बचाव करता है और एंटी बॉडी का काम भी करेगा।

कहने की जरूरत नहीं है कि उनके कोरोना पॉजिटव होने का मतलब यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि पापड़ प्रभावी नहीं है। पापड़ के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। संभव है उन्होंने पापड़ का सेवन किया ही नहीं हो। या संक्रमित होने का कोई और कारण हो। इस संबंध में पक्की और पूरी जानकारी मीडिया से ही मिल सकती है। इंतजार कीजिए।

इस खबर का शीर्षक कल अखबारों में वही होना चाहिए जो मैंने लगाया है। क्योंकि कोरोना पॉजटिव तो कोई भी हो सकता है जब अमित शाह जैसे शक्तिशाली और प्रतापी मंत्री पहले से पीड़ित हैं तो मेघवाल साब का होना खबर नहीं है। मेघवाल साब की खासियत यही है कि वे कोरोना रोकने वाले पापड़ का प्रचार करने के लिए चर्चित हुए थे। पर अभी मुझे जो भी खबर दिख रही है सब का शीर्षक यही है, केंद्रीय मंत्री कोरना पॉजिटिव या अर्जुन मेघवाल कोरोना पॉजिटिव। जबकि खबर सुनते ही सवाल उठता है भाभी जी पापड़ वाले? जवाब शीर्षक में क्यों नहीं होना चाहिए?

अर्जुनराम मेघवाल मेरे मित्र के मित्र हैं। भले आदमी हैं। ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वस्थ करे पर जो है सो तो हईये है।

ज़ाहिर है, कोरोना से देश की स्थिति गंभीर होती जा रही है। सरकार की भीषण असफलता तो है ही, समाज में व्याप्त अवैज्ञानिकता भी इसे गंभीर कर रही है। वैसे, इसकी जिम्मेदारी भी सरकार पर है जिसके मंत्री पापड़ के झापड़ से कोरोना झाड़ने का टोटका थमाते हैं और खुद ही इसके शिकार हो जाते हैंं।



 


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