अवैध खनन: मणिपुर में HC का प्रतिबंध, मेघालय पर SC का 100 करोड़ जुर्माना

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मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य की सभी नदियों में अवैध पत्थर और रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है. साथ ही अदालत ने राज्य की सभी नदियों का दोहन रोकने के लिए अधिकारियों को कारगर उपाय करने का भी निर्देश दिया है. राज्य की थौबल नदी के दोहन के रोक लगाने की मांग को लेकर एक नागरिक मंच थौबल नदी संरक्षण समिति द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया है. वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध कोयला खनन रोकने में असफल रहने के लिए मेघालय सरकार पर 100 करोड़ का जुर्माना लगाया है. 

याचिकाकर्ता ने अदालत कहा था कि नदी के जल पर अनेक गांवों का जीवन निर्भर है और लगातार रेत खनन के कारण नदी का जल अब मैला हो गया है. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया गया कि नदी का पानी अब पीने योग्य नहीं रह गया है तथा इसके सेवन से लोगों को बीमारियां होने लगी हैं. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मामले में हस्तक्षेप करने के लिए संबंधित प्राधिकरण से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई.

इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, अदालत ने जनहित याचिका का दायरा बढ़ाते हुए राज्य की सभी नदियों को एक अंतरिम उपाय के रूप में शामिल करते हुए उनमें अवैध खनन पर रोक लगा दिया. इस रोक के दायरे से कानून के अनुसार लाइसेंस प्राप्त या पट्टा धारक कम्पनियों को बाहर रखा गया है.

वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध कोयला खनन रोकने में असफल रहने के लिए मेघालय सरकार पर 100 करोड़ का जुर्माना लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को  यह आदेश दिया .

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ अवैध कोयल खनन पर रोक लगाने में विफल रहने के बाद सरकार पर यह जुर्माना लगाया था. जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने राज्य प्रशासन को निर्देश दिया कि अवैध कोयले को कोल इंडिया (सीआईएल) को सौंप दे.पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अवैध तरीके से निकाले गए को को कोल इंडिया लि. (सीआईएल) को सौंप दे, जिसकी बाद में नीलामी की जाएगी और इस धनराशि को राज्य सरकार के पास जमा किया जाएगा.
पीठ ने राज्य में निजी एवं सामुदायिक जमीनों में खनन की भी अनुमति दी है, लेकिन ऐसा संबंधित प्राधिकारियों से स्वीकृति मिलने के बाद ही किया जा सकेगा.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 4 जनवरी 2019 को मेघालय सरकार पर जुर्माना लगाया था.

गुवाहाटी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीपी काकोटी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि मेघालय में लगभग 24,000 खदानें हैं. इनमें से ज्यादातर अवैध रूप से चल रही हैं. उनके पास न तो लाइसेंस है और न ही इसके के लिए उन्होंने पर्यावरण की मंजूरी ली थी.

बता दें कि बीते साल दिसंबर में मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स जिले के सान इलाके की अवैध कोयल खदान में 15 खनिक फंस गए थे. खदान में पास की नदी का पानी घुस गया था. खदान से सिर्फ दो शव ही बरामद हो पाए थे.13 दिसंबर की सुबह की है जब अचानक पानी बढ़ जाने से एक संकरी सुरंग के जरिए खदान में घुसे मजदूर अंदर से बाहर नहीं आ पाए. उस घटना के बाद राज्य और केंद्र सरकार की बहुत आलोचना हुई थी.


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