अगर सरकार को या आपको लगता है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला देने से श्रमिकों की समस्याएं कम हो गई हैं, तो ये ख़बर आप दोनों को ही ग़लत साबित कर देगी। कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों के सामने कमाई और भोजन की समस्या उत्पन्न हो गयी थी। जिसकी वजह से कई शहरों में फंसे लोगों ने पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफ़र तय करना शुरू कर दिया। बहुत से लोगों की मृत्यु के बाद सरकार जब जागी तो उसने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से लोगों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाने की व्यवस्था शुरू की।
सड़क पर पैदल या रेल में – श्रमिक की उपेक्षा जारी है
लेकिन इसके बाद भी श्रमिकों के साथ खराब बर्ताव, उनकी उपेक्षा और उनके जीवन के कष्ट वैसे ही रहे। बस उनकी तक़लीफ़ें आपको सड़क पर दिख नहीं रही, वह अब रेल में उनके साथ वैसे की वैसी चली गई हैं। भूख और भयानक गर्मी से अपने रास्तों से भटकी श्रमिक ट्रेनों में सफ़र करने वाले कई लोगों की जान तक चली गयी। इसी सिलसिले में हम केंद्र और अन्य राज्य सरकारों द्वारा की जा रही व्यवस्था की ये रिपोर्ट लेकर आये हैं। जहां गरीब लोगों के साथ होने वाली समस्याएं सड़कों से पैदल चलकर रेल की पटरियों पर आ गयी हैं। ये केवल हमारी कोई ख़बर या रिपोर्ट नहीं है, दरअसल ये देश भर में श्रमिक स्पेशल ट्रेन से यात्रा कर रहे गरीबों का सरकार की उपेक्षा और झूठ के ख़िलाफ़ शपथपत्र यानी कि एफिडेविट है।
श्रमिक स्पेशल में बैठे, पवन शाह ट्विटर यूज़र न होते तो? हमने उनसे बातचीत की
पवन शाह से हमारी बात हुई ये अपने परिवार के साथ श्रमिक ट्रेन से मुंबई से बिहार की यात्रा कर रहे हैं। मुंबई में लेदर का काम करने वाले पवन शाह के साथ उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं। कल शाम 7:30 बजे मुंबई से चली ट्रेन के लिए वो दोपहर में 12 बजे ही घर से निकल गए ताकि समय पर ट्रेन पकड सकें। लेकिन श्रमिक ट्रेन में बैठने के बाद भी उनकी समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ गयीं। मुंबई से चली ट्रेन जब खंडवा पहुंची तो उन्हें और उनके परिवार को 3-3 केले और एक-एक पानी की बोतल दी गयी। उसके बाद वो रेलवे को ट्वीट के माध्यम से भोजन की मांग करते रहे कि मेरे साथ बच्चे हैं कुछ भोजन उपलब्ध कराएं। पवन शाह ने कुल 9 ट्वीट इस संबंध में किये। जिसमें से एक पवन शाह के एक ट्वीट जिसमें उन्होंने लिखा था कि सीएसटी से कल शाम 7:30 बजे ट्रेन चली है और अभी 11:25 तक खाना नहीं मिला है। मेरे साथ बच्चे हैं। वो बिना खाना इतने लंबे समय तक कैसे रहेंगे ? प्लीज हेल्प कीजिए
ट्वीट का जवाब देते हुए इंडियन रेलवे सेवा ने बताया कि बंचिंग की वजह से ट्रेन लेट है भोजन और पानी निर्दिष्ट स्टेशन पर ट्रेन के चलने की स्थिति के अनुसार प्रदान किया जायेगा। डीआरएम भोपाल को भी इस ट्वीट में मेंशन किया गया था। डीआरएम भोपाल ने पहले आईआरसीटीसी फ़िर डीआरएम जबलपुर को इस मामले को देखने के लिए ट्वीट कर दिया।
पवन शाह उसके बाद भी भोजन के लिए कई ट्वीट करते रहे। उनके ट्वीट को देखकर जब उनसे मीडिया विजिल ने बात की तो उन्होंने बताया कि मेरे साथ तीन बच्चे हैं, मेरी पत्नी हैं। और पहचान के कुछ और लोग भी हैं। भोजन मिलने की बात पर उन्होंने नाराज़गी जताते हुए कहा, “हाँ मिला था लेकिन तीन सूखी रोटी और एक आचार के साथ एक पानी की बोतल मिली थी, बताइए ये खाना है क्या ?” जब उनसे पूछा गया कि किसी ने आप से इस बार में बात की क्योंकि आपने कई ट्वीट किये थे । उन्होंने बताया कि किसी ने कोई बात नहीं कि बस खाने के नाम पर हम सबको तीन-तीन सूखी रोटी और अचार मिला है। मेरे साथ बच्चे भी हैं। इस खाने को कैसे खाएं ? पवन शाह की समस्या की तरह ही अन्य कई लोगों की अनेकों समस्याओं से ट्विटर भरा पड़ा है। ऐसी ही हृदय विदारक घटना की एक वीडियो बिहार से सामने आई है। वीडियो में एक छोटा बच्चा अपनी माँ को उठाने की कोशिश कर रहा है। उसके ऊपर पड़े चद्दर से खेल रहा है। वो ये नहीं जनता कि उसकी माँ अब कभी नहीं उठेगी। ट्वीट किये गए वीडियो में लिखा है कि चार दिन तक चलती श्रमिक स्पेशल ट्रेन में इस बच्चे की माँ भूख और प्यास से अपनी जान गंवा बैठी।
This is heartbreaking.Toddler tries to get into reassuring cover of sheet wrapped over his mother,not knowing mother is no more.The mother reportedly died from starvation after spending four days on a train without food or Water in #Muzaffarpur,Bihar.
