सरकार ने शिक्षक दिवस पर केंद्रीय विद्यालय के नाबालिग़ बच्चों से कराया ट्वीट!

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शिक्षक दिवस पर ट्विटर पर #ourteachersourhero के पीछे सरकार की योजना काम कर रही थी। इसके तहत केंद्रीय विद्यालय के लाखों छात्रों को ट्विटर पर ट्रैंड कराने का लक्ष्य दिया गया था। ख़ास बात यह है कि फे़सबुक या ट्विटर पर 13 साल से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट खोलने पर रोक है, लेकिन छोटी कक्षाओं के बच्चों के भी पोस्ट इस हैशटैग के साथ देखे गये। आरोप लग रहे हैं कि सरकार केंद्रीय विद्यालय के बच्चों को आईटी सेल की तरह इस्तमाल करना चाहती है।

मोदी सरकार की ख़ासियत हर छोटी-बड़ी चीज़ को इवेंट बना देने की है। सरकारी विभागों ने भी यही अंदाज़ अपना लिया है। केंद्रीय विद्यालय संगठन का इस बार का शिक्षक दिवस मनाने का अंदाज़ इसी की गवाही है। 26 अगस्त को केंद्रीय विद्यालय संगठन की ज्वाइंट कमिश्नर पिया ठाकुर की ओर से सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को एक पत्र जारी करके भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के सचिव के पत्र को गंभीरता से लेने का आग्रह किया गया था।उन्होंने लिखा कि शिक्षा सचिव के पत्र में कहा गया है कि बच्चे अपने शिक्षक पर गर्व जताते हुए सोशल मीडिया में पोस्ट करें। इस सिलसिले में दो हैशटैग सुझाये गये थे। पत्र में क्षेत्रीय कार्यालयों में तैनात उपायुक्तों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने क्षेत्र के विद्यालयों के सभी प्रधानाचार्यों को इस बाबत निर्देश दें।

नाम न बताने की शर्त पर एक शिक्षक ने जानकारी दी कि इस संबंध में न केवल निर्देश जारी किये गये बल्कि दो पाली वाले स्कूलों को 500 ट्वीट और सिंगल शिफ़्ट वाले स्कूलों को 300 ट्वीट करने का न्यूनतम लक्ष्य भी दिया गया। केंद्रीय विद्यालयों को इस पत्र के मिलने के बाद से सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों द्वारा ये पत्र सभी छात्रों और उनके अभिभावकों तक पहुँचा दिया गया। नतीजा यह हुआ कि ट्विटर पर छात्रों द्वारा न जाने कितने नए अकाउंट बनाए गए हैं।

हैरानी की बात ये है कि पिया ठाकुर के पत्र में कहीं इस बात का उल्लेख नहीं था कि छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को इसमें शामिल न किया जाये। फेसबुक और ट्विटर की नीति के मुताबिक 13 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल अकाउंट बनाने पर रोक है। जैसा कि ऊपर के चित्र में देखा जा सकता है, कक्षा 7 यानी कि बारह साल के बच्चे ने भी इस हैशटैग के साथ पोस्ट किया है।

सरकार के इस रुख से नाराज़ एक शिक्षक ने कहा कि बच्चों को जबरदस्ती ट्वीटर अकाउंट बनाकर ट्वीट कराया गया। ‘सोचिए की केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा आपके नौनिहालों को जबर्दस्ती सोशल मीडिया पर लाना कितना उचित है। बच्चों पर इसका क्या मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा। और अगर बच्चों को सोशल मीडिया की लत लग गयी तो इसका उनके भविष्य और उनकी पढ़ाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा?’- उन्होंने सवाल किया।

देश में केंद्रीय विद्यालय के 25 रीजन हैं। करीब साढ़े 12 सौ केंद्रीय विद्यालयों में 13 लाख से ज़्यादा बच्चे पढ़ते हैं। सवाल ये उठता है कि क्या सरकार इन लाखों बच्चों में भविष्य का आईटी सेल देख रही है। अपने आप शिक्षक दिवस पर पोस्ट करना और सरकार के निर्देश पर ऐसा करने में स्वतंत्र चिंतन का क्या मतलब रह जाएगा? बाल मनोविज्ञान पर इसका क्या असर पड़ेगा? क्या आगे चलकर सरकार की तमाम योजनाओं या फिर पार्टी विशेष के पक्ष में छद्म प्रचार के लिए इन बच्चों का इस्तेमाल नहीं होगा? ऊपर की तस्वीर में एक बच्चे के पोस्टर में ‘मन की बात’ भी लिखा है जो प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो संबोधन का नाम है।

बच्चों को आईटी सेल का बँधुआ बनाये जाने की आशंका गहरी है।



 


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