May god bless her soul💔😔 pic.twitter.com/WWoCsxiQ35
— Himanshu Kushwaha (@Himansh91694280) May 27, 2020
तो एक और वीडियो में किसी और ने एक लड़के की वीडियो पोस्ट की है जिसमें बताया गया है कि खाना मिला है लेकिन शैतानी असर की वजह से महिला की मृत्यु हुई है। अभी तक इस वीडियो की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन मृतक महिला से जुड़ी हुई है तो हम इसे यहां दिखा रहे हैं। बस सवाल ये है कि इस अंधविश्वास पर कैसे यकीन किया जाए ?
He is brother in law of "Arbina khatoon" who died during travelling , he is telling the truth behind her death . Request you all to watch the vdo which burst the propaganda of no food supplies in train 👇 using deaths to defame govt is utter shameful ! pic.twitter.com/8EM2ZHDXbJ
— STELLAR✨( मोदी का परिवार ) (@ankitasood13) May 27, 2020
इसके बाद इसी घटना को लेकर पीआईबी बिहार के आधिकारिक हैंडल से भी एक ट्ववीट आया, जिसमें इस महिला के पहले से बीमार होने की बात कही गई। हालांकि महिला के परिवार ने इससे साफ इनकार कर दिया है। लेकिन पीआईबी समेत रेलवे उसके रिश्तेदार का हवाला देकर बता रहे हैं कि महिला पहले से बीमार थी। जबकि महिला के परिवार का कहना है कि उसकी तबीयत ट्रेन में ही बिगड़ी।
#दावा: वायरल वीडियो में मुजफ्फरपुर स्टेशन पर एक महिला की भूख-प्यास से हुई मौत को दिखाया जा रहा है#factcheck: गलत और भ्रामक है। महिला के पहले से ही बीमार होने की पुष्टि उसके परिवार ने की है। pic.twitter.com/XIsP9c8Esm
— PIB In Bihar 🇮🇳#stayhome#staysafe (@PIB_Patna) May 27, 2020
इस दावे में एक सवाल और है जो पीआईबी, रेलवे और सरकार सबसे पूछा जाना चाहिए कि क्या वाकई ट्रेन में उसे ठीक से भोजन मिला था? क्या ट्रेन समय पर अपने गंतव्य पर पहुंची थी? लेकिन देश का मीडिया जब चीन से जंग जीत कर खाली होगा, तो शायद इस सवाल को ठीक से सोच पाएगा।
देश के कई हिस्सों से आई तस्वीरें बताती हैं कि इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में भोजन और पानी के नाम पर क्या दिया जा रहा है ? आर्य नाम के एक ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर पोस्ट की गयी है। साथ ही लिखा है कि स्टूडेंट्स के द्वारा ख़राब खाना दिए जाने की बात जब रेल मंत्री पीयूष गोयल तक पहुंची तो उन स्टूडेंट्स को बर्गर दिया गया लेकिन ट्रेन में बैठे गरीब मजदूरों को ब्रेड और हरी मिर्च दी गयी है।
पार्थिक यादव नाम के ट्विटर यूजर ने गुरुग्राम से अगरतला जा रही है ट्रेनों में सफ़र कर रहे स्टूडेंट्स द्वारा उपलब्ध कराया गया स्क्रीनशॉट पोस्ट किया है। जिसमें स्टूडेंट्स बताते हैं कि उन्हें दो दिन से कुछ खाने को नहीं मिला है।
इंडियन रेलवे सेवा के ट्विटर हैंडल पर जाकर देखने पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में हो रही समस्याएं खुलकर सामने आती हैं। उन्हीं ट्वीट में से कुछ को हमने अपनी इस रिपोर्ट में शामिल किया है। आशुतोष कुमार नाम के एक व्यक्ति ने ट्वीट किया है कि रात को दानापुर से 12 बजे ट्रेन में बैठा हूँ, अभी तक खगरिया नहीं पहुंचा हूँ और न ही भोजन और पानी मिला है।
तौसीफ़ आलम ने ट्वीट किया है कि 28 घंटे से ट्रेन में हूँ। सिर्फ़ एक बार खाना और 1 लीटर पानी मिला है। काफ़ी परेशानी हो रही है। कृपा करके पानी का इंतजाम करवा दीजिए।
बापी देब ने ट्वीट किया है कि गुरुग्राम से शनिवार को चली ट्रेन 4 दिन से चल रही है। जबकि सफ़र दो दिन का ही होता है। कृपया ध्यान दें।
दीपक तिवारी ने ट्वीट किया है कि स्टेशन पर पानी तो है लेकिन वेंडर देने से मना कर रहा है।
मनीष अहिरवार ने ट्वीट किया है कि क्यों झूठ बोल रहे हैं मंत्री महोदय ? श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में लोगों को दो-दो दिन तक भूखा रहना पड़ रहा है। कई स्टेशनों पर श्रमिकों ने हंगामा भी मचाया, लेकिन आपकी असंवेदनशील सरकार मूक बनी हुई है। हद होती है झूठ बोलने की।
गौतम दत्ता ने ट्वीट किया है कि मैं श्रमिक स्पेशल ट्रेन में हूँ। जिसने अभी नागपुर पार किया है। मुझे हावड़ा जाना है। बहुत ख़राब सुविधा है। न खाना मिला है न ही पानी और हमारी थर्मल स्कैनिंग भी नहीं हुई है।
सुजीत कुमार ने ट्वीट किया है कि रेल मंत्री जी, जो श्रमिक स्टेशन ट्रेन आनंद विहार से पूर्णिया के लिए 8:45 में खुली थी उसमें न पानी है न ही टॉयलेट में सफ़ाई है। लगता है मजदूर होना गुनाह है।
ऐसे सैकड़ों-हजारों ट्वीट हैं। जिनमे श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में होने वाली समस्याओं को रेल मंत्रालय तक पहुंचाया जा रहा है। इंडियन रेलवे सेवा की तरफ़ से खाना और पानी न उपलब्ध होने की समस्या पर एक ही ट्वीट हर बार कर दिया जाता है कि बंचिंग की वजह से ट्रेन लेट है भोजन और पानी निर्दिष्ट स्टेशन पर ट्रेन के चलने की स्थिति के अनुसार प्रदान किया जायेगा। साथ ही कई ने ट्वीट में डीआरएम को मेंशन कर दिया जाता है।
ट्वीट के बाद लोगों को खानापूर्ति के लिए भोजन के नाम कुछ न कुछ मिल भी गया है लेकिन ऐसी कैसे व्यवस्था जिसमें लोगों को दिन-दिन भर भोजन पानी ही नहीं मिल पा रहा है ? साथ इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि जिनके पास स्मार्टफ़ोन है और जो ट्विटर इस्तेमाल करते हैं। वो तो अपनी समस्याएं ट्वीट कर देते हैं। लेकिन जिनके पास ट्विटर की सुविधा नहीं है, जो स्मार्टफ़ोन नहीं चलाते, क्या उनकी समस्याएं सामने आ पाएंगी ? सड़कों से उठकर मजदूर ट्रेनों में आ गए लेकिन उनके दुःख और उनके दर्द भी उनके पीछे-पीछे ट्रेनों में आकर उनके बराबर बैठ गए हैं। इन सारी ख़बरों को एक साथ मिला कर हमने आपके सामने इस स्टोरी में रख दिया है। हम सब समझते हुए भी, बिना कुछ कहे ये फैसला आप पर छोड़ते हैं कि रेल मंत्री पीयूष गोयल, सूचना प्रसारण और क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और भारतीय रेलवे सच बोल रहा है या फिर ये सारे लोग? या फिर गरीब जनता का कोई सच नहीं है, मरते जाने..कष्ट और उपेक्षा झेल कर भी वोट देते रहने के सिवा।
ये स्पेशल स्टोरी आदर्श तिवारी ने लिखी है। वे मीडिया विजिल टीम का हिस्सा हैं और सिनेमा और साहित्य में रुचि रखते हैं।
हमारी ख़बरें Telegram पर पाने के लिए हमारी ब्रॉडकास्ट सूची में, नीचे दिए गए लिंक के ज़रिए आप शामिल हो सकते हैं। ये एक आसान तरीका है, जिससे आप लगातार अपने मोबाइल पर हमारी ख़बरें पा सकते हैं।